MI-17 हेलीकॉप्टर की खरीद को लेकर CAG की रिपोर्ट में सामने आई अहम जानकारी
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर के आधुनिकीकरण को लेकर सीएजी की रिपोर्ट में बड़ी जानकारी सामने आई है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन हेलीकॉप्टर के आधुनिकीकरण के लिए 2002 में प्रस्ताव सामने आया था, लेकिन अभी तक यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है, जिसकी वजह से वायुसेना की इस फ्लीट की ऑपरेशन को लेकर तैयारी के साथ समझौता हो रहा है। सीएजी ने यह रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की, जिसमे यह अहम जानकारी सामने आई है।
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संसद में पेश की गई रिपोर्ट
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेलीकॉप्टर कम क्षमता के साथ ऑपरेशन में हैं, जोकि घटिया योजना और गलत फैसलों की वजह से है। संसद में एयरफोर्स को लेकर तीन रिपोर्ट संसद में पेश की गई है, जिसमे से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा इजरायल की कंपनी के साथ एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की खरीद के विभिन्न चरणों में खराब योजना और गलत निर्णयों के कारण ऐसा हुआ, इसके अनुबंध में 15 वर्ष लग गए और 2017 में जाकर यह अनुबंध हुआ।
डिलिवरी
में
विलंब
जिन
हेलीकॉप्टर
के
लिए
अनुबंध
हुआ
था,
उसकी
अनुमानित
डिलीवरी
जुलाई
2018
से
शुरू
होनी
थी
और
2024
तक
इसे
पूरा
हो
जाना
चाहिए।
ऑडिट
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
अपग्रेड
होने
के
बाद
56
हेलीकॉप्टरों
की
सेवा
महज
2
वर्ष
में
खत्म
हो
जाएगी।
रिपोर्ट
में
मानवरहित
एरो
इंजिन
की
खरीद
में
अनियमितता
की
बात
कही
गई
है।
इजरायल
की
कंपनी
द्वारा
इस
तरह
के
इंजन
की
आपूर्ति
तीन
गुना
अधिक
कीमत
पर
की
गई
है।
दसॉल्ट
को
लेकर
आरोप
इसके
अलावा
सीएजी
की
तीन
में
से
एक
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
दसॉल्ट
एविएशन
ने
विमानों
की
खरीद
में
अपनी
शर्त
को
पूरा
नहीं
किया।
30
फीसदी
ऑपसेट
प्रावधान
के
बदले
डीआरडीओ
को
उच्च
तकनीक
देने
का
प्रस्ताव
था,
लेकिन
आज
तक
यह
वादा
पूरा
नहीं
किया
गया।
रिपोर्ट
के
अनुसार
2005
से
2018
के
बीच
रक्षा
सौदों
में
47
ऑफसेट
कॉन्ट्रैक्ट
किए
गए,
जिसकी
कुल
कीमत
66427
करोड़
रुपए
थी।
लेकिन
दिसंबर
2018
तक
सिर्फ
19223
करकोड़
रुपए
के
ही
ऑफसेट
कॉन्ट्रैक्ट
पूरे
किए
गए।