CAA protest: प्रदर्शनकारियों की आपसी फायरिंग में हुईं सारी मौतें- यूपी पुलिस
नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि राज्य में करीब 18 लोगों की मौत पुलिस फायरिंग में नहीं, बल्कि प्रदर्शनकारियों की ओर से हुई गोलीबारी में ही हुई है। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक राज्य में हुई मौतों के लिए नागरिकता संशोधन कानून के प्रदर्शनकारी जिम्मेदार हैं, जो कि पिछले गुरुवार से हिंसा को अंजाम दे रहे हैं। यूपी पुलिस ने शनिवार को दावा किया कि अब तक राज्य में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों की ओर से 1,000 राउंड से ज्यादा फायर किए जा चुके हैं।
आपसी फायरिंग में मारे गए प्रदर्शनकारी- पुलिस
यूपी पुलिस ने दावा किया है कि उसने अबतक प्रदर्शनकारियों की ओर से चलाए गए 405 कारतूस के खोखे बरामद किए हैं। अपने दावों के पीछे पुलिस की ये दलील है कि मारे गए लोगों के पोस्टमॉर्टम में ये बात सामने आई है कि सभी की मौत देशी बुलेट से हुई हैं। पुलिस के अनुसार गुरुवार से जारी हिंसा में 8 साल अबतक 8 साल के एक बच्चे समेत 18 लोगों की जानें गई हैं। इससे पहले यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने दावा किया था कि उपद्रवी अपने को बचाने के लिए महिलाओं और बच्चों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने गोलियां नहीं चलाईं, बल्कि प्रदर्शनकारियों ने ही एक-दूसरे को निशाना बनाया। उनके मुताबिक, 'हमने एक भी गोली नहीं चलाई......हम इसपर पूरी तरह साफ और पारदर्शी हैं। अगर कोई हमारी फायरिंग में मरा है तो हम न्यायिक जांच करवाएंगे और कार्रवाई करेंगे।, लेकिन, हमारी ओर से कुछ भी नहीं हुआ।'
यूपी में 7 सौ से ज्यादा उपद्रवी गिरफ्तार
वहीं, पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) प्रवीण कुमार ने बताया कि 'राज्य में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे 10 दिसंबर से प्रदर्शन में 705 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 4,500 लोगों को ऐहतियातन गिरफ्तारी के बाद रिहा कर दिया गया।' इन घटनाओं में करीब 18 लोगों की मौत हुई है और 263 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से 57 आग से झुलसे हैं। घायलों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया है। फिलहाल सभी की हालत खतरे बाहर है। इससे पहले डीजीपी ओपी सिंह ने बताया था कि पुलिस ने प्रदेश भर में करीब 3500 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लखनऊ में 218 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उपद्रवियों की संपत्ति बेचकर होगी नुकसान की भरपाई
गौरतलब है कि शुक्रवार को राज्य में कानपुर,भदोही, बहराइच, अमरोहा, फर्रुखाबाद, गाजियाबाद, वाराणसी, मुजफ्फरनगर,सहारनपुर,हापुड़, हाथरिस, बुलंदशहर, हमीरपुर और महोबा जिलों से हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे। यूपी के डीजीपी ने इन उपद्रवों को साजिश बताया था, जिसमें कुछ एनजीओ और राजनीतिक पार्टी के लोगों पर शक जताया गया था। पुलिस ने ये भी दावा किया था कि दंगा फैलाने में बाहरी लोग भी शामिल थे। बता दें कि यूपी सरकार ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों की पहचान कर उनकी संपत्ति बेचकर उसकी भरपाई करने का फैसला किया है।
इसे भी पढ़ें- भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर जमकर बरसीं मायावती, कहा-वो षड्यंत्रकारी, जबरन गया जेल