क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

CAA: क्या 60 बनाम 10 के डर से चुप्पी साधे हुए हैं अरविंद केजरीवाल? जानिए

Google Oneindia News

नई दिल्ली- नागरिकता संशोधन कानून के मसले पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी और खासकर उसके सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। धरना पॉलिटिक्स में एक्सपर्ट रहे केजरीवाल इस मसले पर फिलहाल बहुत ही सधी हुई चुप्पी साधे हुए हैं। जब जामिया में हिंसा भड़की थी तो उनके पार्टी के विधायक का भी नाम उछला था, डिप्पी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी विवाद को हवा देने की कोशिश की थी, लेकिन खुद केजरीवाल इस मामले पर कोई हार्ड लाइन लेने से बचने की कोशिश में दिखे हैं। दरअसल, जिस मामले पर पूरा विपक्ष देशभर में केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोशित दिख रहा है, उसमें केजरीवाल जैसे मोदी विरोधी की चुप्पी की असली वजह दो महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा का चुनाव है। केजरीवाल को लगता है कि इस मामले में कुछ भी बोलना उनके सारे किए-कराए पर पानी फेर सकता है। यूं कह लीजिए कि वह 60 बनाम 10 के संकट में उलझे हुए लग रहे हैं।

60 बनाम 10 के डर से चुप हैं केजरीवाल?

60 बनाम 10 के डर से चुप हैं केजरीवाल?

नागरिकता संशोधन कानून पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चुप्पी और सावधानी अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव की वजह से है। केजरीवाल के सामने ठीक चुनाव से पहले यह बहुत बड़ी मुसीबत आ गई है कि वह दिल्ली की 70 में से 60 विधानसभा सीटों का लोभ करें या फिर मुस्लिम वोट बैंक वाले 10 विधानसभा सीटों पर दांव लगाएं। यह फैसला लेना आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो जानते हैं कि इस मुद्दे पर जरा सा भी इधर-उधर करना उनका बना-बनाया खेल बिगाड़ सकता है। पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी से कहा है कि, 'अगर हम जोर-शोर से सीएए के खिलाफ हो रहे विरोध का समर्थन करते हैं तो माहौल ऐसा है कि समीकरण हिंदू-मुस्लिम में बदल जाएगा,जो मामले को और ज्यादा सांप्रदायिक बना देगा और चीजें और बिगड़ेंगी।' यही नहीं पार्टी को डर सता रहा है कि इससे दूसरा समुदाय भी नाराज हो सकता है, जो कि वर्तमान समय में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।

मुस्लिम प्रभाव वाली 10 सीटों की चिंता?

मुस्लिम प्रभाव वाली 10 सीटों की चिंता?

दिल्ली में मुसलमानों की आबादी करीब 13% है। 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 सीटों पर मुसलमानों की जनसंख्या या 40% या उससे भी ज्यादा है। ये सीटें पुरानी दिल्ली की बल्लीमारन, मटिया महल और चांदनी चौक समेत दक्षिणी दिल्ली की ओखला और उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सीलमपुर हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से इन सीटों में से एक भी बीजेपी नहीं जीत पाई है। इसके अलावा 5 और सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी 30% से 40% के बीच है। ये हैं- रिठाला, शाहदरा, सीमापुरी, बदरपुर और मुस्तफाबाद। पिछले सात वर्षों में आम आदमी पार्टी ने इन क्षेत्रों के मुसलमान मतदाताओं के बीच अपनी पैठ पक्की कर रखी है, जिसपर पहले कांग्रेस का एकाधिकार होता था।

मुस्लिम वोट को लेकर आप-कांग्रेस में खींचतान

मुस्लिम वोट को लेकर आप-कांग्रेस में खींचतान

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हाल में हुई हिंसा में भी जामिया और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में ही ज्यादा उपद्रव देखा गया है। गौर करने वाली बात ये है कि इन दोनों इलाकों में हिंसा के बाद आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं ने भी कांग्रेस के स्थानीय नेताओं पर निशाना साधा है। जाहिर है कि यहां मुस्लिम वोटरों पर दावेदारी को लेकर कांग्रेस और केजरीवाल की पार्टी के बीच काफी खींचतान नजर आती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि, दिसंबर 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जो 8 विधायक चुनाव जीते थे, उनमें से 4 मुसलमान थे। यानि, 2013 के चुनाव में मुस्लिम मतदाता दुविधा में नजर आए थे, लेकिन 2015 के चुनाव में आप उनकी पहली पसंद बन गई थी।

चुप रहकर ही निकालना चाहते हैं काम?

चुप रहकर ही निकालना चाहते हैं काम?

फरवरी 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से जो 67 सीटें जीती थीं, उनमें से मुस्लिमों के प्रभाव वाली 10 में से 9 सीटें शामिल थीं। जबकि, बीजेपी ने जो 3 सीटें हासिल की थीं, उसमें से सिर्फ मुस्तफाबाद की सीट मुसलमानों के प्रभाव वाली सीट थी। तब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने दावा किया था कि मुस्तफाबाद में मुस्लिम वोट इन दोनों पार्टियों के बीच बंट गए थे, जिसका फायदा भाजपा को मिल गया था। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल नागरिकता संशोधन कानून का आर्टिकल-370 की तरह न तो खुलकर समर्थन ही कर पा रहे हैं और न ही उसका विरोध ही कर पा रहे हैं, बल्कि उन्हें तो इस मामले पर चुप्पी साधे रखने में ही फिलहाल भलाई नजर आ रही है।

इसे भी पढ़ें- मध्य प्रदेश: CAA के खिलाफ कांग्रेस का शांति मार्च, कमलनाथ बोले- इस कानून के दुरुपयोग का ज्यादा डरइसे भी पढ़ें- मध्य प्रदेश: CAA के खिलाफ कांग्रेस का शांति मार्च, कमलनाथ बोले- इस कानून के दुरुपयोग का ज्यादा डर

Comments
English summary
Arvind Kejriwal is not openly opposing the Citizenship Amendment Act, as he wants to avoid letting the issue be Hindu-Muslim
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X