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प्रचार-प्रसार से दूर वो अफसर, जो चुपचाप लगा रहा मोदी के 'मिशन कश्मीर' में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का एक ऐतिहासिक फैसला ले लिया है।

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का एक ऐतिहासिक फैसला ले लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने और जम्मू कश्मीर राज्य के पुर्नगठन का प्रस्ताव पेश किया। सरकार के इस फैसले के बाद जहां जम्मू कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है, वहीं जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। इनमें से लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा रहेगी। इस बड़े और ऐतिहासिक फैसले में मोदी सरकार के एक अफसर ने अहम भूमिका निभाई।

कौन हैं वो अफसर, जिसने निभाई अहम भूमिका

कौन हैं वो अफसर, जिसने निभाई अहम भूमिका

मोदी सरकार के जिस अफसर ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले में अहम भूमिका निभाई, उनका नाम बीवीआर सुब्रमण्यम है। छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम इस समय जम्मू कश्मीर के प्रमुख सचिव हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खास अफसरों में शामिल बीवीआर सुब्रमण्यम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की सलाह पर जून 2018 में जम्मू कश्मीर का प्रमुख सचिव बनाया गया था। सूत्रों की मानें तो अजीत डोवाल और बीवीआर सुब्रमण्यम के बीच काफी अच्छा तालमेल है और जम्मू कश्मीर को लेकर आज लिए गए फैसले में इस तालमेल का बडा़ योगदान रहा। बीवीआर सुब्रमण्यम को प्रशासनिक सेवा का लंबा अनुभव है और वो तीन वर्ल्ड बैंक में सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं।

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जम्‍मू-कश्‍मीर को मिला विशेष राज्‍य का दर्जा खत्‍म

जम्‍मू-कश्‍मीर को मिला विशेष राज्‍य का दर्जा खत्‍म

आपको बता दें कि सोमवार सुबह करीब 11 बजे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 370 को खत्म करने प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया। गृहमंत्री अमित शाह जब प्रस्‍ताव पेश कर रहे थे तो उनका कहना था कि सरकार इसके जरिए एक एतिहासिक गलती को सुधार रही है। राष्‍ट्रपति के हस्‍ताक्षर के बाद अब यह कानून राज्‍य से हट गया है और जम्‍मू-कश्‍मीर को मिला विशेष राज्‍य का दर्जा खत्‍म हो चुका है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया है। वहीं, लद्दाख भी जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग होकर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। दरअसल, आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था, जिसके तहत राज्य को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे।

जम्मू कश्मीर में अब खरीद सकेंगे संपत्ति

जम्मू कश्मीर में अब खरीद सकेंगे संपत्ति

इस फैसले का सीधा मतलब है कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार मिलेगा भले ही वो एक ऐसे व्यक्ति से शादी करने का फैसला करें जो जम्मू और कश्मीर का रहने वाला नहीं है। इसके अलावा, विस्थापित कश्मीरी पंडित अब अपने वतन लौटने, अपना घर और दुकानें खरीदने के सपने को साकार कर सकते हैं। इस फैसले का असर सिर्फ इन दोनों पर ही नहीं होगा, बल्कि अब कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का हकदार है। धारा 370 पर फैसले के बाद नई व्यवस्था के लागू होने से राज्य के अंदर प्रॉपर्टी के रेट बढ़ेंगे और रियल इस्टेट बाजार में भी तेजी देखने को मिलेगी। पहले केवल राज्य का निवासी ही संपत्ति को खरीद सकता था और भारतीयों को संपत्ति खरीदने पर रोक थी। ऐसी स्थिति के कारण कश्मीर के लोगों को नौकरियों का नुकसान हुआ।

फैसले पर पाकिस्तान ने क्या कहा

फैसले पर पाकिस्तान ने क्या कहा

इस पूरे घटनाक्रम पर पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान के विदेश विभाग की ओर से भी बयान जारी किया गया है। विदेश विभाग की ओर से कहा गया है कि कश्‍मीर एक अंतरराष्‍ट्रीय विवाद है और पाकिस्‍तान इस गैरकानूनी कदम का जवाब देने के लिए हर विकल्‍प तलाशेगा। विदेश विभाग ने इसके साथ ही कश्‍मीर और यहां की जनता के हक की आवाज उठाने का अपना वादा दोहराया। पाकिस्तान के राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर आरिफ अल्‍वी के ऑफिस की तरफ से ट्विटर पर बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है, 'भारत ने जम्‍मू कश्‍मीर की स्थिति बदलने की एक कोशिश की है और यह यूएनएससी के प्रस्‍तावों और कश्‍मीर के लोगों की मर्जी के खिलाफ है।'

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English summary
BVR Subrahmanyam Key Role In Article 370 Decision.
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