म्यांमार की बहादुर जनता ने सेना के आतंक के युग को नकार दिया है: अमेरिका
अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों ने म्यांमार में शनिवार को हुई हिंसा की भर्त्सना की है. इस दौरान 90 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.
म्यांमार में शनिवार को 'ऑर्म्ड फ़ोर्सेज़ डे' के मौक़े पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच ज़बर्दस्त झड़पें हुई हैं. असिस्टेंस एसोसिएशन फ़ॉर पॉलिटिकल प्रिज़नर्स (एएपीपी) ने स्थानीय समयानुसार शनिवार शाम तक के आंकड़े जुटाकर बताया है कि सुरक्षाबलों की गोलियों से 90 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों ने म्यांमार में शनिवार को हुई हिंसा की भर्त्सना की है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट किया है, "बर्मा के सुरक्षाबलों के ज़रिए किए गए ख़ून-ख़राबे से हमलोग स्तब्ध हैं. ऐसा लगता है कि मिलिट्री जुनटा कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की ज़िंदगी क़ुर्बान कर देगी. मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूं. बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आंतक के युग को नकार दिया है."
https://twitter.com/SecBlinken/status/1375919200364036101
ब्रितानी राजदूत डेन चग ने एक बयान में कहा है कि ''सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है.'' अमरीकी दूतावास का कहना है कि सुरक्षाबल 'निहत्थे आम नागरिकों की हत्या' कर रहे हैं.
इससे पहले सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने शनिवार को नेशनल टेलीविज़न पर अपने संबोधन में कहा कि वे 'लोकतंत्र की रक्षा' करेंगे और वादा किया कि देश में चुनाव कराए जाएंगे. लेकिन चुनाव कब कराए जाएंगे, इस बारे में सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने कुछ नहीं बताया.
उन्होंने कहा कि सेना को सत्ता में आना पड़ा क्योंकि लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी गईं नेता आंग सांग सू ची और उनकी पार्टी ने 'ग़ैर-क़ानूनी कार्य' किए थे. उन्होंने ये नहीं बताया कि सेना को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने के आदेश दिए गए हैं या नहीं. हालांकि इससे पहले उन्होंने दावा किया था कि गोलियां प्रदर्शनकारियों की तरफ़ से चलाई जा रही हैं. म्यांमार को बर्मा के नाम से भी जाना जाता है. ये देश वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आज़ाद हुआ और उसके बाद अधिकतर वर्षों तक सैन्य शासन के अधीन रहा.
म्यांमार में इस साल फ़रवरी में सेना ने तख़्ता पलट किया और सत्ता पर क़ाबिज़ हो गई. तब से सेना विरोधी प्रदर्शनों में 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
सरकारी टेलीविज़न ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि लोगों को बीते दिनों हुई मौतों से सबक़ लेना चाहिए कि उन्हें भी सिर या पीछे से गोली लग सकती है.
शनिवार को म्यांमार में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जबकि सेना ने प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सख़्ती से पेश आने की चेतावनी पहले ही दे दी थी.
म्यांमार के प्रमुख शहरों ख़ासतौर पर रंगून में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने काफ़ी तैयारी की थी. एक पत्रकार ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=2bRfTjBfv8M
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