बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और सीरम इंस्टीट्यूट को बॉम्बे हाई कोर्ट का नोटिस
नई दिल्ली, 02 सितंबर। बाम्बे हाईकोर्ट ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को शुक्रवार को नोटिस जारी किया है। मामले को लेकर उच्च न्यायायाल में दायर एक याचिका आरोप लगाया गया है कि एक महिला की मौत कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव से हुई है। जिसके बाद वैक्सीन निर्माता और वितरण से जुड़ी दोनों कंपनियों से कोर्ट ने जवाब मांगा है।
साल 2020 में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की। ये साझेदारी भारत समेत अन्य दुनिया के दूसरे देशों के लिए कोविशील्ड टीकों की 100 मिलियन खुराक तक निर्माण और वितरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए की गई थी। जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के फाउंडेशन बिल एंड मेलिंडा गेट्स ने एक बड़ी भूमिका निभाई।
वहीं महाराष्ट्र के संभाजीनगर जिले (औरंगाबाद) के रहने वाले दिलीप लुनावत के अनुसार, उनकी बेटी धमनगांव के एसएमबीटी डेंटल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर और सीनियर लेक्चरर थी। उन्होंने कहा कि संस्थान के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसे लेने के लिए कहने के बाद उनकी बेटी को टीका लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
हाईकोर्ट में दायर याचिका में दिलीप लुनावत ने कहा कि उनकी बेटी को आश्वस्त किया गया था कि टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इससे उनके शरीर को कोई खतरा या खतरा नहीं है। याचिका में लूनावत ने कहा कि डॉ सोमानी और गुलेरिया ने कई इंटरव्यू दिए और लोगों को आश्वस्त किया कि टीके सुरक्षित हैं। उन्होंने 28 जनवरी, 2021 से अपनी बेटी का टीका प्रमाण पत्र भी संलग्न करते हुए कहा कि 1 मार्च, 2021 को 'कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव' के कारण उनके बेटी की मौत हो गई। याचिका में अन्य प्रतिवादियों में भारत संघ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, डॉ वीजी सोमानी, ड्रग कंट्रोलर जनरल और एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया पर आरोप लगाए गए हैं।
दिलीप लूनावत ने कहा कि वो अपनी बेटी को न्याय देना चाहते हैं और ऐसे लोगों के लिए भी वो ये लड़ाई लड़ रहे हैं जिनकी वैक्सीन दुष्प्रभाव से मौत हुई है। मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की मौत कोविशील्ड के साइड इफेक्ट के कारण हुई थी। याचिकाकर्ता ने अपने नुकसान के मुआवजे के रूप में 1000 करोड़ रुपये की मांग की।