ब्लॉगः #HerChoice क्या होता है जब औरतें अपनी मर्ज़ी से जीती हैं?
आम धारणा से अलग, भारत की युवा और अधेड़ औरतें चुपचाप अपने रिश्तों और अपनी ज़िंदगी में ग़दर मचा रही हैं. बीबीसी की विशेष सीरीज़ #HerChoice में जानिए ऐसी 12 बेबाक कहानियां.
'तुम, जो पत्नियों को अलग रखते हो, वेश्याओं से
और प्रेमिकाओं को अलग रखते हो, पत्नियों से
कितना आतंकित होते हो
जब स्त्री बेखौफ भटकती है, ढूंढती हुई अपना व्यक्तित्व
एक ही साथ वेश्याओं और पत्नियों और प्रेमिकाओं में!'
क़रीब 40 साल पहले मश्हूर हिंदी कवि आलोक धन्वा ने जब अपनी कविता, 'भागी हुई लड़कियां' में ये पंक्तियां लिखीं तो हम-तुम को ही संबोधित कर रहे थे.
सच ही तो है, जब स्त्री बेख़ौफ़ भटकती है तो हम-तुम कितना आतंकित हो जाते हैं.
पर क्या आप जानते हैं, इससे स्त्रियों का भटकना रुका नहीं है!
कुछ आपने आंखें बंद कर रखी हैं, नज़र फेर ली है और कुछ स्त्रियों ने अपनी ज़िंदगी में क्रांति चुपचाप ला दी है.
तो हमने सोचा कि इस छिपे ग़दर पर रौशनी डाली जाए.
अगर ये नौ महिलाएं न होती तो...
12 सच्ची कहानियां
आपकी मुलाकात भारत की उन स्त्रियों से करवाई जाए जो सामाजिक दायरों को लांघकर, अपनी ख़्वाहिशों और चाहत को तरजीह देकर अपना व्यक्तित्व ढूंढ रही हैं.
ये स्त्रियां हम-तुम के बीच ही रह रही हैं. भारत के उत्तर, पूर्वोत्तर, दक्षिण, पश्चिम, शहरी, ग्रामीण - वो अपनी मर्ज़ी #HerChoice से जी रही हैं.
आनेवाले डेढ़ महीने में हम अलग-अलग तबके और इलाक़े की 12 स्त्रियों की बेबाक कहानियां लाएंगे.
वादा है कि ये कहानियां आपको ज़रूर चौंकाएंगी. भारत में युवा और अधेड़ स्त्रियों के बारे में आपकी समझ और सोच का दायरा बहुत बड़ा कर देंगी.
बताएंगे एक ऐसी स्त्री की कहानी जिसे शादी के बाद पता चला कि उनका पति नपुंसक है. ना शारीरिक संबंध बना सकता है ना प्यार करने का इच्छुक है.
उस मर्द ने तो समाज के दबाव में झूठ बोलकर शादी की, पर उस अधूरे रिश्ते में क्या किया इस स्त्री ने?
एक ऐसी लड़की भी है, जिसके ग्रामीण मां-बाप ने उसके पैदा होने के बाद, अपने प्रेम संबंधों के लिए, उस बच्ची को छोड़ दिया.
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आज़ाद ख़्याल स्त्रियां
समलैंगिक रिश्तों के बारे में खूब सुना-पढ़ा है पर क्या कभी दो औरतों को बिना किसी प्रेम संबंध के दशकों तक साथ रहते देखा है?
मिलना चाहेंगे ऐसी दो आज़ाद ख़्याल पंछियों से?
तलाक़शुदा स्त्री को अक़्सर बेचारी के चश्मे से देखनेवालों के लिए वो कहानी ख़ास होगी जो उन्हें ऐसी स्त्री से मिलवाएगी जिसने पति के प्यार को खोने के बाद ही ख़ुद से प्यार औ ख़ुद की इज़्ज़त करना सीखा.
कहानियां तो उन स्त्रियों की भी बहुत दिलचस्प हैं जिन्होंने अपनी पसंद से अकेले रहने का फ़ैसला किया.
शादी ना करने का वो मुश्किल फ़ैसला जो हमेशा परिवार और समाज से जंग जीतने से कम नहीं.
और वो खुश हैं.
कोई अकेले मज़े में है.
किसी ने बच्ची को गोद लिया और उसे अकेले बड़ा करने में मशगूल है.
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लिव-इन रिलेशनशिप में मां बनना
कोई तो इससे भी दिलेर है और अपने लिव-इन रिलेशनशिप में गर्भवती होने के बाद, और उस रिश्ते के टूटने की सूरत में भी उस बच्चे को रखने का फ़ैसला कर अकेले पाल रही है.
ऐसी स्त्री की कहानी भी होगी जिसने मां-बाप के दबाव में शादी की पर उस रिश्ते में सिर्फ़ पति की हिंसा मिली. कैसे निबटी वो इससे? क्या उस रिश्ते में बनी रही? या तोड़ने का साहस कर पाई?
पति पिटाई ना करे मगर प्यार भी ना करे, तो क्या? क्या नीरस शादी में रस भरने का कोई उपाय है? क्या पत्नी और मां की भूमिका में घरेलू स्त्री अधूरा महसूस कर सकती है?
अगर वो किसी ग़ैर मर्द के साथ से उसे पूरा करने की हिम्मत करे तो?
अपने ही पति से भागने का मन क्यों करता है स्त्रियों का? ऐसी कहानी भी मिलेगी जो इसकी वजह भी बताएगी और रिश्ता तोड़े बग़ैर, उसमें सांस लेने की जगह बनाने का स्त्री का ढूंढा रास्ता भी दिखलाएगी.
स्त्री अगर विकलांग है तो मर्द और उसके परिवार की नज़र में 'संपूर्ण' कैसे बने?
एक ऐसी ही स्त्री की कहानी में शादी से पहले रिश्ता बनाने की हिम्मत और फिर उस रिश्ते में अपनी क्षमताओं पर भरोसा दिलाने की जद्दोजहद मिलेगी.
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सबल स्त्री की कहानी
कम पढ़ी-लिखी पर सबल स्त्री की वो कहानी भी हम लाएंगे जो एक ग़ैर-ज़िम्मेदार पति के साथ रह रही है. वो कमाता नहीं है और ज़बरदस्ती शारीरिक रिश्ता बनाता है.
बच्चों की पैदाइश पर रोक नहीं है, स्त्री का शरीर कमज़ोर होता जा रहा है पर रिश्ता तोड़ने का साहस भी नहीं है.
क्या करती है ऐसी स्त्री? उसकी ख़्वाहिश क्या है और उसके पास रास्ता क्या है?
बीबीसी की विशेष सीरीज़ #HerChoice में आनेवाले हर शनिवार-रविवार को आराम से पढ़िएगा ये 12 बेबाक कहानियां.
और सोचिएगा.
सोचना और समझना सबसे ज़रूरी है.
क्योंकि जान लीजिए ये हम-तुम के बीच ही हो रहा है.
कोई सोच रही हैं, कोई कर पा रही हैं.
और ये उन्हें जानने का मौका है.
जैसे अपनी कविता, 'भागी हुई लड़कियां' में कवि आलोक धन्वा ने आगे लिखा है...
'कितनी-कितनी लड़कियां, भागती हैं मन ही मन
अपने रतजगे, अपनी डायरी में
सचमुच की भागी लड़कियों से, उनकी आबादी बहुत बड़ी है...'