लोकसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना में खुलकर बगावत, इन सीटों पर फंसा पेंच
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में अपने मतभेद भुलाकर बीजेपी-शिवसेना ने आगामी लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव के लिए भी गठबंधन कर लिया है। लेकिन गठबंधन होने के बाद भी कुछ सीटों को लेकर बीजेपी-शिवसेना के नेता आमने सामने हैं। इससे दोनों भगवा पार्टियों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ सियासी बयानबाजी भी हो रही है। आने वालों लोकसभा चुनाव में इसके और भी बढ़ने के संकेत हैं। गौरतलब है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं विधानसभा चुनाव में सहयोगियों दलों को छोड़ने के बाद जो सीटें बचेंगी उस पर दोनों पार्टियां बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लडे़ंगी।
शिवसेना भाजपा में मतभेद
दोनों दलों के बीच बगावत के संकेत तब मिले थे जब 19 फरवरी को मावल के कुछ पार्षदों ने सूबे के सीएम देवेंद्र फडनवीस से शिवनेरी में मुलाकात की थी। इस मुलाकात में उन्होंने शिवसेना ये सीट वापस लेने की मांग की थी। इस सीट पर अभी शिवसेना के सांसद हैं। पिछले महीने की शुरुआत में इन पार्षदों ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस सीट पर शिवसेना के मौजूदा सांसद श्रीरंग बारणे की शिकायत की थी। वो पिछले कुछ समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य सरकार की खुलकर आलोचना करते थे। अमरावती सीट में चुनाव से पहले ही वहां के शिवसेना सांसद आनंदराव विठोबा अडसुल को बीजेपी की जिला इकाई के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अडसुल अमरावती सीट से दो बार से सांसद हैं। बीजेपी का कहना है कि वो संसदीय क्षेत्र में अनुपस्थित रहते हैं। बीजेपी नेता सारंग कामतेकर का कहना है किअडसुल अपने बेटे से चुनाव प्रचार करवा रहे हैं, जो 2014 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। बीजेपी सूत्रों की मानें तो गठबंधन पर मुहर लगने से पहले ही कामतेकर की पत्नी सीमा सावले को पार्टी ने अमरावती सीट पर चुनाव प्रचार शुरू करने के लिए कह दिया था। बता दें कि अमरावती महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आती है, जहां राज्य के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना के नेताओं की अलग-अलग राय है।
सीटों को लेकर टकराव
भाजपा के एक और नेता और मुंबई शहर के प्रमुख आशीष शैलार का शिवसेना के साथ मतभेद है। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने सीएम फडनवीस की उपस्थिति में बयान दिया था कि बीजेपी मुंबई की सभी छह सीटों पर जीत हासिल करेगी। मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। साल 2016 में शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के मौजूदा किरीट सोमैया पर तब हमला किया था, जब उन्होंने बृहन्मुंबई नगर निगम में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कार्यक्रम किया था। वहीं जालना लोकसभा सीट पर शिवसेना कोटे से राज्य सरकार में मंत्री अर्जुन खोतकर ने बीजेपी के मौजूदा सांसद रावसाहेब दानवे के खिलाफ ने मोर्चा खोल रखा है। 30 जनवरी को उन्होंने ऐलान किया है कि वे लोकसभा चुनाव में दानवे के खिलाफ मैदान में उतरेंगे। इतना ही नहीं दोनों पार्टियों में गठबंधन होने के एक दिन बाद भी उन्होंने अपनी बात दोहराई। उन्होंने कहा था कि वो बीजेपी का घमंड तोड़ने के लिए यहां से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा हमारी ताकत से यहां से जीतती है। लेकिन उनका व्यवहार बेहद खराब है।
बारामती सीट पर शिवसेना एनसीपी के साथ
बारामती में 15 दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पवार परिवार से ये सीट छीनने की बात कही थी। लेकिन लेकिन शिवसेना की तरफ से इस सीट पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी गई। यहां से एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले मौजूदा सांसद हैं। ठाकरे परिवार के शिवसेना से अच्छे संबंध हैं। कोंकण में पूर्व शिवसेना नेता नारायण राणे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है। अब वो महाराष्ट्र स्वाभिमानी पक्ष के नाम से नई पार्टी चला रहे हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि वे शिवसेना के उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतरेंगे। उन्होंने हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। जिससे अटकलें हैं कि वे मुंबई में एनसीपी के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। वहीं अहमदनगर से बीजेपी सांसद के खिलाफ शिवसैनिक एकजुट हो रहे है। दिसंबर 2018 में पार्षद चुनाव के दौरान एनसीपी के साथ बीजेपी के हाथ मिलाना इसकी वजह है।