भाजपा के इस दांव से सचिन पायलट का सियासी सफर खतरे में
नई दिल्ली। राजस्थान चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने टोंक विधानसभा सीट से यूनुस खान को मैदान में उतारा है, वह इस चुनाव का सबसे निर्णायक फैसला साबित होने वाला है। इसकी बड़ी वजह यह है कि टोंक सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट भी मैदान में है। एक तरफ जहां युनूस खान वसुंधरा राजे के काफी गरीबी माने जाते हैं और वह मौजूदा सरकार में परिवहन मंत्री हैं। माना जाता है कि राजस्थान सरकार के तमाम फैसलों में यूनुस खान का दखल रहता है, इसकी बड़ी वजह है कि वह वसुंधरा राजे के काफी करीबी है। यूनुस खान राजस्थान में भाजपा के एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हैं और वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। ऐसे में सचिन पायलट के लिए यूनुस खान काफी मुश्किल चुनौती हो सकते हैं।
मुस्लिम बाहुल्य टोंक सीट
यूनुस खान डीडवाना से भाजपा विधायक हैं, लेकिन इस बार उन्हें सचिन पायलट के खिलाफ भाजपा ने मैदान में उतारा है। दरअसल टोंक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है ऐसे में माना जा रहा है कि यूनुस खान यहां बड़ा पलटफेर कर सकते हैं। सचिन पायलट की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि पहले वह चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे और अब पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा है तो उनके सामने भाजपा ने ऐसा उम्मीदवार उतारा है जिसके सामने सचिन पायलट की चुनौती काफी बढ़ गई है।
आसान नहीं है पायलट का जीतना
एक तरफ जहां कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन पायलट कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें ऐसी चुनौती मिल रही है जहां उनका चुनाव जीत पाना आसान नहीं लग रहा है। टोंक में भाजपा पहले मौजूदा विधायक अजित सिंह मेहता को मैदान में उतारना चाहती थी, लेकिन सचिन पायलट के यहां मैदान में उतरने के बाद पार्टी ने फैसला बदलते हुए यूनुस खान को मैदान में उतार दिया। ऐसे में सचिन पायलट के लिए यहां से चुनाव जीतना इसलिए भी काफी मुश्किल है क्योंकि यूनुस लोगों में काफी लोकप्रिय हैं और टोंक में मुस्लिम आबादी अधिक है।
निर्दलीय उम्मीदवार बचा सकते हैं लाज
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मतभेद सियासी धड़े में पहले से ही उजागर हैं, ऐसे में जिस तरह से सचिन पायलट मझधार में फंसे हैं उसके बाद गहलोत खेमे में खुशी जरूर होगी। लेकिन अगर सचिन पायलट को कांग्रेस इस चुनाव में बेहतर स्थिति में देखना चाहती है तो वह कोशिश करेगी कि अधिक से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे, जिससे कि यूनुस खान का वोट कटे और इसका सीधा फायदा सचिन पायलट को हो।
हार बदल देगा भविष्य की राजनीति
लेकिन अगर इन सब के बावजूद अगर पायलट चुनाव में हारते हैं तो और कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह पार्टी लिए सबसे बड़ा झटका होगा कि उनका संभावित सीएम उम्मीदवार चुनाव हार गया। यही नहीं सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेता के लिए 2019 की राह भी काफी मुश्किल हो सकती है। ऐसे में चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट को सीएम की रेस से बाहर होना पड़ सकता है, जोकि गहलोत खेमे के लिए अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह खतरे की घंटी हो सकती है।
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