बीजेपी को मिला 743 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा, कांग्रेस को मिली कुल रकम से तीन गुना
नई दिल्ली। दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल और केंद्र में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी को वित्त वर्ष 2018-19 में 20,000 रुपये से अधिक का 743 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। यह राशि कांग्रेस समेत छह राष्ट्रीय दलों को प्राप्त हुई चंदे की राशि से तीन गुना अधिक है। पार्टी को चंदे की यह राशि इस साल मई में हुए लोकसभा चुनावों से पहले मिली थी। भाजपा ने चंदे की जानकारी 31 अक्टूबर को चुनाव आयोग में दी थी, जिसे सोमवार को सार्वजनिक किया गया। कांग्रेस को चुनावी दान में 147 करोड़ रुपये मिले हैं। यह राशि भाजपा को मिले चंदे का सिर्फ पांचवा हिस्सा ही है। भाजपा को साल 2018-19 में सबसे ज्यादा दान प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट द्वारा दिया गया। इसने भाजपा को 357 करोड़ की राशि चंदे में दी।
भाजपा को मिला अब तक का सर्वाधिक चंदा
चुनाव सुधारों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, भाजपा को पिछले 16 सालों में मिला यह सबसे ज्यादा चंदा है। कांग्रेस को मिला 147 करोड़ का चंदा भी पिछले 16 सालों का सर्वाधिक है, लेकिन दोनों पार्टियों के मिली रकम में बड़ा फर्क है। इससे पहले 2017-18 में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 16 गुणा अधिक चंदा मिला था, जो इस बार कुछ कम हुआ है।
टाटा के ट्रस्ट ने दिया 356 करोड़
भारतीय जनता पार्टी की तरफ चुनाव आयोग में दिए हलफनामे के मुताबिक, उसे सबसे ज्यादा चंदा टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रोल ट्रस्ट ने दिया है। भाजपा ने बताया कि टाटा समूह के ट्रस्ट ने उन्हें 356 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जबकि भारत के सबसे अमीर ट्रस्ट प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 54.25 करोड़ रुपये दान में दिए। प्रूडेंट ट्रस्ट में भारती समूह, हीरो मोटोकॉर्प, जुबिलेंट फूडवर्क्स, ओरिएंट सीमेंट, डीएलएफ, जेके टायर्स सहित अन्य कॉर्पोरेट सेक्टर से फंड मिलता है।
क्या है चंदे का नियम
नियमों के मुताबिक, भारत में राजनीतिक पार्टियों को 20,000 रुपये से ज्यादा के चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देना जरूरी है। हालांकि, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला चंदा इस नियम के तहत नहीं आता। साथ ही पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड देने वाले दानकर्ता का नाम बताना भी जरूरी नहीं है। भाजपा को 2018-19 वित्त वर्ष में मिली चंदे की यह रकम अब तक उसके लिए सबसे ज्यादा है। बाकी पार्टियां उससे काफी पीछे हैं।