बीजेपी नीतीश कुमार को 'बड़ा भाई' मानने को तैयार
नई दिल्ली। बिहार के सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच 2019 आम चुनाव को लेकर हाल में एक अहम बैठक हुई। इस मीटिंग के बाद अमित शाह ने जनता दल यूनाइटेड के अलग जाने की अटकलों पर यह कहते हुए विराम लगा दिया कि एनडीए के साथ नीतीश कुमार की पार्टी का रिश्ता अटूट है। हालांकि, खुद नीतीश कुमार ने अमित शाह के साथ हुई मीटिंग से पहले सभी विकल्प खुले रखते हुए कहा था कि बीजेपी उन्हें कितनी सीटें ऑफर करती है, इस बात पर सबकुछ निर्भर करेगा और पार्टी तय करेगी कि आगे करना है। अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच क्या बातचीत हुई, इस बारे में तो कोई जानकारी अभी तक मीडिया में आई नहीं है, लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर के हवाले से एक बड़ा आया है। सीपी ठाकुर ने न्यूज चैनल एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि हमें नीतीश जी को बड़ा भाई मानने में कोई दिक्कत नहीं है। वह बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं, ऐसे में उन्हें एनडीए का चेहरा मानने में हमें कोई परेशानी नहीं है।
नीतीश कुमार को 'बड़ा भाई' मानने का मतलब आखिर है क्या
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में नीतीश कुमार 17 पर लड़ना चाहते हैं, जबकि वह 17 सीटें बीजेपी और 6 अन्य साथियों को देने के लिए राजी हैं। दूसरी ओर बीजेपी नेताओं का तर्क है कि 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर 22 सीटें जीतकर आई थी, जबकि 9 सीटें उसके सहयोगी जीते थे। 2014 में नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर लड़े थे और जदयू को मात्र दो लोकसभा सीटों पर जीत नसीब हुई थी। ऐसे में बीजेपी नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार की पार्टी को आखिर किस आधार पर 17 लोकसभा सीटें दे दी जाएं। दूसरी ओर नीतीश कम पर मान नहीं रहे हैं। जाहिर है ऐसे में अमित शाह ने कोई न कोई तो फार्मूला नीतीश कुमार को दिया होगा। अब ऐसा कौन सा फार्मूला है, जिसमें ज्यादा सीटें नीतीश कुमार न दी जाएं, उसके बाद भी वह बड़े भाई बने रहें, यह तो वक्त के साथ ही पता चलेगा।
सीपी ठाकुर का बयान से मिल रहे रिश्तों में मिठास के संकेत
जदयू और बीजेपी के बीच पिछले काफी समय से रिश्ते काफी तल्ख चल रहे हैं। नौबत यहां तक आ गई कि कई बार खुलकर मीडिया में भी बयानबाजी हुई, लेकिन अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता चुप हैं। दूसरी ओर सीपी ठाकुर का नीतीश कुमार को 'बड़े भाई' कहना, बताता है कि अमित शाह और नीतीश कुमार मिलकर खिचड़ी पका रहे हैं। अब यह खिचड़ी कब तक पक पाती है, यह देखने वाली बात होगी।
बीजेपी और जदयू दोनों के पास है विकल्पों की कमी
नीतीश कुमार को महागठबंधन से अलग होकर एनडीए का दामन थामे हुए अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है। यह बात सच है कि नीतीश कुमार ने बीते कुछ हफ्तों से संबंधों में अलगाव के भी संकेत दिए, लेकिन इसे सीट शेयरिंग के लिए दबाव के तौर पर भी देखा जा सकता है। हकीकत यह है कि अब महागठबंधन में नीतीश कुमार वापसी इतनी आसान नहीं है। लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे उनके लिए नो एंट्री का बोर्ड दिखा रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी भी यह जानती है कि 2014 जैसी मोदी लहर 2019 में मुश्किल नजर आ रही है, ऐसे में सहयोगियों को साथ लेकर चलने में ही भलाई है