J&k का सियासी मकड़जाल: राज्यपाल का भी नहीं पता, रहेंगे या जाएंगे?
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में इधर बीजेपी ने सरकार से समर्थन वापस लिया और उधर सीएम महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा को इस्तीफा सौंप दिया। मतलब बीजेपी-पीडीपी एलायंस की सरकार गिर गई। इसके कुछ देर बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला राज्यपाल के पास गए। मुलाकात के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने पत्रकारों को बताया कि उनकी पार्टी किसी के साथ सरकार नहीं बनाएगी। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लगाने को कहा। बीजेपी पहले से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुकी है। दूसरी ओर कांग्रेस पीडीपी को समर्थन न देने का ऐलान पहले ही कर चुकी है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन ही अंतिम विकल्प है। जाहिर है इस स्थिति में पूरा फोकस राज्यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा/एनएन वोहरा पर आ गया है। 82 साल के पूर्व आईएएस एनएन वोहरा 2008 से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं।
28 जून को खत्म हो रहा है एनएन वोहरा का कार्यकाल
जम्मू-कश्मीर गवर्नर के तौर पर उनका दूसरा कार्यकाल 28 जून को खत्म हो रहा है। उन्हें तीसरा कार्यकाल मिलेगा या नहीं? इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह सच है कि चार दिन पहले ही उन्हें बदले जाने को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट में अटकलें लगाई गई थीं। ऐसे में जम्मू-कश्मीर की स्थिति बेहद पेचीदा नजर आ रही है। बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार गिर चुकी है। नई सरकार बनने की संभावना बेहद कम हैं। ऐसे में जिम्मेदारी जिस गवर्नर पर है, वो खुद कार्यकाल के अंतिम दिनों में है। तो क्या जल्द ही जम्मू-कश्मीर के नए गवर्नर का ऐलान हो सकता है? या एक बार फिर एनएन वोहरा को एक्सटेंशन मिल जाएगा? या एनएन वोहरा को कुछ और हफ्ते या महीने का एक्सटेंशन मिलेगा? सवाल बड़े गहरे हैं और जवाब अब तक किसी के पास नहीं है। ऐसे में समर्थन वापसी के बीजेपी के फैसले की टाइमिंग को लेकर भी राजनीतिक पंडितों में बड़ी चर्चा है।
पिछले साल एनएन वोहरा ने दिए थे पद छोड़ने के संकेत
2017 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने पद छोड़ने के संकेत दिए थे। उस वक्त खबरें आई थीं कि उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि उनकी जगह किसी और को प्रदेश का राज्यपाल बनाया जाए। वोहरा जम्मू-कश्मीर के इकलौते ऐसे राज्यपाल हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने दूसरा कार्यकाल दिया था। 25 जून, 2008 में उन्हें यूपीए सरकार के दौरान राज्यपाल नियुक्त किया गया था और फिर साल 2013 में उन्हें एक्सटेंशन दिया गया था। वोहरा प्रदेश के 12वें राज्यपाल हैं। 2008 में उन्होंने एसके सिन्हा की जगह ली थी। राज्यपाल बनने से पहले 2003 में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त किया गया था।
उलझ गई है जम्मू-कश्मीर की स्थिति
कुछ दिनों पहले ऐसी खबरें आई थीं, जिनमें कहा गया था कि राज्यपाल एनएन वोहरा को एक्सटेंशन मिल सकता है, क्योंकि अमरनाथ यात्रा जल्द शुरू होने वाली है। ऐसे में देखना होगा कि आखिर जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल बने रहते हैं या बदलते हैं, बदलते हैं तो कौन एनएन वोहरा की जगह लेगा? क्योंकि अब राज्यपाल के ही कंधों पर जम्मू-कश्मीर की पूरी जिम्मेदारी आ गई है।