राज्यसभा में अमित शाह: मोदी ने ऐसे कराई थी अपने चाणक्य की बीजेपी में एंट्री
नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहली बार राज्यसभा में कदम रखेंगे। मंगलवार रात उन्होंने राज्यसभा चुनाव जीता। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाांधी के बेहद करीबी अहमद पटेल की जीत ने शाह की विजय का मजा थोड़ा किरकिरा कर दिया। अहमद पटेल की हार के लिए अमित शाह ने जो रणनीति बनाई थी, वह कारगर तो ही गई थी, लेकिन किस्मत ने ऐन मौके पर यू-टर्न मार लिया। अहमद पटेल की जीत अमित शाह की गिनी-चुनी हारों में एक है, जो उन्हें लंबे वक्त तक सालती रहेगी। अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि वह आसानी से न तो हार मानते हैं और न ही आसानी से हार को भुलाते हैं।
बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव की हार के बाद वह लंबे समय समय तक दुखी रहे थे। बिहार चुनाव की हार ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था। वह इतने दुखी हुए थे कि चुनाव में हार की खबर मिलते ही सीधे अपनी मां की तस्वीर के सामने पहुंचे और मौन होकर खड़े हो गए थे। ऐसा ही अमित शाह का चरित्र, वह दिन-रात काम करने वाले गिने-चुने नेताओं में एक हैं। शायद ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि वह बूथ लेवल कार्यकर्ता से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचे हैं और आज पार्टी के चाणक्य के तौर पर जाने जाते हैं। आइए बताते हैं आपको अमित शाह का राजनीतिक सफरनामा और कैसे हुई उनकी नरेंद्र मोदी से पहली मुलाकात।
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अमित शाह और नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात अहमदाबाद में हुई थी। मोदी उस वक्त आरएसएस के प्रचारक थे। दोनों बचपन से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। हालांकि, दोनों की आर्थिक पृष्ठभूमि में काफी अंतर रहा। मोदी गरीब परिवार में पैदा हुए तो वहीं शाह गुजरात के बेहद संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं। गुजरते समय के साथ जब दोनों युवा हुए तो दोनों ने अलग-अलग राह पकड़ ली। मोदी जहां सब कुछ छोड़ते हुए ज्ञान की तलाश में हिमालय की ओर चले गए, वहीं दूसरी तरफ शाह संघ से जुड़े रहते हुए शेयर ट्रेडिंग तथा प्लास्टिक के पाइप बनाने का अपना पारिवारिक व्यापार कर रहे थे।
नरेंद्र मोदी जब 80 के दशक में गुजरात लौटे तो एक बार फिर उनकी मुलाकात अमित शाह से हुई। शाह ने मोदी से भाजपा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद मोदी अपने प्रिय अमित शाह को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के पास पहुंचे। इस तरह नरेंद्र मोदी के कहने पर अमित शाह की बीजेपी में एंट्री हुई।
अमित शाह 1983 में एबीवीपी के लीडर बने थे। इसके बाद साल 1986 में वह बीजेपी से जुड़े। इसके एक वर्ष बाद ही नरेंद्र मोदी बीजेपी में शामिल हुए थे। इस लिहाज से देखें तो बीजेपी में अमित शाह अपने गुरु नरेंद्र मोदी से एक साल पहले आ गए थे।
अमित शाह ने 1991 में लोकसभा चुनावों के दौरान वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के लिए गांधी नगर में प्रचार किया। 1995 में गुजरात में पहली बार बीजेपी ने सरकार बनाई थी। उस वक्त केशुभाई पटेल ने सीएम पद संभाला था। यही वक्त था जब मोदी और शाह ने मिलकर गुजरात के उन ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को मजबूत बनाया, जहां कांग्रेस के गढ़ थे।
ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को मजबूत करने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह का काम पार्टी हाईकमान की नजर में आया और गुजरात बीजेपी में बढ़ती गुटबाजी को रोकने के लिए अक्टूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद मोदी और शाह ने मिलकर सरकार में भी काम किया।
2002 में जब गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए तो अमित शाह ने अहमदाबाद की सरखेज सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें बड़ी जीत मिली। साल 2007 में फिर उन्होंने सरखेज से चुनाव लड़ा और एक बार वह विजयी रहे। इसके बाद अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक चुनाव जीते। 2014 लोकसभा चुनाव में जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय पटल पर आए तो अमित शाह का भी कद बढ़ा। इसके बाद तो अमित शाह ने बीजेपी को वहां-वहां जीत दिलाई जहां कभी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की भी हिम्मत नहीं करती थी।