पापियों की गंगा बनी भाजपा, यहां आकर दागी नेता धो रहे हैं अपने पाप
बेंगलुरु। पिछली सरकार में केन्द्र में बैठी मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहीम छेड़ीउसी का परिणाम था कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत मिली। इसके पहले 2014 में भी जब भाजपा का वोट इसीलिए मिला कि बाकी राजनीतिक पार्टियों की तुलना में भाजपा की छवि साफ पाक थी। पी चिदंबरम समेत अन्य नामीगिरामी लोगों पर कानून का शिकंजा कसने पर जनता को सुकून आया था कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती है, गलत व्यक्ति को सजा दिलाती है ना कि उसे बचाती है।
लेकिन लोगों को अब भाजपा की फितरत में कुछ बदलाव सा दिख रहा है। दरअसल, भाजपा के सत्ता में आने के बाद बहुत सारी पार्टियों के नेताओं में अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। इन नेताओं में वह भी हैं, जिन्हें कल तक भाजपा ही भ्रष्ट कहती थी। कुछ पर तो मुकदमे तक चल रहे थे, यहां तक की ईडी और सीबीआई तक का शिंकजा कस रहा था, लेकिन इसी बीच कई दागी नेताओं को भाजपा में शरण दे दी। हद तब हो गयी जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) ने पश्चिमी महाराष्ट्र के फलटण विधानसभा क्षेत्र से दीपक निकालजे को मैदान में उतारा है जो जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के भाई हैं।फलटन विधानसभा सीट को अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का गढ़ माना जाता है. चेंबूर के इसी इलाके से ब्लैक मार्केटिंग से छोटा राजन ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। छोटा राजन फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है। दीपक निकालजे अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का छोटा भाई है। 51 साल का दीपक सदाशिव निकालजे मुंबई के घाटकोपर में रहता है। उसने 10वीं तक की पढ़ाई की है। 2014 के चुनावी हलफनामे में उसने अपना पेशा व्यवसाय बताया है। चुनाव आयोग को उसने 17 करोड़ से ज्य़ादा की संपत्ति का ब्यौरा दिया है। 2009 में उसने अपनी कुल संपत्ति 3 करोड़ 91 लाख बताई थी।
दीपक निकालजे के कारनामे
दीपक निकालजे ने 2014 के चुनावी हलफनामे में अपने ऊपर चल रहे तीन मुकदमों की जानकारी दी है। सभी में उसे जमानत मिली हुई है। ज्यादातर मामले संपत्ति को लेकर धोखाधड़ी, जालसाजी, दंगा करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, गलत नीयत से एक जगह भीड़ इकट्ठा करने और आपराधिक साजिश रचने के हैं। इसके अलावा 2018 में दीपक निकालजे के खिलाफ रेप का एक मुकदमा काफी चर्चित रहा। 22 साल की एक महिला ने दीपक के खिलाफ शादी का झांसा देकर रेप और यौन शोषण किए जाने का मामला दर्ज करवाया था। महिला ने दावा किया था कि 18 साल की उम्र में वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी। उस वक्त उसे पैसों की जरूरत थी. उसी दौरान वो दीपक निकालजे के संपर्क में आई। महिला को लगा कि स्थानीय नेता होने के कारण दीपक उसकी नि:स्वार्थ भाव से मदद कर रहा है। महिला ने बताया था कि दीपक ने 4 वर्षों तक पैसों से उसकी मदद की। फिर शादी का नाम लेकर वो उसका शारीरिक शोषण करने लगा।
मुकुल रॉय भी स्वयं को साफ पाक बनाने के लिए भाजपा में हुए थे शामिल
3 नवंबर 2017 को को मुकुल रॉय ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। इससे पहले जब तक वह तृणमूल कांग्रेस में थे, वह शारदा घोटाले के आरोपी थे। सीबीआई से लेकर ईडी तक उनके पीछे हाथ धोकर पड़े थे, पूछताछ तक हो चुकी थी, लेकिन अब वो सब बीती बातें हो गई हैं। जैसे ही उन्होंने भाजपा में कदम रखा, उन्हें सरकार की तरफ से वाई प्लस सुरक्षा दे दी गई। खैर, भले ही वह शारदा घोटाले से बच गए हों, लेकिन नारद टेप स्कैंडल में सीबीआई उनसे अभी भी पूछताछ करती रहती है। ये देखना दिलचस्प रहेगा कि वह नारद टेप स्कैंडल से कब तक बाइज्जत बरी होते हैं। वैसे भाजपा भी ये अच्छे से जानती है कि मुकुल रॉय के दामन में दाग हैं। सभी जानते हैं कि मुकुल रॉय दागी हैं, जो भाजपा में शामिल होकर खुद को पाक साफ बनाना चाहते हैं।
पूर्व आरोपी हेमंत बिस्वा शर्मा भी भाजपा के चहेते
असम में 2016 में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। इससे कुछ समय पहले अगस्त 2015 में हेमंत बिस्वा शर्मा ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का साथ ले लिया था। आज वो असम सरकार में मंत्री भी हैं। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस छोड़ने से महज महीने भर पहले 21 जुलाई 2015 को ही भाजपा ने एक बुकलेट जारी की थी। उसमें साफ कहा गया था कि वॉटर सप्लाई स्कैम का प्रमुख संदिग्ध गुवाहाटी डेवलपमेंट डिपार्टमेंट है। बता दें कि उस समय इस विभाग के प्रभारी हेमंत बिस्वा शर्मा ही थे। इस प्रोजेक्ट में लुईस बर्जर कंपनी की सेवाओं पर सवाल उठे थे। यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट की जांच में यह खुलासा भी हुआ था कि अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी लुईस बर्जर ने असम के कुछ बड़े अफसरों और नेताओं को घूस खिलाकर ठेका हासिल किया था। खैर, अब उनके दामन पर दाग नहीं हैं। आखिरकार उन्हीं की बदौलत तो असम में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने भी उनकी मेहनत पर उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद दे दिया।
हिमाचल राजनीति के चाणक्य सुखराम और उनके बेटे अनिल
अक्टूबर 2017 में हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम भाजपा में शामिल हो गए थे। अपने साथ वह अपने बेटे अनिल शर्मा को भी भाजपा ले गए। आपको बता दें कि सुखराम का नाम दुरसंचार घोटाले में सामने आया था, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया. अब सुखराम के भाजपा में शामिल होते ही उन पर लगे सारे आरोप खत्म से हो गए हैं। दिलचस्प है कि भाजपा ने दूरसंचार घोटाले में शामिल सुखराम मामले पर करीब दो सप्ताह तक संसद नहीं चलने दी थी। भाजपा प्रवक्ता के तौर पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा दिया- 'सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं। जो बीत गई, वह बात गई। कानून अपना काम करेगा'। भाजपा वाकई अब गंगा ही बन गई, जिसमें डुबकी लगाते ही सबके पाप धुल जाते हैं।
भाजपा में शामिल हुए नितेश राणे
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे गुरुवार को आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए। बताया जा रहा है कि नितेश एक बार फिर कंकावली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए नितेश राणे कंकावली सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. साल 2014 में नितेश राणे ने इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज की थी. नितेश ने 25 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। आपको पिछले दिनों वायरल हुआ एक वीडियो जरूर याद होगा, जिसमें एक सरकारी अधिकारी को पुल से बांधा गया और उस पर कीचड़ फेंका गया। ये सब किया था नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने। कीचड़ भले ही सरकारी अधिकारी पर फेंका गया था, लेकिन उसके छीटे नारायण राणे के दामन पर भी पड़े। यही वजह है कि बेटे की गलती के लिए पिता पूर्व मुख्यमंत्री नरायण राणे को भी माफी मांगनी पड़ी।
एनडीए का हिस्सा नारायण राणे पर भी चल रहा मुकदमा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे काफी समय से भाजपा में आने के चक्कर में थे।सितंबर 2017 में ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी और अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष शुरू की, जो आज एनडीए का हिस्सा है। 2018 में उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया और राज्य सभा में नॉमिनेट भी हो गए। महाराष्ट्र चुनाव से पहले एक बार फिर ये चर्चा हो रही थी कि वह 1 सितंबर को भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन शिवसेना को ये रास नहीं आया। यानी वह भाजपा के साथ तो हैं, लेकिन भाजपा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। शिवसेना में रहते हुए राणे 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। भाजपा उन्हें इसलिए अपनी पार्टी में लेना चाहती है क्योंकि मराठा समुदाय के राणे की कोंकण क्षेत्र में तगड़ी पकड़ है और भाजपा इस बात का चुनावी फायदा उठाना चाहती है। नारायण राणे की जब भी बात होती है तो आदर्श घोटाला जेहन में घूमने लगता है आरोप है कि वह उस घोटाले में शामिल थे। उस दौरान राणे भाजपा-शिवसेना की सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर थे। इस मामले में उन पर मुकदमा भी चल रहा है अब जब भी बात होती है नारायण राणे की तो विरोधी पार्टियां भाजपा को ये कहकर कोसती हैं कि वह आदर्श घोटाले के आरोप को पार्टी में शामिल कर रहे हैं। हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में भी महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नारायण राणे को लेकर पार्टी को बचाते हुए सफाई देनी पड़ी थी।
बुक्कल नवाब भी कानूनी शिकंजे से पाक निकल गए
एक वक्त ऐसा भी था जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में बुक्कल नवाब की तूती बोलती थी। सरकार सत्ता से क्या गई, उन्हें अपने रुतबे में कमी होती दिखने लगी। देखते ही देखते उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और अगस्त 2017 में भाजपा में शामिल हो गए। जब तक वह समाजवादी पार्टी में थे, वह लखनऊ में रिवर फ्रंट मामले में भ्रष्टाचार के आरोपी थे। आरोप था कि उन्होंने अपनी जमीन के बदले गलत तरीके से 8 करोड़ रुपए लिए। लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उन पर लगे सारे आरोप ये कहते हुए खारिज कर दिए गए कि वह एक राजनीतिक साजिश का शिकार हो रहे थे, जिसके जरिए उनकी छवि को जनता के बीच में धूमिल किए जाने की कोशिश की जा रही थी। अब वह हर वो कोशिश कर रहे हैं, जिससे वह भाजपा की आंख के तारे बन जाएं। वह हिंदुत्व के एजेंडे से पार्टी को आगे ले जाने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं। वैसे भी, पार्टी ने उनके लिए जो किया है, उसका अहसान तो चुकाना ही होगा।