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BBC INNOVATORS: मिलिए बांध बनाने वाली एक महिला से

मुंबई की अमला रुइया 71 साल की हैं, लेकिन पानी बचाने को लेकर उनका जज़्बा काबिले तारीफ़ है.

By BBC News हिन्दी
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पानी भरने जाती महिलाएं
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पानी भरने जाती महिलाएं

71 साल की अमला रुइया को कम कर के आंकना भले ही आसान लगता हो लेकिन मुंबई की अमला, बांध बनाने के मामले में दुनिया के कुशल लोगों में से एक हैं.

वो भारत में सूखे की समस्या से लड़ने वालों में सबसे अग्रणी लोगों में से एक हैं.

भारत में हर साल करीब तीस करोड़ लोगों को पानी की कमी के संकट से गुज़रना पड़ता है.

हाल के सालों में मॉनसून ने बहुत निराश किया है. इसकी वजह से सरकार को खेतों और गांवों तक ट्रेन और टैंकर से पानी पहुंचाना पड़ा है.

कई लोग पानी की कमी की वजह से मर चुके हैं क्योंकि उन्हें पानी के लिए सबसे नज़दीक के कुंए तक पहुंचने के लिए भी कई किलोमीटर तक पैदल जाना होता है.

भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान भी सूखे की मार झेलने वाले राज्यों में है.

अमला रुइया और उनकी संस्था आकार चैरिटेबल ट्रस्ट यहीं अपना काम कर रही है.

पिछले 10 सालों में उन्होंने 200 से ज़्यादा बांधों का निर्माण किया है. इसने 115 से अधिक गांवों की ज़िंदगी पूरी तरह बदल दी है और दूसरे 193 गांवों को प्रभावित किया है.

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पानी पीता बच्चा
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पानी पीता बच्चा

प्राचीन पद्धति

अमला का ट्रस्ट स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ऐसी जगह की तलाश करता है जहां किसी जलाशय की तरह पानी इकट्ठा किया जा सकता है.

मानव निर्मित जलाशय की बजाए वे पहाड़ी क्षेत्र के प्राकृतिक ढांचों का इस्तेमाल पानी इकट्ठा करने के लिए करते हैं. जब मॉनसून आता है तो इनमें पानी भर जाता है. सूखे के मौसम में गांवों के नज़दीक चट्टानी जलाशयों और कुओं में पानी बचा रह जाता है.

कम लागत में यह ज़्यादा प्रभावकारी हैं और बड़े-बड़े बांधों की तुलना में इनके निर्माण में बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन भी नहीं होता है.

अमला रुइया का कहना है कि, "यह कोई नया समाधान नहीं है. हमारे पूर्वज इसी तरीके को अपनाए हुए थे."

आकार चैरिटेबल ट्रस्ट के इंजीनियर द्रिगपाल सींघा कहते हैं, "जो संरचना हम तैयार करते हैं उसमें सिर्फ बीच में ही कंक्रीट की दीवार होती है. जब पानी का स्तर बढ़ता है तो आसानी से एक तरफ से पानी बह जाता है. दूसरी दीवारें कच्ची मिट्टी की बनी हुई होती हैं."

वो आगे बताते हैं, "जब पानी भर जाता है तो पानी रिसना शुरू होता है और वो बगल के सभी कुंओं में पानी के स्तर को बढ़ा देता है."

प्राकृतिक ढांचों का इस्तेमाल पानी इकट्ठा करने के लिए होता है
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प्राकृतिक ढांचों का इस्तेमाल पानी इकट्ठा करने के लिए होता है

ट्रस्ट का प्रबंधन

ट्रस्ट हर एक बांध के लिए 60 फ़ीसदी संसाधन मुहैया कराती है और बाकी के 40 फ़ीसदी वो स्थानीय लोगों को मुहैया कराने को कहती है.

चूंकि इन छोटे-छोटे बांधों के रख-रखाव की ज़रूरत पड़ती है इसलिए स्थानीय लोगों के निवेश से इसके ऊपर उनका मालिकाना हक हो जाता है. इसलिए कभी ट्रस्ट नहीं भी रहता है तो उसका फायदा स्थानीय लोगों को मिलता रहेगा.

अमला रुइया शुरुआती दिनों के बारे में बताती हैं, "गांव वाले हम पर यक़ीन करने के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें लगता था कि हमारा कोई छुपा हुआ मकसद है इसके पीछे."

अमला रुइया और आकार चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य स्थानीय लोगों के साथ
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अमला रुइया और आकार चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य स्थानीय लोगों के साथ

ट्रस्ट का दावा है कि लोगों के जीवन पर इन बांधों का जबरदस्त प्रभाव पड़ा है.

जहां पहले लोगों को जीने के लिए टैंक के पानी पर निर्भर रहना पड़ता था. वहीं, अब किसान तीन-तीन फसलें उगा रहे हैं और मवेशी पाल रहे हैं.

अमला रुइया कहती हैं कि लड़कियां अब घर में रहने के बजाए स्कूल जा रही हैं. पहले उनकी माएं पानी की तलाश में दूर-दूर तक जाती थीं इसलिए उन्हें घर पर रहना पड़ता था.

हर साल आकार चैरिटेबल ट्रस्ट स्थानीय लोगों के साथ मिलकर औसतन 30 बांधों का निर्माण कर रही है लेकिन अमला रुइया इसे बढ़ाकर 90 बांध हर साल की दर से करना चाहती है. वो दुनिया भर में इन छोटे-छोटे बांधों के बारे में बताना भी चाहती हैं.

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल कदम कहते हैं कि यह समाधान लेकिन हर किसी के लिए नहीं है.

वो कहते हैं, "ये बांध स्थानीय लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होंगे और यह मौसमी फसलों के उत्पादन में कारगर भी होंगे. लेकिन इसकी सीमाएं भी हैं. यह पूरे भारत के लोगों के लिए कारगर नहीं हो सकते हैं क्योंकि भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भौगोलिक संरचनाएं हैं."

अमला रुइया कहती हैं कि लेकिन यह अभियान रुकने वाला नहीं है.

वो कहती हैं, "मैंने अपने पति से एक बार कहा था कि मैं 90 साल की उम्र तक इन बांधों की देखभाल करती रहूंगी. तब मेरे पति ने कहा था कि अगले तीस सालों तक तुम क्या करोगी क्योंकि तुम तो 120 साल की उम्र तक काम करती रहने वाली हो."

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की यह सेवा बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सौजन्य से है.

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English summary
BBC INNOVATORS Meet a woman who builds the dam
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