अयोध्या केस: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने माना था राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान, अब लिया यू-टर्न
नई दिल्ली। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर दिए गए अपने पहले बयान से यू-टर्न ले लिया है। अयोध्या मामले में 31वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि वो राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नहीं मानते। बोर्ड का कहना है कि वे केवल 1885 के कोर्ट का आदेश बता रहे हैं और सुन्नी वक्फ बोर्ड का स्टैंड वही है जो मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने रखा है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का यू-टर्न
मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा कि वो मानते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था लेकिन कहां, वे नहीं बता सकते। वहीं, जिलानी ने 1862 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें जन्मस्थान को अलग मंदिर बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि राम कोट भगवान राम का जन्मस्थान है। इस दौरान जस्टिस बोबड़े ने कहा, 'उनके गजेटियर में कहा गया है कि राम चबूतरा ही राम जन्मस्थान है और केंद्रीय गुंबद से 40-50 मीटर दूर है।' जिलानी ने कहा कि ये उनका विश्वास है, हमारा नहीं।
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बोर्ड ने कहा, वे कोर्ट के आदेश का हवाला दे रहे थे
इसके पहले, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान रोमांचक मोड़ आया। जब विवादित भूमि पर मस्जिद होने का दावा कर रहे मुस्लिम पक्ष ने पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के सामने माना था कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है। कोर्ट की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, हां, वे स्वीकार करते हैं कि राम चबूतरा राम जन्मस्थान है क्योंकि फैजाबाद की जिला अदालत इस बारे में फैसला दे चुकी है।
31वें दिन जारी है सुनवाई
जफरयाब जिलानी ने अदालत में कहा था कि 1886 में जिला जज ने भी अपने फैसले में राम चबूतरा को राम का जन्मस्थान मानते हुए वहां पूजा करने की इजाज़त दी थी। हालांकि अदालत ने हिन्दुओं को वहां मालिकाना हक नहीं दिया था। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दोनों पक्षों से कहा है कि 18 अक्टूबर तक बहस पूरी करें। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई में तेजी आई है।