भाजपा ने जीत के लिए यहां भी अपना लिया पार्टी तोड़फोड़ का फॉर्मूला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक शर्मा को अपने पाले में खींचने के बाद भाजपा ने एक और समर्थक विधायक को पार्टी से जोड़ लिया है।
शिमला। चुनाव निकट आते देख भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस पार्टी में तोड़फोड़ करने का फॉर्मूला अपना लिया है। अभी दो दिन पहले कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता दीपक शर्मा को अपने खेमें में मिलाया ही था कि आज भाजपा ने एक ओर मास्टरस्ट्रोक खेलते हुये वीरभद्र सरकार को समर्थन दे रहे चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा को भी भगवा रंग में रंग दिया।
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भाजपा के हुए निर्दलीय विधायक बलबीर
शिमला जिला के चौपाल चुनाव क्षेत्र से निर्दलीय विधायक बलवीर वर्मा ने हजारों समर्थकों सहित रविवार को भाजपा में शामिल हुये । चौपाल के नेरवा में आयोजित महासम्मेलन के दौरान बलवीर वर्मा अपने समर्थकों सहित भाजपा में शामिल हुए हैं। साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बलबीर वर्मा द्वारा बनाए गए चौपाल विकास मंच का भी भाजपा में विधिवत विलय किया गया। बलवीर वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता हासिल की। नेरवा में जिस तरीके से बलबीर वर्मा ने भीड़ जुटाई थी, उससे रविवार को ही साफ हो गया कि वर्मा न केवल भाजपा का टिकट आसानी से ले लेंगे, बल्कि चुनावों में भी करिश्मा दिखा सकते हैं।
कांग्रेस के लिए झटका
बलवीर वर्मा का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं है। शिमला जिला में सीएम वीरभद्र सिंह का दबदबा रहा है। लेकिन अब यहां नमो-नमो की गूंज उठने लगी है। यही वजह है कि अब कयास लगाये जा रहे हैं कि अब कई और कांग्रेसी विधायक भी कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहने के मूड में हैं। व भाजपा ने उनके लिये दरवाजे खोल रखे हैं।
चौपाल
से
निर्दलीय
के
रूप
में
चुने
गए
विधायक
वर्मा
वर्तमान
में
कांग्रेस
के
एसोसिएट
मेंबर
हैं।
वर्मा
के
बीजेपी
में
जाने
से
निश्चित
रूप
से
कांग्रेस
को
झटका
लगा
है।
यूं
तो
बलबीर
वर्मा
के
भाजपा
में
जाने
की
पटकथा
काफी
पहले
लिख
दी
गई
थी,
लेकिन
उपयुक्त
समय
का
इंतजार
किया
जा
रहा
था।
जो
रविवार
को
पूरा
हो
गया
।
भाजपा नेताओं के संपर्क में थे विधायक
बताया जा रहा है कि विधानसभा के शीतकालीन प्रवास के दौरान धर्मशाला में बलबीर वर्मा की भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई थी, उसके बाद से वर्मा भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। कुछ दिनों पहले वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से भी मिले थे और उसके बाद इनके भाजपा में शामिल होने का रास्ता साफ हुआ । लेकिन वे किस रूप में भाजपा में शामिल हुये हैं, यह अभी तय नहीं हुआ है। यूं तो वर्मा विधायक दल के सहयोगी सदस्य भी रह सकते हैं। क्योंकि ऐसी स्थिति में उनका विधायक पद भी सुरक्षित रहेगा। भाजपा सदस्य बनने से पद जाने का खतरा है। क्योंकि निर्दलीय जीते विधायक किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं बन सकते।
फिलहाल कांग्रेस सरकार को खतरा नहीं
ताजा घटनाक्रम में हिमाचल की वीरभद्र सिंह सरकार को तो कोई खतरा नहीं हैं। लेकिन यह सब सरकार के लिए झटका जरूर है। क्योंकि वह अभी तक कांग्रेस विधायक दल के सहयोगी सदस्य हैं। वैसे बीजेपी ने बलबीर वर्मा समेत अन्य तीनों निर्दलीय विधायकों के खिलाफ कांग्रेस सदस्य की तरह कार्य करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के पास भी केस दायर किया है और उसका अभी तक फैसला आना बाकी है।
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