2019 में NDA यूपी में जीतेगा 74 सीटें! अमित शाह के बयान का Analysis
नई दिल्ली। यूपी के मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन किए जाने के मौके पर रविवार को आयोजित रैली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष को खुली चुनौती दे डाली। रैली में आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'देशभर में भ्रम फैलाया जा रहा है कि सपा-बसपा इकट्ठा होंगे, बुआ-भतीजा इकट्ठा होंगे तो उत्तर प्रदेश में क्या होगा? क्या होगा, बताइए तो जरा? अगर बुआ, भतीजा और राहुलजी हाथ मिलाते हैं तो यूपी में हमारी लोकसभा सीटों की संख्या 73 से घटकर 72 नहीं होगी, बल्कि 74 हो जाएंगी।' क्या है संभव है? क्या 2019 में मोदी लहर 2014 से भी ज्यादा प्रचंड होगी या विपक्ष के चक्रव्यूह को भेदने के लिए कोई नया प्लान अमित शाह के पास है?
अमित शाह के 74 सीटें जीतने वाले बयान के पीछे हो सकती हैं सिर्फ ये वजह
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए को 74 सीटें मिलने की जो बात कही, उसे दो तरीके से लिया जा सकता है। नंबर एक- चुनाव से पहले हर पार्टी सीटों के बारे में बढ़चढ़कर दावा करती है, तो अमित शाह ने भी कर दिया। नंबर दो- वाकई अमित शाह के पास 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का रण जीतने के लिए कोई ऐसा खास प्लान है, जिससे बसपा-सपा-कांग्रेस-आरएलडी को एक साथ हराया जा सकता है? यही दो संभावित बातें अमित शाह के बयान से निकलकर आती हैं। इनमें पहले विकल्प पर तो चर्चा करना ही बेकार है, क्योंकि अगर उन्होंने चुनाव पूर्व रस्मअदायगी के तौर पर कुछ कह दिया तो उस पर क्या बात की जाए, लेकिन दूसरा विकल्प चर्चा के योग्य है। आखिर कौन सी संभावित रणनीति है, जिसके दम पर एनडीए 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 74 लोकसभा सीटें फतह करने जा रहा है।
अमित शाह के दावे का मतलब आखिर है क्या
यूपी में 74 सीटें जीतने के दावे का मतलब यह हुआ कि 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस-सपा-बसपा-आरएलडी के हिस्से सिर्फ 6 सीटें ही आएंगी। आखिर यह कैसे संभव होगा? सपा-बसपा-कांग्रेस-आरएलडी को 2014 में मात दे चुके अमित शाह कहीं अमर सिंह को हथियार बनाकर तो 74 सीटें हासिल नहीं करना चाहते हैं। खबर चल रही है कि अमर सिंह नई पार्टी बनाने जा रहे हैं, पश्चिमी यूपी के एक बड़े नेता को साथ मिलाकर। ऐसा हुआ तो सपा और बसपा में टूट का दौर शुरू हो सकता है। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव पहले शख्स होंगे जो अमर सिंह की पार्टी में जाकर बगावत का बिगुल बजाएंगे। मायावती की पार्टी तो पहले से ही टूट की शिकार है। लेकिन अभी कुछ पुष्ट नहीं है। अमर सिंह ने कोई आधिकारिक ऐलान भी नहीं किया है, लेकिन मोदी-योगी के लिए काम करने की बात जरूर वह कह चुके हैं।
सपा-बसपा के वोट बैंक को एड्रेस करने के लिए बीजेपी ने चले हैं कई सियासी दांव
अमर सिंह की नई पार्टी के कयासों के बीच बीजेपी दलित-पिछड़े वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने एक साथ चार अचूक अस्त्र चले हैं। पहला- एससी-एसटी एक्ट को यथावत रख लोकसभा में विधेयक पेश किया। दूसरा- बसपा संस्थापक, दलित नेता और मायावती गुरु कांशीराम को भारत रत्न देने की तैयारी और तीसरा- सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में 22.5 फीसदी आरक्षण की पुरजोर वकालत। चौथा- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दिलवाना। अब सवाल यही है कि क्या अमित शाह 2019 में भी जातिगत समीरकणों की व्यूह रचना कर विपक्ष को बांधने में सफल रहेंगे या नहीं?