Endangered Species Day: राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस आज, जानें क्यों ये दिन है खास
नई दिल्ली, 21 मई: पहले इंसान जंगलों में रहता था, लेकिन फिर उसका विकास हुआ और उसने रहने के लिए शहरों का निर्माण किया। इसके बाद इंसान की लालच बढ़ती चली गई। जिस वजह से उसने जंगलों का दोहन शुरू कर दिया। इसका सीधा असर उसमें रहने वाले जीवों पर पड़ा, जिस वजह से जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर पहुंच गईं। हालांकि अब सरकारें इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं, ऐसे में हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों के बारे में जागरुक करना है।
दरअसल 1960-70 के दशक में जंगलों में निगरानी कम हो पाती थी, इसलिए बहुत ज्यादा शिकारी सक्रिय थे। इसके बाद कई देशों की सरकारों ने इस पर गंभीरता से विचार किया और इसको लेकर तमाम कानून बनाए। इन कानूनों के जरिए जानवरों के शिकार पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई। हालांकि आज भी चोरी-छिपे जंगली जानवरों का शिकार जारी है, जिस वजह से गोरिल्ला, चीता, स्नो लेपर्ड समेत कई प्रजातियों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है। इसको देखते हुए 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक अधिनियम पारित कर लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए विशेष दिवस मनाने की बात कही थी। जिसके बाद से हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है।
3 हजार साल बाद ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर लौटा ये खतरनाक जानवर, महामारी ने कर दिया था विलुप्त
शिकार
के
अलावा
भी
हैं
कई
कारण
जंगलों
में
शिकारियों
पर
काफी
हद
तक
लगाम
तो
लग
गई,
लेकिन
जीव-जन्तुओं
के
सामने
एक
और
बड़ी
समस्या
अभी
भी
खड़ी
है,
वो
है
प्रदूषण।
कुछ
साल
पहले
आपको
आसमान
में
गौरेया,
चील,
गिद्ध
जैसे
कई
पक्षी
बड़ी
संख्या
में
दिखाई
देते
थे।
आज
पर्यावरण
प्रदूषण
और
मोबाइल
टॉवरों
की
वजह
से
इनकी
संख्या
बहुत
ही
कम
बची
है।
समुद्र
में
भी
यही
हाल
है।
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
12.7
टन
कचरा
समुद्र
में
मिल
रहा
है।
जिस
वजह
से
कई
समुद्री
प्रजातियां
उन्हें
खा
रही
हैं
और
वो
भी
विलुप्ति
की
कगार
पर
पहुंच
गई
हैं।