भारत में बनेगा जहरीले सांप वाइपर के जैसा दिखने वाला फाइटर जेट F-16
नई दिल्ली। फ्रांस की राजधानी पेरिस में चल रहे एरो शो से भारत के लिए एक ऐसी खबर आई है, जो दुश्मन को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है। अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने टाटा के साथ करार किया है और इस करार के बाद दुनिया का सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट भारत में ही तैयार होगा। आपको बता दें कि यह वही फाइटर जेट है जो पहले पाकिस्तान को मिलने वाले थे लेकिन आखिरी मौके पर अमेरिका ने अपना इरादा बदल लिया था। आइए आपको बताते हैं कि इस फाइटर जेट की खासियतें क्या हैं और क्यों यह जेट दुनिया की कई सेनाओं का फेवरिट है।
अब यूएस एयरफोर्स का हिस्सा नहीं
इस जेट की पहली फ्लाइट वर्ष 1974 में रिकॉर्ड हुई थी। इसी वर्ष रिचर्ड निक्सन अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे। एफ-16 को दुनिया का सबसे एडवांस और खतरनाक जेट माना जाता है। हालांकि अब यूएस एयरफोर्स इस जेट को नहीं खरीदती है लेकिन फिर भी इसे दूसरे देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
वाइपर के जैसा दिखता एफ-16
ज्यादातर पायलट्स एफ-16 को 'वाइपर' भी कहते हैं क्योंकि इसका आगे की हिस्सा वाइपर जैसा दिखता है। वाइपर दुनिया का सबसे जहरीला सांप माना जाता है। इस फाइटर जेट को दुनिया की 24 देशों की सेनाएं प्रयोग कर रही है।
अब तक कितने एफ-16
वर्ष 1974 में इसकी पहली उड़ान दर्ज हुई तो वर्ष 1976 से इसका उत्पादन शुरू हुआ। तब से लेकर अब तक कंपनी लॉकहीड मार्टिन 4,500 से ज्यादा एफ-16 जेट्स का निर्माण कर चुकी है।
तेजस की प्रेरणा
तेजस जो कि भारत का लाइट कॉम्बेट फाइटर जेट है, आप एफ-16 को उसकी प्रेरणा मान सकते हैं। इस फाइटर जेट का निर्माण भी हल्के फाइटर जेट्स तैयार करने वाले कार्यक्रम के तहत हुआ था। यूएस एयरफोर्स उस समय एफ-15 का प्रयोग कर रही थी जोकि काफी महंगा था। इसलिए एक छोटे और सस्ते जेट के निर्माण का फैसला किया गया।
उड़ान के समय पायलट कर सकते हैं आराम
जी हां, एफ-16 दुनिया का पहला ऐसा फाइटर जेट था जिसमें साइड माउंटेड कंट्रोल स्टिक का प्रयोग किया गया था। इस स्टिक की मदद से पायलट फ्लाइंट के दौरान अपने हाथों को आराम दे सकते हैं। इसकी वजह से हाई रेंज में फ्लाइंग के समय जेट पर उनका बेहतर नियंत्रण रहता है।
फ्लाइंग के समय आसपास का नजारा
एफ-16 दुनिया का पहला ऐसा फाइटर जेट बन गया था जिसमें बिना फ्रेम वाली बबल कैनोपी, यानी कॉकपिट की छत बनाई गई थी। इसकी वजह से पायलट दूसरी साइड पर 40 डिग्री तक नीचे की ओर देख सकता है। साथ ही वह अपनी नाक के 15 डिग्री नीचे तक भी आसानी से देख सकता है।
फ्लाई बाई वायर कंट्रोल सिस्टम
एफ-16 में इंस्टॉल फ्लाई बाई वायर कंट्रोल सिस्टम भी अपने तरीके का पहला सिस्टम है। इसकी वजह से पायलट हाई रेंज में आसानी से किसी भी दिशा में मुंड सकता है। साथ ही जिस दिशा में पायलट जाना चाहे, उसे डायरेक्शन मिलते रहते हैं।
बिना स्टैंड के 80% जेट खुल जाता है
एफ-16 को प्रयोग करना बहुत आसाना है। इस जेट के 80% एक्सेस पैनल को बिना सीढ़ी या फिर स्टैंड का प्रयोग किए हुए खोला जा सकता है।
ऑटोमैटिक कंट्रोल वाले विंग्स
इस जेट के विंग का एक चैंबर है जो कि फ्लाइ बाइ वायर सिस्टम से कंट्रोल होता है और इसकी वजह से ऊंचाई पर फ्लाइंग के समय इसकी गतिशीलता बढ़ जाती है।