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सिकंदर: 32 साल की उम्र में सबसे बड़े साम्राज्य की स्थापना करने वाला नौजवान

अपनी बुलंदी के दौर में, सिकंदर का साम्राज्य पश्चिम में यूनान से लेकर पूर्व में आज के पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक़ और मिस्र तक फैला हुआ था.

By BBC News हिन्दी
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सिकंदर
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उनमें बचपन से ही कुछ ऐसी क्षमताएँ थी कि देखने वालों को लगता था कि उन्हें इतिहास में एक असाधारण व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा.

महज 12 साल की उम्र में उन्होंने एक जंगली और बिगड़ैल घोड़े को काबू में कर लिया था. यह ब्युसीफेलस नाम का एक विशाल और जंगली घोड़ा था, जो बाद में लगभग जीवन भर उस बच्चे का साथी रहा.

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यह बच्चा बड़ा होकर अलेक्ज़ेंडर द ग्रेट यानी सिकंदर महान कहलाया और प्राचीन दौर की सबसे प्रसिद्ध शख़्सियतों में एक बन गया.

मेसिडोनिया के रहने वाले सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ था. मेसिडोनिया उत्तरी यूनान से बाल्कन तक फैला हुआ इलाक़ा था. उनके पिता की उनके ही एक सुरक्षा गॉर्ड ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद एक नए राजा के बनने का संघर्ष शुरू हुआ.

इस संघर्ष में उन्होंने अपने सभी विरोधियों का सफाया कर दिया और 20 साल की उम्र में राजा बन गए. इसके बाद सिकंदर ने 12 वर्षों तक शासन किया. उन्होंने अपने सैनिकों के साथ 12 हज़ार मील की विजय यात्रा की.

सिकंदर के दौर के चांदी के सिक्के
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सिकंदर के दौर के चांदी के सिक्के

मध्य एशिया तक यूनानी संस्कृति

उन्होंने उस समय फारस साम्राज्य के राजा डेरियस तृतीय को हराया और मध्य एशिया तक यूनानी संस्कृति का प्रसार किया.

अपनी बुलंदी के दौर में, सिकंदर का साम्राज्य पश्चिम में यूनान से लेकर पूर्व में आज के पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक़ और मिस्र तक फैला हुआ था. सिकंदर को इतिहास में सबसे प्रभावशाली और कुशल नेताओं और सैन्य कमांडरों में से एक माना जाता है.

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सिकंदर से पहले, मेसिडोनिया केवल एक भौगोलिक क्षेत्र का नाम था, लेकिन यह क्षेत्र मज़बूती से जुड़ा हुआ साम्राज्य नहीं था. हालांकि, सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने इस क्षेत्र को एक संयुक्त राज्य की शक्ल दी थी.

सिकंदर की माँ ओलंपियास उनके पिता फिलिप द्वितीय की तीसरी या चौथी पत्नी थीं और इसलिए महत्वपूर्ण थीं, क्योंकि उन्होंने परिवार में पहले लड़के को जन्म दिया था. यानी सिकंदर के रूप में उन्होंने राज्य को उत्तराधिकारी दिया था.

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अरस्तू से शिक्षा

ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी में क्लासिक्स की लेक्चरर रेचल मायर्स का कहना है कि सिकंदर को उस समय की सबसे अच्छी शिक्षा दी गई थी. जब वे 13 वर्ष के थे, तो उनके शिक्षकों में अरस्तू जैसे महान दार्शनिक शामिल थे.

"सिकंदर ने अरस्तू से यूनानी संस्कृति पर आधारित शिक्षा प्राप्त की. इसीलिए उन्हें दर्शनशास्त्र पढ़ाया गया था और सभी शिक्षित यूनानियों की तरह, उन्हें भी इलियाड और ओडिसी जैसी कविताएँ लिखने वाले प्राचीन यूनानी कवि होमर पर महारत हासिल थी."

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"होमर की कविता इलियाड सिकंदर के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी. युद्ध के दौरान, वह इस कविता के कुछ हिस्सों को अपने तकिए के नीचे रखकर सोते थे."

इलियाड एक महाकाव्य है, जिसमे ट्रॉय शहर और यूनानियों के बीच युद्ध के अंतिम वर्ष की कहानी बताई गई है. सिकंदर और इस कहानी के नायक एक्लेस के बीच एक मज़बूत मानसिक संबंध बन गया था.

इसके अलावा वह यूनान के दिव्य चरित्र हरक्यूलिस से भी बहुत प्रभावित थे, और युद्ध के दौरान ये पात्र उनके दिमाग़ में थे.

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बेमिसाल शासक

सिकंदर पर जीवन भर अरस्तू के शिष्य होने का प्रभाव रहा. रिचेल मायर्स कहती हैं, "आप शायद ये सोचें कि अरस्तू के पास यह एक बड़ा मौक़ा था, कि वह यूनानी अभिजात वर्ग के एक अक्खड़ लड़के को एक बेमिसाल शासक में बदल सकते थे."

"पूरी तरह से तो ऐसा नहीं हुआ, लेकिन जिस तरह सिकंदर यूनानी राज्यों के साथ व्यवहार करते थे, उसमे अरस्तू की दी हुई शिक्षाओं का बड़ा प्रभाव था. एक घटना इस शिक्षा को ज़ाहिर करती है."

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"वह यूनान के कोरिन्थ शहर में प्रसिद्ध दार्शनिक डायोजनीज से मिलने के लिए गए थे, ताकि उनके काम के लिए उन्हें शुभकामनाएँ दे सकें. जब सिकंदर वहाँ पहुँचे, तो डायोजनीज बैठे हुए थे.

"सिकंदर ने डायोजनीज से पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं. जवाब में, डायोजनीज ने कहा, "सामने से हट जाओ क्योंकि तुम्हारी वजह से सूरज की रोशनी मुझ तक नहीं आ रही है."

सिकंदर का इस जवाब को बर्दाश्त करना अरस्तू की शिक्षा का ही परिणाम था.

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सिकंदर की कमज़ोरियाँ

सिकंदर के सत्ता में आने के बारे में बताते हुए, बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में क्लासिक्स की प्रोफेसर डायना स्पेंसर कहती हैं, "जैसा कि हम जानते हैं कि सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की कई पत्नियाँ थी, जिनमे से एक क्लियोपेट्रा नाम की महिला भी थी. जिन्होंने सिकंदर और उनकी माँ के लिए मुश्किल पैदा कर दी थीं."

"माँ और बेटे दोनों को ये लगने लगा था कि वे पूरी तरह से मेसिडोनिया का ख़ून नहीं हैं. ये सच्चाई उनकी गरिमा को भी ठेस पहुँचा रही थी और राजनीतिक रूप से भी नुक़सानदेह थी. सिंहासन तक पहुँचने की लड़ाई में सिकंदर की ये कमज़ोरियाँ थीं.

डायना स्पेंसर का कहना है कि फिलिप द्वितीय की नई पत्नी क्लियोपेट्रा, नई रानी बन सकती थी और उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती थी, जो फिलिप के बाद राजा बनने की दौड़ में शामिल थे. इस वजह से, क्लियोपेट्रा सिकंदर के राजा बनने के रास्ते में एक रुकावट बन सकती थी.

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राजनीतिक सच्चाई

यह एक राजनीतिक सच्चाई थी कि पूरी तरह से मेसिडोनिया से ताल्लुक रखने वाले एक नए पुरुष उत्तराधिकारी के सामने आते ही, सिकंदर के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती थीं. कई इतिहासकारों ने इस स्थिति की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि भी पेश किया है.

डायना स्पेंसर के अनुसार, सिकंदर छह महीने के लिए ख़ुद ज़िलावतन हो गए थे, और उनकी माँ भी कुछ महीनों के लिए दरबार से दूर हो गई थी. कुछ समय बाद, पिता और बेटे के बीच कड़वाहट तो कम हो गई और सिकंदर वापस लौट आए, लेकिन रिश्ते में आया ठहराव, सिकंदर के उत्तराधिकारी बनने के रास्ते में रुकावट बन चुका था.

"इस स्थिति में, एक घटना घटी, जिसने सिकंदर को सिंहासन पर बैठाया. यह वह मौक़ा था, जब उन्होंने शायद ऐसी स्थिति को बनने से रोक दिया था, कि कोई शुद्ध मेसिडोनियन ख़ून उसके उत्तराधिकार को चुनौती दे सके."

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फारस साम्राज्य पर नज़र

डायना स्पेंसर का कहना है कि सिकंदर की सौतेली बहन, यानी क्लियोपेट्रा की बेटी की शादी में एक सुरक्षा गार्ड ने राजा फिलिप द्वितीय की हत्या कर दी थी. गार्ड को भी भागने की कोशिश के दौरान मार दिया गया था. इसलिए यह पता नहीं चल सका कि इस हत्या की वजह क्या थी.

लेकिन माना जाता है कि इस हत्या में सिकंदर और उसकी माँ का हाथ हो सकता है. इस हत्या के बाद सिकंदर का हाथ नहीं रुका. उन्होंने एक-एक करके उन सभी लोगों को मार दिया, जो उसके उत्तराधिकार के लिए ख़तरा बन सकते थे.

अपने एक सौतेले भाई फिलिप एरिडाइस को छोड़कर, उसने अपने सभी भाइयों, चचेरे भाइयों और उन सभी लोगों को मार डाला, जो उनके राजा बनने के रास्ते में रुकावट बन सकते थे. उनमे से कुछ को तो बहुत ही क्रूरता से मौत के घाट उतरा गया था.

आख़िरकार सिकंदर सिंहासन पर बैठे और अब उनकी नज़र फारस साम्राज्य पर थी. फारस साम्राज्य ने 200 से अधिक वर्षों तक भूमध्य सागर से जुड़े इलाक़ों पर शासन किया. यह साम्राज्य इतिहास के वास्तविक सुपर पावर में से एक था.

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युद्ध रणनीति में महारत

फारस साम्राज्य की सीमा भारत से लेकर मिस्र और उत्तरी यूनान की सीमा तक फैली हुई थी. लेकिन इस महान साम्राज्य का ख़ात्मा सिकंदर के हाथों हुआ.

फारस साम्राज्य की तुलना में एक छोटी लेकिन प्रभावी सेना के हाथों राजा डेरियस तृतीय की हार को इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है.

इस युद्ध के नतीजे में एक प्राचीन सुपर पावर का पतन हुआ और एक नए और विशाल साम्राज्य के ज़रिए यूनानी संस्कृति और सभ्यता का प्रसार हुआ.

इतिहासकार लिखते हैं कि सिकंदर की विजय का श्रेय उनके पिता को भी जाता है, जिन्होंने अपने पीछे एक बेहतरीन फ़ौज छोड़ी थी. जिसका नेतृत्व बहुत अनुभवी और वफ़ादार सेनापतियों के हाथों में था.

हालाँकि, एक चालाक और कुशल दुश्मन को उसके इलाक़े में जा कर हराना, ख़ुद सिकंदर की एक नेता के रूप में बुद्धिमत्ता और युद्ध रणनीति में महारत का कमाल था.

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सिकंदर की फौज

मेसिडोनिया के लोग हमेशा से एक सैन्य ताक़त नहीं थे. यूनान में, एथेंस, स्पार्टा और थेब्स राज्य ऐतिहासिक रूप से शक्ति के स्रोत रहे हैं. इन राज्यों के नेता मेसिडोनिया के लोगों को जंगली या बारबेरियन कहते थे.

सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने अकेले ही मेसिडोनिया की सेना को एक ऐसी प्रभावशाली सेना बना दिया था, जिसका डर उस प्राचीन दौर में दूर-दूर तक फैल गया था. फिलिप ने मेसिडोनिया के पूरे समाज को एक पेशेवर सेना के साथ दोबारा संगठित किया.

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उच्च श्रेणी की पैदल सेना, घुड़सवार दस्ते, भाला चलाने वाले और तीरंदाज़ इस सेना का हिस्सा थे. फिलिप की मृत्यु के बाद सिकंदर को यही सेना विरासत में मिली. सिकंदर हमेशा एक बुद्धिमान रणनीतिकार थे.

वो जानते थे कि यूनान पर डर और ताक़त से शासन नहीं किया जा सकता. उन्होंने एक सदी पहले फारस साम्राज्य की तरफ से यूनान पर हमले की घटना को, राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया और फारस पर अपने हमले को देशभक्ति के साथ जोड़ कर उचित ठहराया.

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फारस के साम्राज्य का रेजिमेंट

सिकंदर ने एक प्रोपेगैंडा शुरू किया, जिसमें कहा गया कि मेसिडोनिया के लोग पूरे यूनान की तरफ से फारस पर हमला कर रहे हैं, हालाँकि एक सदी पहले फारस साम्राज्य और यूनान के बीच होने वाली जंग में मेसिडोनिया शामिल ही नहीं था.

सन 334 ईसा पूर्व में सिकंदर की सेना फारस साम्राज्य में दाखिल हुई. सिकंदर की 50 हज़ार की सेना को उस समय दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अधिक प्रशिक्षित सेना का सामना करना था.

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एक अनुमान के अनुसार, राजा डेरियस तृतीय की मातहत सेना की संख्या 25 लाख थी, जो उसके पूरे साम्राज्य में फैली हुई थी. इस सेना का दिल कहे जाने वाले दस्ते को 'अमर सेना' कहा जाता था. यह 10 हज़ार सैनिकों की एक इलीट रेजिमेंट थी.

इस इलीट रेजिमेंट की संख्या 10 हज़ार से कम नहीं होने दी जाती थी. युद्ध के दौरान, जब इस दल का कोई सैनिक मारा जाता था, तो दूसरा उसकी जगह ले लेता था और कुल संख्या पूरी रहती थी.

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फारस पर सिकंदर की जीत

लेकिन इस ज़बरदस्त सैन्य शक्ति के बावजूद, सिकंदर की बहुत ही प्रभावी और बुद्धिमान रणनीति की वजह से फारस साम्राज्य हार गया.

इतिहासकारों के अनुसार, फारस साम्राज्य की हार का एक कारण यह भी था कि उसका पतन पहले ही शुरू चुका था और पाँचवीं सदी ईसा पूर्व में यूनान में लगातार हार के बाद उसका विस्तार रुक चुका था.

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सन 324 ईसा पूर्व में सिकंदर फारस के सूसा शहर पहुँचे. वह फारस और मेसिडोनिया के लोगों को एकजुट करना चाहते थे और एक ऐसी नस्ल पैदा करना चाहते थे, जो केवल उसके प्रति वफ़ादार रहे.

सिकंदर ने अपने कई सेनापतियों और अधिकारियों को फारस की राजकुमारियों से शादी करने का आदेश दिया. इस मौक़े पर एक सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन कराया गया. सिकंदर ने ख़ुद अपने लिए भी और दो पत्नियाँ चुनीं.

सिकंदर का सत्ता में आना, विजय प्राप्त करना, और फिर पतन, यह सब बहुत थोड़े समय में हुआ था.

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रोमन इतिहासकार

डायना स्पेंसर बताती हैं कि कई रोमन इतिहासकारों के अनुसार, सिकंदर कभी-कभी नशे में धुत हो जाते थे. और एक बार उन्होंने रात के खाने के समय नशे की हालत में अपने एक करीबी दोस्त को मार डाला था.

रोमन इतिहासकारों ने उनके शराब के नशे की वजह से ग़ुस्से में आ जाने और सनकी व्यवहार की कई घटनाओं के बारे में लिखा है. हालाँकि इनकी सच्चाई पर भी सवाल हैं.

"सिकंदर के हाथों मारा गया उनका दोस्त क्लेटियस था, जो सिकंदर और उनके परिवार के बहुत करीब था. वह अक्सर सिकंदर को पूरी सच्चाई से सलाह देता था और हर लड़ाई में उनके हाथ की तरह था. उस दिन सिकंदर ने बहुत शराब पी हुई थी और जब क्लेटियस ने कहा कि आपका व्यक्तित्व बदलता जा रहा है, तुम्हे खुद को काबू में करने की ज़रूरत है, आप फारस के लोगों की तरह होते जा रहे हो और ऐसा लगता है, कि तुम हम में से नहीं रहे. क्लेटियस ने ये सब कहने के लिए ग़लत मौक़ा चुना था. उसी समय सिकंदर अपनी जगह से उठे और क्लेटियस के सीने में भाला घोंप दिया."

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रहस्यमय बीमारी

सिकंदर की विजयों और उनके व्यक्तित्व के आकर्षण के कारण, प्राचीन यूनानी उन्हें एक आम आदमी नहीं बल्कि एक देवता समझने लगे थे, बल्कि खुद सिकंदर को भी विश्वास हो गया था कि वे देवता हैं.

फारस साम्राज्य पर अपना क़ब्ज़ा जमाने के बाद उनकी सेना पूर्व की ओर बढ़ने लगी और भारत तक पहुँच गई. इसके बाद सिकंदर मेसिडोनिया वापस लौटने लगे, लेकिन वतन वापसी उनकी क़िस्मत में नहीं थी.

सन 323 ईसा पूर्व में, 32 वर्ष की उम्र में, बेबीलोन (वर्तमान इराक़) के इलाक़े में पहुँचने के बाद अचानक, एक रहस्यमय बीमारी उनकी मृत्यु का कारण बनी.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उनकी मौत का कारण उनके घावों में होने वाला इंफेक्शन था और कुछ का मानना है कि उनकी मृत्यु मलेरिया की वजह से हुई थी.

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भारत जाने की ज़रूरत

सिकंदर को फारस साम्राज्य पर विजय प्राप्त करने के बाद भारत जाने की ज़रूरत क्यों महसूस हुई? यूनानी संस्कृति के प्रोफेसर पॉल कार्टिलेज का कहना है, कि इसके कई कारण थे. सिकंदर यह दिखाना चाहते थे कि उनके राज्य की सीमाएँ वहाँ तक पहुँच चुकी हैं, जहाँ तक उनके पिता फिलिप द्वितीय नहीं जा सके थे.

"साम्राज्यों के लिए सीमाएँ ज़रूरी होती हैं और साम्राज्यों को लगातार इस बात की भी चिंता रहती है कि उनकी सीमाओं से आगे क्या है. इसका एक उदाहरण रोमन साम्राज्य है, जब कैंसर-ए-रूम (सीज़र) ने ब्रिटेन पर हमला किया था. तब सिकंदर भी अपनी सीमाओं का विस्तार करने के बाद, स्थायी सीमाओं की स्थापना कर रहे थे. यह एक रक्षात्मक व्याख्या हो गई, जबकि रोमानवी व्याख्या यह है कि सिकंदर के दिमाग़ में यह विचार था कि दिव्य पात्र हरक्यूलिस और डायोनिसस वहाँ तक जा चुके थे, इसलिए मैं भी जाऊँगा."

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सिकंदर की लगातार जीत ने उन्हें यह विश्वास दे दिया था कि वो जहाँ तक कोशिश करें, जा सकते हैं. रीडिंग यूनिवर्सिटी में क्लासिक्स की लेक्चरर रेचल मायर्स कहती हैं कि अहम सवाल यह है कि अपने जीवन के इस पड़ाव पर क्या सिकंदर ज़मीनी सच्चाई से दूर हो गए थे?

"भारत पर विजय प्राप्त करने में उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का सामना तो करना ही पड़ा था, लेकिन उन्हें अपनी सेना के भीतर से भी विरोध का सामना करना पड़ा था, कि बस बहुत हो गया. मध्य एशिया में, जहाँ उन्होंने तीन साल का लंबा समय बिताया, उनके अपने सैनिकों को वहाँ रहना बेहद नागवार लग रहा था. भारत में युद्ध के दौरान, जब यह अफवाह फैली कि सिकंदर मारा गया है, तो मध्य एशिया में मौजूद उसकी सेना में एक तरह की बग़ावत शुरू हो गई और उन्होंने पीछे हटने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन सिकंदर सिर्फ़ घायल हुए थे."

रिचेल मेयर्स का कहना है कि सिकंदर के लगातार सैन्य अभियानों के समाप्त होने और वापस लौटने के तीन बड़े कारण थे, अपनी सेना के अंदर से विरोध, सामान और रसद की सप्लाई में कठिनाई और इलाक़े की मुश्किलें और मौसम.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर का अगला लक्ष्य अरब क्षेत्र था, लेकिन समय और परिस्थितियों ने मोहलत नहीं दी.

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