मुश्किल में डाली थी 200 की जान, क्या ऐसे पायलट के साथ एयर इंडिया?
मुंबई। एयर इंडिया की फ्लाइट को अचानक तय ऊंचाई से ऊपर ले जाने और 200 लोगों की जान को मुश्किल में डालने वाले वरिष्ठ कार्यकारी कमांडर को राहत मिल सकती है। उनके खिलाफ किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई की संभावना कम ही नजर आ रही है।
टल गया था बड़ा हादसा
पूरा मामला 28 अप्रैल का है, जब बोइंग 787 के जरिए दिल्ली-पेरिस फ्लाइट के दौरान इसके वरिष्ठ कार्यकारी कमांडर अचानक ही फ्लाइट को तय ऊंचाई से ऊपर लेकर जाने लगे। उनकी इस करतूत से बड़ा हादसा हो सकता था। हालांकि ऐसा कुछ हुआ है।
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इस घटना के बाद, फ्लाइट के सह-पायलट ने कमांडर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद एयर इंडिया की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया।
इस कमेटी ने अपनी जांच के बाद उनके खिलाफ बनाई गई जांच समिति ने इस मामले जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें सीनियर एग्जीक्यूटिव कमांडर को मनोचिकित्सीय जांच की बात कही गई है।
एयर इंडिया की बनाई कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें करीब 6 महीने तक फ्लाइट में को-पायलट के तौर तैनात किया जाए। साथ ही उनके व्यवहार को समय-समय पर जांच किया जाएगा।
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इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद अब एयर इंडिया ने नई जांच समिति बनाई है।
हालांकि अब ये संभावना जताई जा रही है कि इस जांच पैनल में सीनियर एग्जीक्यूटिव कमांडर को राहत मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पैनल में शामिल सदस्यों में कुछ लोग उनके परिचित हैं।
दूसरी कमेटी करेगी मामले की जांच
बता दें कि मार्च 2015 में एक ऐसा ही मामला आया था जब जर्मनविंग्स की फ्लाइट में को-पायलट ने कमांडर को लॉक करके फ्लाइट उड़ाने लगा था। जिसमें करीब 150 लोगों की जान चली गई थी।
हालांकि एयर इंडिया के मामले में सह-पायलट ने शिकायत दर्ज कराई है और मुख्य कमांडर ने फ्लाइट को तय ऊंचाई से ऊपर ले जाने की कोशिश की थी।
सह-पायलट ने अपनी शिकायत में बताया है कि उन्होंने कमांडर से फ्लाइट को ऊंचाई पर ले जाने से रोका था। हालांकि उन्होंने उसकी एक भी नहीं सुनी।
इस घटना के दौरान अच्छा यही रहा कि कोई हादसा नहीं हुआ। फिलहाल देखना होगा कि आखिर आरोपी सीनियर एग्जीक्यूटिव कमांडर पर एयर इंडिया की ओर से क्या कार्रवाई होती है?