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शरद पवार द्वारा कृषि कानूनों का विरोध करने पर बोले कृषि मंत्री, अनुभवी नेता भी बता रहे गलत तथ्य

केंद्र के कृषि कानूनों पर राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को प्रतिक्रिया दी।

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नई दिल्ली। केंद्र के कृषि कानूनों पर राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा, "शरद पवार जी एक अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री हैं, जिन्हें कृषि से संबंधित मुद्दों और समाधानों के बारे में अच्छी जानकारी है। उन्होंने खुद भी पहले कृषि सुधार करने की पूरी कोशिश की है।" गौरतलब है शनिवार को शरद पवार ने कृषि कानूनों के विरोध में एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए थे।

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Narendra Singh Tomar

उन्होंने कहा था कि केंद्रीय कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेंगे और मंडी व्यवस्था को कमजोर कर देंगे। साल 2004 से 2014 तक केंद्रीय कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने ट्वीट के जरिए कहा, "मेरे कार्यकाल के दौरान APMC नियम - 2007 के मसौदे को विशेष बाजारों की स्थापना के लिए तैयार किया गया था, जिससे किसानों को अपनी चीजों को बेचने के लिए वैकल्पिक मंच मिला था। साथ ही मंडी सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए भी अत्‍यधिक सावधानी बरती गई थी।" उन्होंने कहा कि वह संशोधित आवश्यक वस्तु अधिनियम के बारे में भी चिंतित थे। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने कृषि कानूनों पर फिर सवाल उठाए।

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पवार ने शनिवार को कहा कि ये कानून एमएसपी (MSP) पर उल्टा असर डालेंगे और मंडी व्यवस्था (Mandi System) को कमजोर करेंगे। पवार ने ट्वीट किया कि, "सुधार लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। एपीएमसी या मंडी प्रणाली में सुधारों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति दलील नहीं देगा, लेकिन इस बहस का यह मतलब नहीं है कि इस प्रणाली को कमजोर या नष्ट किया जाए।"

उन्होंने एक अन्य ट्वीट करते हुए कहा था, "खाद्य अनाज, दालें, प्याज, आलू, तिलहन आदि पर स्टॉक पाइलिंग सीमाएं हटा दी गई हैं। इससे यह आशंका हो सकती है कि कॉरपोरेट कम दरों और स्टॉक ढेर पर वस्तुओं की खरीद कर सकते हैं और उपभोक्ताओं को उच्च मूल्य पर बेच सकते हैं।"

Comments
English summary
Agriculture Minister Narendra Singh Tomar gave a counter-protest against NCP leader Sharad Pawar's opposition to agricultural laws
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