लोकसभा चुनाव से पहले एक और पार्टी ने बीजेपी से तोड़ा नाता
गुवाहटी। लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए असम गण परिषद (एजीपी) ने गठबंधन सरकार से नाता तोड़ दिया है। विवादास्पद सीटीजनशिप बिल पर सहमति नहीं बनने की वजह से एजीपी ने असम में बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार से खुद को अलग कर दिया। इस बिल के माध्यम से बीजेपी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आये हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देना चाह रही है, जिसका बीजेपी की सहयोगी पार्टियां एजीपी और शिवसेना भी विरोध कर रही है।
बीजेपी से नाता तोड़ते हुए एजीपी के प्रेसिडेंट और एग्रीकल्चर मिनिस्टर अतुल बोरा ने कहा, 'हमने इस बिल का विरोध करने की पूरी कोशिश की है। हमें नीतीश कुमार और शिवसेना का समर्थन मिला है, लेकिन जब आज असम विरोध प्रदर्शन से जल रहा है तो बीजेपी लोगों की भावनाओं को पूरी तरह से दरकिनार कर रही है। इसलिए बीजेपी के साथ रहने का अब कोई फायदा नहीं है।'
एजीपी के प्रेसिडेंट और उनके नेताओं ने इस बिल के विरोध में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर कहा था कि यह असम के लोग इसे बिल्कुल नहीं चाहते हैं और बिल असम एकॉर्ड नियमों का उल्लंघन करता है।' राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद में कल यह बिल पेश होगा।
असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार में एजीपी के तीन मंत्री थे। हालांकि, बीजेपी को एजीपी का साथ टूटने से राज्य में कोई नुकसान नहीं होने वाला है। 126 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 61 सीटे हैं और उनके साथ फिलहाल बीपीएफ खड़ी है, जिनके 12 विधायक हैं।