सोते रहे राहुल गांधी और हाथ से निकल गई डिप्टी स्पीकर की पोस्ट!
डिप्टी स्पीकर को चुनने की प्रक्रिया अभी औपचारिक तौर पर शुरू नहीं हुई है। आपको बता दें कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि डिप्टी स्पीकर का पद हमेशा सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को दिया जाए। यह मामला मुख्य तौर पर राजनीतिक समीकरणों और इस पद के लिए किसी खास पार्टी की क्षमता से जुड़ा है।
14वीं और 15वीं लोकसभा में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने बीजेपी-एनडीए को डिप्टी स्पीकर का पद सौंपा था। सूत्रों ने यह भी बताया कि इससे पहले की कांग्रेस सरकारों के दौरान स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पद सत्ताधारी पार्टी और उसकी सहयोगियों को मिलते थे।
इस बार लोकसभा में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है और कांग्रेस के पास विपक्षी पार्टी होने की ताकत भी नहीं है। ऐसे में डिप्टी स्पीकर के विकल्प का दायरा बढ़ सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा जेडी(एस) को ये मौका दे सकता है।