
8 दिव्यांग जनों की सियाचिन ग्लेशियर में क्या है वह उपलब्धि, जिसे पीएम मोदी ने बताया देश के लिए प्रेरणा,जानिए
नई दिल्ली, 26 सितंबर: 8 दिव्यांग जनों ने इस महीने की 11 तारीख को सियाचिन ग्लेशियर में 'कुमार पोस्ट' पर चढ़ाई करके विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। यह चोटी 15,000 फीट से ज्यादा ऊंची है और दुनिया में एक साथ इतने दिव्यांग जनों का यह पहला सफल पर्वतारोहण अभियान पहला है। अमेरिकी दौरा से लौटने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में इस अभियान दल की सफलता की तारीफ की है और इसे पूरे देश के लिए प्रेरणा बताया है। गौरतलब है कि भारतीय सेना भी सदस्य दल में शामिल दिव्यांगों के हौसले, शारीरिक मजबूती और मानसिक ताकत पर हैरानी जता चुकी है।

हर देशवासी के लिए गर्व की बात-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में उन 8 दिव्यांगजनों की सफलता को पूरे देश के लिए प्रेरणा बताया है, जिन्होंने इसी महीने सियाचिन ग्लेशियर में 15,000 फीट ऊंची 'कुमार पोस्ट' को फतह किया है। पीएम मोदी ने कहा है कि सब जानते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर में कितनी भयानक ठंड होती है, जहां टिकटना आम इंसान के वश की बात नहीं होती। तापमान माइनस 60 डिग्री से भी नीचे तक चला जाता है, लेकिन ऐसी जगह पर देश के 8 दिव्यांग जनों ने जो कामयाबी हासिल की है पूरे देश के लिए गर्व करने वाली बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "सियाचिन के दुर्गम इलाके में 8 दिव्यांग जनों की टीम ने जो कमाल कर दिखाया है वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है। इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की 15 हजार फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित 'कुमार पोस्ट' पर अपना परचम लहराकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है। शरीर की चुनौतियों के बावजूद भी हमारे इन दिव्यांगों ने जो कारनामा कर दिखाया है वो पूरे देश के लिए प्रेरणा है।"

15,632 ऊंची 'कुमार पोस्ट' पर परचम लहराया था
दरअसल सियाचिन ग्लेशियर में 'ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम अभियान' इसी महीने सात सितंबर को शुरू हुआ था, जिसे पांच दिनों बाद 15,632 ऊंची 'कुमार पोस्ट' पर परचम लहराकर पूरा किया गया। लगभग 60 किलोमीटर लंबे इस चुनौतिपूर्ण अभियान के सारे सदस्य या तो दृष्टिबाधित हैं या वे अपने पैर गंवा चुके हैं। एकसाथ इतनी ज्यादा संख्या में दिव्यांग जनों ने एक साथ इतनी ऊंचाई पर चढ़ने में सफलता हासिल की है, इसलिए यह विश्व रिकॉर्ड है। इन दिलेर दिव्यांग जनों को सेना की स्पेशल फोर्स की टीम ने प्रशिक्षण दिया था।

दिव्यांग जनों की सफलता से सेना के लोग भी चकित
दरअसल, सियाचिन के बर्फीली माहौल, बेहद ही मुश्किल और तीखी चढ़ाई, पथरीले रास्ते और चारों तरफ बर्फ ही बर्फ जैसी परिस्थितियों में 8 दिव्यांग जनों की टीम ने जिस फौलाद इरादे का परिचय दिया है, उससे भारतीय सेना भी चकित है। क्योंकि, इस सफलता के जरिए उन्होंने यह साबित कर दिया है दिव्यांग जनों की इच्छाशक्ति तो मजबूत होती ही है, उनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति भी किसी से कम नहीं होती। सिर्फ उन्हें अपने आत्मबल को समझने की जरूरत होती है।

पीएम मोदी ने पूरी टीम को सराहा
जाहिर है कि पीएम मोदी ने इन 8 दिव्यांग जनों के हौसले को सराहा है तो उन्होंने इस लायक काम करके दिखाया है। पीएम ने इन जांबाजों का नामों के साथ उनके राज्यों का भी परिचय दिया है। जिनमें 'महेश नेहरा, उत्तराखंड के अक्षत रावत, महाराष्ट्र के पुष्पक गवांडे, हरियाणा के अजय कुमार, लद्दाख के लोब्सांग चोस्पेल, तमिलनाडु के मेजर द्वारकेश, जम्मू-कश्मीर के इरफान अहमद मीर और हिमाचल प्रदेश की चोन्जिन एन्गमो' शामिल हैं। पीएम के मुताबिक भारतीय सेना के विशेष बलों के वेटरनों की वजह से यह अभियान सफल हो पाया है। वे बोले- " मैं इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए इस टीम की सराहना करता हूं। यह हमारे देशवासियों के 'कैन डू कल्चर', 'कैन डू डिटरमिनेशन', 'कैन डू एटीट्यूड' के साथ हर चुनौती से निपटने की भावना को भी प्रकट करता है।" (अंतिम तस्वीर-फाइल)