Aadhaar अनिवार्य करना होगा नागरिकों की हत्या, आज इस मुद्दे पर Supreme Court में बहस जारी
नई दिल्ली। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक आधार अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कल बुधवार (17 जनवरी) को की। इस दौरान याचिकाकर्ताओं का केस लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील श्याम दीवान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आधार नागरिकों के अधिकारों की हत्या कर सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों के संविधान को राज्य के संविधान में बदलने की कोशिश की जा रही है। इसके चलते भारतीय संविधान 'जनता का संविधान' ना रहकर सरकार का संविधान हो जायेगा। उन्होंने कहा कि आधार के लिए लोगों का बायोमेट्रिक डाटा लेना अनुचित है।
श्याम लाल दीवान ने गिनाईं कमियां, उठाए सवाल
श्याम लाल दीवान ने आधार की कमियां बताईं और सवाल भी किए। दीनान ने कहा कि - दूर के गांवों और दुर्गम इलाकों में रहने वालों के लिए आधार सेंटर तक पहुंचना और पहचान रजिस्टर कराना बहुत ही मुश्किल है। खासतौर से वृद्धों और दिव्यांगों के लिए।
उचित फिंगरप्रिंट रजिस्टर हो, इसकी कोई गारंटी नहीं
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की उंगलियों के निशान रजिस्टर करना मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं अमूमन वृद्ध होने पर फिंगरप्रिंट बदल जाता है। दीवान ने कहा कि एक बार में सही फिंगरप्रिंट ना हो पाने पर कई बार कोशिश करनी पड़ती है। इसके बाद भी उचित फिंगरप्रिंट रजिस्टर हो, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
अगर कोई मेरे फिंगरप्रिंट को हैक्स करता है तो...
उन्होंने कहा कि मेरी स्थिति को ट्रैक किया जा सकता है। कंप्यूटरों के जरिए, वास्तविक समय को ट्रैक किया जा सकता है। यह असंवैधानिक है। दिवान ने कहा कि दुनिया भर में बॉयोमीट्रिक्स इस पैमाने पर बिल्कुल काम नहीं करते हैं। अगर कोई मेरे फिंगरप्रिंट को हैक्स करता है, तो मैं उसे रिप्लेस नहीं कर सकता।
बायोमेट्रिक्स को प्रमाणित करना आवश्यक
आधार के लिए नामांकन के बाद, किसी व्यक्ति को लाभ लेने के लिए अपने बायोमेट्रिक्स को प्रमाणित करना आवश्यक है। लेकिन अनोखी पहचान के बाद एल्गोरिथ्म 'संभाव्य' है जिसका अर्थ है कि प्रमाणीकरण हो सकता है या नहीं हो सकता है।
आपत्ति इस मुद्दे पर
दीवान ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को प्रवेश द्वार आदि में बायोमेट्रिक्स से कोई दिक्कत नहीं है। हमारी आपत्ति एक केंद्रीय रजिस्ट्री से है जो डेटा को स्टोर करती है। तब आपको पता होता है कि कौन सा व्यक्ति कब, कहां और क्या कर रहा है। इस मसले पर आज भी बहस होगी।
श्याम लाल दीवान ने सुप्रीम कोर्ट में कई सवाल उठाए
- आधार कार्ड संवैधानिक है या नहीं, ये पीठ को तय करना है?
- आधार कार्ड के लिए अपनी जानकारी साझा करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नही है?
- बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर के लिए आधार कार्ड क्यों जरूरी है?
- सामाजिक सुरक्षा की योजनओं को आधार से लिंक करना अनिवार्य क्यों है?
- UGC के अंतर्गत कुछ कार्यक्रमों में आधार को अनिवार्य क्यों किया गया है?
- क्या आधार कार्ड रूल ऑफ लॉ के अनुसार है?
- आधार कार्ड को मनी बिल की तरह पेश क्यों किया गया है?
मनी बिल की तरह पेश क्यों किया गया