ब्यास नदी हादसा: 'पानी की बॉटल ने बचाई मेरी जान, वरना मैं भी बह गया होता'
नदी के बीच में एक बड़ी चट्टान थी। हर एक छात्र उस चट्टान की चोटी पर पहुंचना चाहता था। कुछ एक छात्र नदी किनारें पहुंच गए। जबकि दूसरी बस में सवार उनके सहपाठी उन्हें वापस लौटने के लिए कह रहे थे। लेकिन वे वापस नहीं लौटे। कुछ छात्रों ने छोटी चट्टानों के सहारे उस चट्टान तक पहुंचने में कामयाबी पा ली।
उसके दस मिनट के बाद पानी का स्तर बढ़ने लगा। एक छात्र ने जब यह देखा तो उसने चिल्लाना शुरू किया और अपने दोस्तों को सचेत करते हुए नदी से बाहर निकल आया। लेकिन 2-3 मिनट के अंदर ही पानी ने उन सभी छात्रों को घेर लिया। परमेश्वर और आशीष की कहानी तो जैसे इंसानियत की मिसाल साबित हुई है। परमेश्वर ने दो लड़कियों को बचाया पर अपना नियंत्रण खो बैठा।
देखें- वीडियो, जिसमें साफ बहते हुए दिखाई दे रहे हैं छात्र
हादसे का शिकार होने से बच गए एक छात्र ने बताया कि मैंने दोस्तों की तरफ जाने की कोशिश की लेकिन पानी के तेज बहाव की वजह से मैं कामयाब नहीं हो पाया। स्थानीय लोग भी हमारी सहायता करने में लगे हुए थे। 15-20 छात्र हमारे सामने ही बह गए। मैंने एक छात्र का सिर देखा लेकिन यह नहीं पता था कि वह जिंदा है या नहीं। मैंने उसकी तरफ रस्सी फेंकी लेकिन वह कुछ देर के बाद गायब हो गया।
बचा ले गई पानी की बोटल-
कहते हैं जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई' यह कहावत उन्हीं छात्रों में शामिल सुजन के साथ सही साबित हुई। सुजन कहता है ''हम सभी छात्र छात्राएं व्यास नदी में पानी कम होने की वजह से वहाँ फ़ोटोग्राफ़ी कर रहे थे। इस दौरान मेरे दोस्तों ने मुझसे ऊपर जाकर खाली बोतल लाने को कहा, जिससे वो नदी के पानी को अपने साथ ले जा सकें"!