अस्पतालों में भर्ती कोरोना के 60-70 फीसदी बच्चे अन्य गंभीर बीमारियां से ग्रसित थे: डॉ रणदीप गुलेरिया
नई दिल्ली, 8 जून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के निदेशक डॉ गुलेरिया ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उस रिपोर्ट को खारिज किया जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इन दावों की पुष्टि करने के लिए दुनिया में कहीं भी कोई डेटा नहीं है। उन्होंने कहा यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि कोविड -19 संक्रमण की तीसरी लहर बच्चों को दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित करेगी।
कोई डेटा नहीं जो ये साबित करें
डॉ गुलेरिया ने कहा, "अगर हम पहली और दूसरी लहर या यहां तक कि वैश्विक डेटा से भारतीय डेटा सहित सभी डेटा को देखें, तो यह दिखाने के लिए कोई डेटा नहीं है कि पुराने या नए रूपों में बच्चों में अधिक कोरोना का संक्रमण हुआ।"
60 से 70 फीसदी बच्चे अन्य गंभीर बीमारियों से थे ग्रसित
उन्होंने आगे कहा, "दूसरी लहर के आंकड़ों के अनुसार, कोविड -19 के साथ अस्पतालों में भर्ती सभी बच्चों में से, 60-70 प्रतिशत बच्चे अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थे जिस कारण उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी। उनमें कुछ कीमो थेरेपी पर थे। अधिकांश स्वस्थ बच्चे जो संक्रमित हुए वो अस्पताल में भर्ती हुए ही पूर्ण रूप से ठीक हो गए। उन्होंने इन्फ्लूएंजा और स्वाइन फ्लू के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा"हम श्वसन वायरस के मामले में संक्रमण की लहरें देखते हैं क्योंकि वायरस उत्परिवर्तित होता है और मानव व्यवहार एक महामारी के दौरान बदलता है।
डॉ गुलेरिया ने लॉकडाउन के लिए बोली ये बात
डॉ गुलेरिया ने कहा, "यह 1918 में देखा गया था, डेटा से पता चलता है कि दूसरी लहर सबसे बड़ी लहर थी। दूसरी लहर में अधिकतम मौतें और मामले देखे गए, लेकिन तीसरी लहर भी छोटी थी। "रणदीप गुलेरिया ने कहा, "लॉकडाउन संक्रमण को कम करता है लेकिन लॉकडाउन खोलने से संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।"डॉ गुलेरिया ने आगे कहा कि संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार को अपनाया जाना चाहिए।
NITI Aayog के सदस्य ने बताई ये बात
सोमवार को, NITI Aayog के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने बताया, "यह अनिश्चित है कि एक लहर विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करेगी। अब तक, बच्चों ने वयस्कों के समान सर्पोप्रवलेंस प्रदर्शित किया है, जिसका अर्थ है कि वे वयस्कों के समान ही प्रभावित होते हैं।"डॉ पॉल ने आगे कहा कि यदि अधिक से अधिक वयस्कों को टीका लगाया जाता है तो वायरस का बच्चों तक पहुंचना मुश्किल होगा।