1971 युद्ध के 50 साल: आज ही के दिन पाक ने शुरू किए थे हमले, लॉन्च किया था- ऑपरेशन चंगेज खान
मुंबई। आज है 3 दिसंबर 2021। अब से 50 बरस पहले, इसी दिन हमारा ही हिस्सा रहे एक नवगठित मुल्क (पाकिस्तान) ने हवाई हमला कर हिंदुस्तान के खिलाफ 1971 की जंग छेड़ी थी। तब हिंदुस्तान के दोनों ओर पाकिस्तान थे। मुख्यभूमि- पश्चिमी पाकिस्तान था और दूसरा बंगाल से सटा- पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश)। असल में पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में दमनकारी नीतियों का सहारा लिया। वहां भारी नरसंहार हुआ और महिलाओं को हवस का शिकार बनाया गया। लोकतंत्र के बजाए जबरन सैन्य-सत्ता थोपी जा रही थी। तरह-तरह के अत्याचारों से बचने के लिए हजारों बंगाली भागकर हिंदुस्तान में शरण लेने लगे। उस दौरान मुख्य पाकिस्तान की हुकूमत को लगा कि भारत उनके साथ है। ऐसे में उन्होंने हिंदुस्तान के खिलाफ ऐलान-ए-जंग छेड़ दी, 3 दिसंबर 1971 को। आज यहां हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं..
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पाक ने लॉन्च किया था- 'ऑपरेशन चंगेज खान'
ढाका के आस-पास पुरजोर विरोध होने पर पाकिस्तानी हुकूमत ने हजारों सैनिक प्रदर्शनकारियों को कुचलने भेजे। ऐसे में हिंदुस्तान ने ऐतराज जताया। पाकिस्तान ने फिर हिंदुस्तान के खिलाफ अपना एक नापाक मिशन, जिसे- 'ऑपरेशन चंगेज खान' नाम दिया। उसे लॉन्च कर दिया। तब समय था- शाम 5:30 बजे, जब पाकिस्तानी हुकूमत ने हमले का हुक्म जारी किया। फिर उनके लड़ाकू विमानों का पहला हमला 5:45 बजे अमृतसर युद्धक ठिकाने पर, दूसरा शाम 5:50 बजे पठानकोट, श्रीनगर और अवंतीपुर पर हुआ। उसके ठीक 3 मिनट बाद शाम 5:53 बजे फरीदकोट पर भी बम गिराए गए। हालांकि, उनके उस हमले में हमारे पी-35 राडार ही नष्ट हो सके।
उस दिन कलकत्ता में जनसभा संबोधित कर रही थीं इंदिरा
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस दिन की शाम को कलकत्ता में एक जनसभा संबोधित कर रही थीं। उनका भाषण चल ही रहा था, कि कुछ अधिकारी तेजी से दौड़ते हुए पास पहुंचे। उन्होंने झट से एक पर्ची इंदिरा को थमाई और उनके कान में कुछ बोला। उसके बाद इंदिरा जनसभा को बीच में छोड़कर वापस दिल्ली रवाना हुईं। हालांकि, जब तक उनका विमान दिल्ली पहुंचता, तब-तक राजधानी दिल्ली में पूरी तरह से ब्लैक आउट हो चुका था। यूं तो इंदिरा को शत्रु के इरादों की पहले ही भनक लग गई थी और उन्होंने सैम मानेकशॉ (फर्स्ट फील्ड मार्शल) से तैयारियां करने के कहा था। तब सैम बोले- तैयारियां में कुछ वक्त लगेगा।
रात 9 बजे हुआ हिंदुस्तानी वायुसेना का जवाबी हमला
इंदिरा से आदेश मिलते ही पाकिस्तान पर पहला जवाबी हमला 3 दिसंबर की रात को ही किया गया। तब रात के 9 बज रहे थे, जब हिंदुस्तानी वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान का रूख किया। उसके 7 एयरबेस तबाह किए गए। उसके अगले कुछ ही दिनों में दुश्मन के खिलाफ जंग तेज होती चली गई। यह जंग 13 दिन चली थी। 16 दिसंबर 1971 के दिन दुनिया का सबसे बड़ा सरेंडर कराया गया। और, जीत का स्वर्णिम इतिहास लिख गया। उस दिन पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 93 हजार से ज्यादा सैनिकों के साथ सरेंडर के दस्तावेज पर हिंदुस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष साइन किए।
इंदिरा ने कहा- ढाका अब एक आजाद देश की राजधानी
जनरल नियाजी ने 16 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे सरेंडर के वक्त अपने बिल्ले उतार दिए थे और रिवॉल्वर भी सामने रख दी थी। उसी समय हिंदुस्तान के जनरल सैम मानिक्शॉ ने इंदिरा गांधी को फोन कर पाकिस्तान पर फतेह हासिल कर लेने की सूचना दी। जिसके बाद हिंदुस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐलान किया- "ढाका अब एक आजाद देश की राजधानी है।"
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ऐसे हैं हमारे वीरों के शौर्य, बहादुरी, मुल्कों की विजय-पराजय, नेकी-बलात्कार, शत्रुता-मित्रता के ढेरों किस्से। सच्चे किस्से। अब तक जन-मन में हैं। उन 13 दिनों की, हम सब ने भी अब तक न जाने कितनी कहानियां बड़ों से सुनीं, कहां-कब पढ़ीं और रिटायर्ड आॅफिसर-सोल्जर्स से जानीं। ये कुछ ऐसे ही समय में याद आती हैं..जब युद्ध की बरसी आती है।