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देशद्रोह कानून किया गया स्थगित, जानें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की 5 मुख्य बातें

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नई दिल्ली, 11 मई: एक ऐतिहासिक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 124A पर रोक लगा दी है। जिसे आम बोलचाल में देशद्रोह कानून के रूप में जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, 162 साल पुराने औपनिवेशिक युग के कानून को तब तक स्थगित रखा जाना चाहिए जब तक कि केंद्र सरकार इस प्रावधान पर पुनर्विचार न करे। यह आदेश देशद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के लिए गठित भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने सुनाया है।

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5 things Supreme Court said in Sedition law under Section 124A order

भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में राजद्रोह या देशद्रोह का उल्लेख है। ये धारा कहती है, 'अगर कोई व्यक्ति बोलकर या लिखकर या इशारों से या फिर चिह्नों के जरिए या किसी और तरीके से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने की कोशिश करता है या असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वो राजद्रोह का आरोपी है। ये एक गैर-जमानती अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 124A को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की पांच प्रमुख बातें:

1-कानून समय के साथ नहीं चलता
यह स्पष्ट है कि केंद्र इस बात से सहमत है कि धारा 124A की कठोरता वर्तमान स्थिति के अनुरूप नहीं है और यह उस समय के लिए थी जब देश औपनिवेशिक कानून के अधीन था। ऐसे में केंद्र इस पर पुनर्विचार कर सकता है।

2-आदेश
प्रावधान को स्थगित करना उचित होगा।

3- कोई और मुकदमा नहीं
हम आशा और उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी प्राथमिकी को दर्ज करने, जांच जारी रखने या धारा 124ए के तहत कठोर कदम उठाने से परहेज करेंगी, जब यह विचाराधीन है। यह उचित होगा कि इसके पुन: परीक्षण समाप्त होने तक कानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए।

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5- दुरुपयोग
केंद्र को न्यायालय के समक्ष प्रस्तावित और रखे गए निर्देश जारी करने की स्वतंत्रता होगी जो 124ए के दुरुपयोग को रोकने के लिए राज्यों को जारी किए जा सकते हैं। अगले आदेश तक जारी रखने के निर्देश।

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English summary
5 things Supreme Court said in Sedition law under Section 124A order
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