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26/11: जब मुंबई पुलिस का सिपाही बना कसाब का रिश्तेदार, 3 दिनों तक मरीजों से भरे वार्ड में होता रहा उसका इलाज

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नई दिल्ली, 26 नवंबर: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया का हिलाकर रख दिया था। आज उस आतंकी हमले की 13वीं बरसी है। इस हमले को भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला कहा जाता है। लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और आधुनिक हथियारों से लैस दस आतंकियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था। चार दिन तक चले मुंबई हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे। यूं तो मुंबई हमलों पर कई फिल्में और वेब सीरीज बन चुकी हैं, लेकिन इस हमले पर लगी गई दो किताबें काफी अहम हैं। इन किताबों को मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ राकेश मारिया और 26/11 केस के मुख्य जांच अधिकारी रमेश महाले ने लिखा है।

लॉकअप में बीमार हुआ कसाब

लॉकअप में बीमार हुआ कसाब

राकेश मारिया ने अपनी किताब 'लेट मी से इट नाउ' और रमेश महाले ने अपनी किताब में कसाब को लेकर एक बेहद ही दिलचस्प किस्सा बताया है। उन्होंने किताब में बताया कि, हमले के बाद गिरफ्तार हुए कसाब कुछ दिनों बाद बहुत बुरी तरह से बीमार हो गया। शुरुआती दिनों में मुंबई क्राइम ब्रांच लॉकअप में डॉक्टर को बुलाकर उसका इलाज किया जाता रहा, लेकिन उसकी हालत में सुधार ना होता देख डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी।

पुलिस ने कसाब में डमी लॉकअप में रखा

पुलिस ने कसाब में डमी लॉकअप में रखा

डॉक्टर की कसाब को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह के चलते उसकी गोपनीयता और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समस्या खड़ी हो गई। दरअसल पुलिस नहीं चाहती की ये खबर लीक हो कि कसाब लॉकअप नहीं है। इसीलिए, कुछ दिन के लिए क्राइम ब्रांच के लॉकअप में कसाब का डमी बैठा दिया गया और वहां से असली कसाब को निकालकर मुंबई के सेंट जॉर्ज अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।

अस्पताल कांस्टेबल बना कसाब का रिश्तेदार

अस्पताल कांस्टेबल बना कसाब का रिश्तेदार

पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर कसाब के अस्पताल में शिफ्ट करने से पहले उसका नाम बदल दिया। पुलिस ने कसाब को नया नाम मोहम्मद दिया। मारिया ने अपनी किताब में लिखा कि, सेंट जॉर्ज अस्पताल में कसाब को जनरल वॉर्ड में 25 से 30 मरीजों के बीच रखा गया। यही नहीं पुलिस ने उसके नकली रिश्तेदार भी तैयार किए। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक सिपाही महेश बागवे को उसका रिश्तेदार बनाया गया। जिसे 24 घंटे कसाब के बेड पर ड्यूटी पर लगाया गया। करीब 3 दिन तक कसाब का सेंट जॉर्ज में अच्छे से इलाज चला।

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वॉर्ड बॉय ने पहचान लिया था कसाब को

वॉर्ड बॉय ने पहचान लिया था कसाब को

मरिया ने बताया कि, कसाब के इलाज के दौरान वॉर्ड का कोई भी मरीज उसे नहीं पहचान पाया, लेकिन एक वॉर्ड बॉय मीडिया में आई फोटो के आधार पर पहचान गया। उसने फौरन कसाब से उसका नाम पूछा। कसाब ने वही नाम बताया, जो मुंबई पुलिस ने रखा था-मोहम्मद। लेकिन, वॉर्ड बॉय को शक हो गया वो उसे मोहम्मद मानने को तैयार ही नहीं हुआ। बोला, नहीं तुम मोहम्मद नहीं, कसाब हो। जिसके बाद पुलिस को लहा कि, कसाब के यहां भर्ती होने की खबर लीक हो सकती है। मुंबई पुलिस ने वॉर्ड बॉय को अस्पताल में रोक लिया और उससे तीन दिनों तक ना तो घर जाने दिया और ना ही किसी से बात करने दी। उसे उसके घर मोबाइल से फोन करवाया गया कि वह जरूरी काम से अभी दो-तीन दिन घर नहीं आ पाएगा और उसके बाद उसका फोन जब्त कर लिया।

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English summary
26/11 mumbai: When Mumbai Police constable became a Kasab's relative
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