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G-20 एक शिखर सम्मेलन ऐसा जिस पर हमेशा रहता है हंगामा
ब्रिसबेन।
15
नवंबर
को
ऑस्ट्रेलिया
के
शहर
ब्रिसबेन
में
जी-20
समिट
की
शुरुआत
होगी।
इस
समिट
में
हिस्सा
लेने
के
लिए
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
समेत
अमेरिका
के
राष्ट्रपति
बराक
ओबामा
और
सदस्य
देशों
के
प्रमुख
ऑस्ट्रेलिया
पहुंच
चुके
हैं।
पिछले कुछ वर्षों में जी-20 एक ऐसा शिखर सम्मेलन बनकर उभरा है जिसे लेकर दुनिया के तमाम देशों में कभी नाराजगी रही तो कभी कुछ देशों की ओर से इस पर पक्षपात का आरोप भी लगा। इन सबके बावजूद वर्ष 1999 में गठित हुए इस संगठन ने सफलतापूर्वक अपना सफर जारी रखा है।
संगठन की 10 बातें
- जी-20 को ग्रुप ऑफ टवेंटी कहा जाता है। इसके चेयरमैन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट हैं।
- जी-33 को खत्म कर जी-20 बनाया गया था। यह कदम जून 1999 में लिया गया।
- शुरुआत में इसे जी-7 के नाम से जाना गया और 26 सितंबर 1999 को जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों का एक संगठन बना।
- 15-16 सितंबर को बर्लिन में इसकी पहली मीटिंग हुई।
- वर्ष 2008 में इसमें स्पेन और नीदरलैंड जैसे देशों को फ्रांस के अनुरोध पर शामिल किया गया।
- यह दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के प्रमुखों और वहां के सेंट्रल बैंक के गर्वनरों का एक फोरम है।
- दुनिया की करीब 85 प्रतिशत अर्थव्यवस्था में जी-20 देशों का योगदान है।
- इसी तरह से दुनिया के 80 प्रतिशत व्यापार का हिस्सा भी इन्हीं जी-20 देशों से आता है।
- वर्ष 2008 में जी-20 देशों के प्रमुख की पहली मुलाकात हुई थी।
- नॉर्वे और पाकिस्तान की ओर से अक्सर इस शिखर सम्मेलन पर पक्षपाती होने के आरोप लगते रहते हैं।
कौन-कौन से देश
- अमेरिका
- भारत
- चीन
- ऑस्ट्रेलिया
- रूस
- कनाडा
- यूनाइटेड किंगडम
- अर्जेंटीना
- ब्राजील
- फ्रांस
- जर्मनी
- इंडोनेशिया
- इटली
- जापान
- दक्षिण कोरिया
- मैक्सिको
- सऊदी अरब
- दक्षिण अफ्रीका
- तुर्की
- यूरोपियन यूनियन
मकसद
इसका
संगठन
का
मकसद
दुनिया
की
अर्थव्यवस्था
में
मौजूद
अहम
बातों
पर
चर्चा
के
लिए
अहम
औद्योगिक
और
विकासशील
अर्थव्यवस्थाओं
को
एक
साथ
लाना
है।
Comments
English summary
Prime Minister Narendra Modi first time participating in G20 summit on Saturday. Hence 10 things you must know about G20.
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