राजस्थान हाई कोर्ट ने कथित ‘लव जिहाद’ मामले में लगाई पुलिस को फटकार, 7 दिन में मांगी रिपोर्ट
नई दिल्लीः राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को फटकार लगाई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राजस्थान सरकार से कहा कि राज्य में धर्मपरिवर्तन के कानूनों और दिशानिर्देशों के बारे में बताए। अदालत ने निर्देश दिया कि लड़की को सात दिनों के लिए नारी निकेतन में भेजा जाए और पुलिस को निर्देश दिया कि सुनिश्चित किया जाए कि वहां उससे कोई मुलाकात नहीं करे।
लड़की के परिवार का कहना है कि ये 'लव जिहाद' का मामला है। वहीं मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जी के व्यास और न्यायमूर्ति एम के गर्ग की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जवाब दाखिल कर स्पष्ट करे कि राज्य में धर्म परिवर्तन से जुड़े कानूनी प्रावधान क्या हैं।
लड़की के भाई ने अदालत में पुलिस की लापरवाही पर नाखुशी जताई थी। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने परिवार की शिकायत पर एफआईआर लिखने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि पुलिस कैसे मान सकती है कि ''महज दस रुपये के स्टांप पेपर पर हलफनामा देने से'' लड़की का धर्म परिवर्तन कानूनन जायज है जबकि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।
लड़की के भाई अपनी याचिका में दावा किया गया था कि फैज नाम का युवक काफी लंबे समय से उसकी बहन से छेड़छाड़ करत था और जब वो एक दिन कॉलेज जा रही थी जो अपहरण कर लिया।
लड़की के भाई का कहना है कि पुलिस ने ये कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने इनकार कर दिया कि फैज ने सबूत पेश किए हैं कि 14 अप्रैल को महिला ने धर्म परिवर्तन का हलफनामा दिया। आरोप लगाए कि आरोपी ने उससे आपत्तिजनक तस्वीरों के माध्यम से ब्लैकमेल किया और इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने और उससे शादी करने का दबाव बनाया। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील गोकुलेश बोहरा ने कहा कि लड़की 25 अक्तूबर तक अपने परिवार के साथ थी जबकि दस्तावेज छह महीने पुराने हैं।
बोहरा ने दावा किया, ''यह 'लव जिहाद' का स्पष्ट मामला है और इस तरह के मामलों की जांच में पुलिस द्वारा रूचि नहीं दिखाने के कारण पिछले कुछ समय में नगर में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।'' इस तरह के आरोप हैं कि हिंदू लड़कियों को धर्म परिवर्तन करने और मुसलमानों से शादी करने के लिए लुभाया जाता है और हिंदू संगठन इसे ''लव जिहाद'' बताते हैं।
मामले में विस्तृत रिपोर्ट की मांग करते हुए अदालत ने पुलिस से कहा कि क्या उसने लड़की के कथित हलफनामे की सच्चाई की जांच का प्रयास किया।