हिमाचल की बेटी ने बनाई ऐसी धांसू मेडिकल डिवाइस जिसकी हर तरफ हो रही है चर्चा
शिमला। टाइफायड के मरीज को अब मंहगे वीडाल टेस्ट से निजात मिलने वाली है। इसके लिए एक शोधकर्ता ने एक ऐसा बायोमेडिकल डिवाइस तैयार किया है जिसकी लागत महज 35 रूपये है। इससे अब टाइफायड बुखार की जांच हो सकेगी। चिकित्सा क्षेत्र में यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कांगड़ा के फतेहपुर से सटे बंडियाली इलाके की रहने वाली प्रीति पठानिया ने अपने शोध से टाइफाइड बुखार की जांच करने का सस्ता बायोमेडिकल डिवाइस तैयार कर चिकित्सा जगत के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की कोशिश की है। प्रीति पठानिया ने ढाई साल के गहन अध्यन के बाद इस बायोमेडिकल डिवाइस का अविष्कार किया है। पीजीआई चंडीगढ़ में अब तक 34 मरीजों पर इस डिवाइस का परीक्षण किया जा चुका है और नतीजे बेहद सटीक रहे हैं।
प्रीति
के
बारे
में
प्रीति
पठानिया
का
जन्म
गांब
पकबा
भटोली
में
हुआ।
पिता
शक्ति
सिंह
पठानिया
पुलिस
बिभाग
में
बतौर
इंस्पेक्टर
अपनी
काबलियत
का
परचम
पहले
ही
लहरा
चुके
हैं।
प्रीति
की
माता
किरण
बाला
पूर्ब
जिला
परिषद
सदस्य
रहकर
लोगों
की
सेवा
कर
चुकी
हैं।
प्रीति
ने
प्राइमरी
इंदिरा
मेमोरियल
पब्लिक
स्कूल
इंदौरा,दसवी
पब्लिक
स्कूल
जगनोली,
जमा
दो
सीनियर
सेकेंडरी
स्कूल
फतेहपुर,बीएससी
बायोटेक्नॉलजी
डीएवी
कॉलेज
जालन्धर,और
एमएससी
बायोटेक्नॉलजी
की
पढाई
विश्वविद्यालय
सोलन
से
पास
की।
उच्च
शिक्षा
के
लिए
पांच
साल
पहले
चण्डीगढ
स्थित
संस्थान
यूथ
ऑफ
माइक्रोबियल
टेक्नॉलाजी(इमटेक)
में
दाखिला
लिया।प्रीति
ने
कड़ी
मेहनत
से
टाईफाइड
की
जांच
करने
वाला
डिवाइस
ईजाद
किया
है।
प्रीति
पठानिया
के
अनुसार
टाफाइड
मरीजों
को
अब
महंगा
बीड़ाल
टेस्ट
करवाने
की
जरूरत
नहीं
रहेगी।उसने
जो
डिवाइस
बनाया
है
बह
कम
खर्चे
में
ही
सटीक
परिणाम
देगा।सबसे
बड़ी
बात
यह
है
की
इस
डिवाइस
का
चण्डीगढ
पीजीआई
में
34
मरीजों
पर
परीक्षण
भी
किया
जा
चुका
है।
तुरंत
कर
लेगा
टाइफाइड
के
बैक्टीरिया
का
पहचान
दरअसल
टाईफाइड
की
जांच
के
लिए
विश्व
भर
में
मरीज
का
वीडाल
टाइफेक्स
टेस्ट
होता
है।यह
टेस्ट
महंगा
होता
है
जिसकी
विशेषता
भी
35
फीसदी
ही
मानी
जाती
है।
लेकिन
प्रीति
ने
बायोमेडिकल
डिवाइस
बनाया
है
वह
टाइफाइड
के
बैक्टीरिया
सालमोनेला
टाइफी
की
पहचान
तुरंत
कर
लेगा।
इस
टेस्ट
की
रिपोर्ट
चंद
मिनटों
ओर
सस्ते
दामों
में
मिलेगी।
प्रीति
का
कहना
है
की
खून
में
अगर
बैक्टीरिया
होगा
तो
रीडर
उसकी
पुष्टि
कर
देगा।
टाईफाइड
की
जांच
के
लिए
बायोमेडिकल
डिवाइस
में
मरीज
के
खून
की
एक
बूंद
डालने
पर
परिणाम
सही
मिलेगा।यह
डिवाइस
मोबाइल
फोन
से
थोड़ा
बड़ा
है
इसलिए
इसे
कहीं
भी
ले
जाकर
इस्तेमाल
किया
जा
सकता
है।
प्रीति
पठानिया
इस
रिसर्च
पर
करीब
बीस
लाख
रुपये
तक
ख़र्च
कर
चुकी
है।
यह
रीडर
मशीन
करीब
दस
हजार
रुपये
में
हर
कोई
खरीद
सकता
है।
बायोमेडिकल
डिवाइस
में
ऑप्टिकल
सेंसर
लगे
हैं,जो
महज
दस
मिनट
में
रिजल्ट
बता
देंगे।
पुलिस
इंस्पेक्टर
शक्ति
पठानिया
की
बेटी
हैं
प्रीति
प्रीति
पठानिया
उस
जाबांज
पुलिस
इंस्पेक्टर
शक्ति
पठानिया
की
बेटी
है
जिसने
कभी
जेल
से
भागे
खूंखार
अपराधी
अमरीश
राणा
को
पकडने
में
अहम
भूमिका
अदा
की
थी।प्रीति
का
एक
भाई
जगमोहन
पठानिया
जो
चण्डीगढ
में
वकालत
की
पढ़ाई
पूरी
कर
चुका
है।
प्रीति
की
शादी
इसी
साल
पांच
फरवरी
को
दुराणा
32
मील
गांब
सेना
में
तैनात
कैप्टन
दबिन्दर
राणा
के
साथ
हुई
है।
प्रीति
के
पिता
शक्ति
पठानिया
का
कहना
है
कि
उन्हें
अपनी
बेटी
की
काबलियत
पर
नाज
है।उसने
जो
डिवाइस
बनाया
है
वह
आम
जनता
के
लिए
फायदेमंद
साबित
होगा।
प्रीति
ने
जो
डिवाइस
बनाया
है
उसे
जल्द
ही
नीति
आयोग
से
अनुमति
मिलने
वाली
हैं।
प्रीति
ने
इस
सफलता
का
श्रेय
अपने
गुरुजनों,माता
पिता
को
दिया
है।