हिमाचल में 'बंदरों का आतंक' बना चुनावी मुद्दा, राष्ट्रीय मुद्दे नहीं छींटाकशी व जुमलेबाजी हावी
शिमला। हिमाचल में भाजपा के विजन डाक्यूमेंट के मुकाबले अब कांग्रेस ने भी अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी कर दिया है। लेकिन चुनावी रण में राष्ट्रीय मुद्दों का कोई महत्व यहां दिखाई नहीं दे रहा। चुनावी सभाओं में जो महौल बन रहा है, वह व्यक्तिगत छींटाकसी से आगे कुछ नहीं है। जिससे जमीन पर अभी तक मुददे प्रभाव छोडऩे में नाकाम रहे हैं। हालांकि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दल अपनी अपनी जीत यकीनी बनाने के लिये सिर धढ़ की बाजी लगाये हुये हैं। लेकिन प्रदेश में 13वीं विधानसभा के लिए 9 नवंबर को होने वाला चुनाव-प्रचार राष्ट्रीय मुद्दों को दरकिनार कर स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशियों के व्यक्तित्व पर आरोप-प्रत्यारोप और छींटाकशी के बीच सिमट कर रह गया है। यही वजह है कि सार्वजनिक मंचों पर सिवाए जुमलेबाजी के और कुछ भी मतदाताओं को परोसा नहीं जा रहा। इस मामले में कांग्रेस से भाजपा दो कदम आगे है।
हमीरपुर में भाजपा के प्रत्याशी नरेन्दर ठाकुर के चुनाव प्रचार में आये सांसद अनुराग ठाकुर को गांधी चौक पर आयोजित एक सभा में जब एक महिला ने बंदरों की समस्या पर घेरा ,तो उन्होंने तपाक से बंदरों के आतंक के लिए भी वीरभद्र को दोषी ठहरा दिया। भाजपा का पूरा प्रचार वीरभद्र सिंह और उनकी सरकार के भ्रष्टाचार पर केंद्रित है तो कांग्रेस का प्रचार भाजपा के स्थानीय नेताओं की कारगुजारी और केंद्र सरकार की प्रदेश के प्रति अनदेखी है।
भाजपा अगर वीरभद्र के बेटे की 84 करोड़ संपति की बात करती है तो कांग्रेस के समर्थक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की संपत्ति का हवाला देकर भाजपा को घेर रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि कांग्रेस पर परिवारवाद के पोषण का आरोप लगाने वालों को धूमल और उनके सांसद-पुत्र अनुराग ठाकुर की याद दिलवाई जा रही है। यही नहीं भाजपा जहां वीरभद्र सिंह को भ्रष्टाचार के मामलों में घेर रही है तो कांग्रेस भाजपा को सुखराम की याद दिला रही है।
भाजपा बार-बार बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला देकर कोटखाई -प्रकरण याद करवा रही है। वीरभद्र पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि इसके चलते उन्होंने विद्या स्टोक्स की ठियोग से चुनाव लडऩे की पेशकश ठुकरा दी और ठियोग और अपना निर्वाचन-क्षेत्र शिमला सदर बेटे के लिए छोडक़र सोलन जिला के अर्की विधानसभा क्षेत्र में पहुंच गए। वीरभद्र के समर्थक इस दलील को धूमल के निर्वाचन-क्षेत्र बदलने की बात से काट रहे हैं। बिलासपुर और हमीरपुर में भाजपा के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा धूमल के पक्ष में होने पर उत्साहित हैं। उन्हें लगता है कि धूमल ही उनकी नैया पार लगा सकते हैं।
कांग्रेस के प्रचार में कहीं-कहीं नोटबंदी और जीएसटी का मामला भी विरोध में उठाया जा रहा है। भाजपा इसके बदले पीएम मोदी के पिछले हिमाचल दौरे के दौरान राज्य के लिए केंद्र द्वारा घोषित 1000 करोड़ रुपए की विकासात्मक योजनाओं की बात करते हैं। विकास के बड़े-बड़े दावों का प्रदेश के मतदाताओं पर क्या असर होगा यह तो 18 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा ।