PM मोदी के हिमाचल दौरे से पहले भाजपा के कद्दावर ने उठाया सवाल, पेपर लीक और फर्जी डिग्री पर जयराम सरकार को घेरा
शिमला, 23 मई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस माह के अंत में होने वाले हिमाचल दौरे से ठीक पहले फर्जी डिग्री मामले के उछलने से प्रदेश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है। पुलिस भर्ती पेपर लीक कांड के बाद यह दूसरा मामला है जिसमें सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। सरकार की ओर से गठित एसआईटी ने अपनी जांच में माना है कि 12 राज्यों में प्रदेश की 43 हजार फर्जी डिग्रियां बेची गईं। और इन्हीं के सहारे कई लोग नौकरी पा गये। इस बार प्रदेश सरकार के खिलाफ विपक्षी कांग्रेस या आम आदमी पार्टी ने नहीं, बल्कि भाजपा के ही दिग्गज नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री व सीएम रहे शांता कुमार ने हमला बोला है। शांता कुमार ने इस मामले से निपटने में प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुये कहा है कि इस तरीके से नरेन्द्र मोदी के सपनों का भारत बनाने के प्रयासों को तोड़ा जा रहा हे। उन्होंने प्रदेश पुलिस के अधिकारियों को भी लपेटा है।
शांता कुमार की बेबाक घेराबंदी सत्तारूढ भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को भी नया हथियार दे रही है। हालांकि शांता कुमार के आरोपों पर भाजपा कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। खुद सीएम जय राम ठाकुर भी जवाब देने से कतरा रहे हैं। सरकार पहले पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में अपनी फजीहत करवा चुकी है। दरअसल, प्रदेश सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल ने फर्जी डिग्री मामले में बीस आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की है। एसआईटी ने चार्जशीट की फाइल अभियोजन अधिकारी को मंजूरी के लिए भेज दी है। जल्द ही इसे अदालत में दाखिल किया जाना है। पुलिस जांच टीम अब तक 43,000 फर्जी डिग्रियां बरामद कर चुकी है।
बताया जा रहा है कि चार्जशीट में शामिल बीस आरोपियों में मानव भारती विवि का मालिक राजकुमार राणा, उसकी पत्नी, रजिस्ट्रार, अकाउंटेंट, सात एजेंट और ट्रस्ट के सदस्य हैं। संस्थान के कहने पर एजेंट फर्जी डिग्री दिलाने का सौदा करते थे। पुलिस जांच में यह पाया गया है कि 12 राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं। इनमें महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और बंगलूरू शामिल हैं। विशेष जांच टीम के आईजी हिमांशु मिश्रा, पुलिस अधीक्षक विरेंद्र कालिया, पुलिस अधीक्षक रोहित मालपानी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरबीर सिंह राठौर सहित टीम के अन्य सदस्यों ने बाहरी राज्यों से हजारों डिग्रियां बरामद की हैं। फर्जी डिग्री लेकर कुछ लोग मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पदों पर बैठे थे। उन्हें भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। 2010 से फर्जी डिग्री आवंटन का खेल चल रहा है। शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद फर्जी डिग्रियां बिकनी शुरू हो जाती थीं। एजेंट डिग्रियों के सौदे करते थे। ये एजेंट पैसों का नकद लेन-देन करते थे। एक लाख रुपये तक में बेची गईं डिग्रियां ये डिग्रियां बीस हजार से लेकर एक लाख रुपये तक में बेची गई हैं। मानव भारती विश्वविद्यालय में तैयार इन डिग्रियों पर बाकायदा रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर होते थे।
विवादों में घिरे मानव भारती विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा के पास सारा पैसा इकट्ठा होता था। एजेंट कमीशन लेते थे। पैसा जमा होने के बाद फर्जी डिग्री तैयार की जाती थी। एजेंटों की मांग पर बिना अनुमति वाले कोर्स की भी तैयार होती थी डिग्री एजेंटों की मांग पर मानव भारती विश्वविद्यालय ने बिना अनुमति वाले कोर्स की भी डिग्रियां तैयार कर दीं। एजेंट राज्यों से किसी भी कोर्स की डिग्री की मांग लेकर आते थे। आठ से दस दिन के भीतर उन्हें यह डिग्री उपलब्ध करवा दी जाती थी। इस बीच, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में 43 हजार फर्जी डिग्रियां बिकने का कलंक अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। 43 हजार डिग्रियां करोड़ों रू में बिकी। हिमाचल में भी हजारों लोगों ने डिग्रियां खरीदी। कई साल तक यह घोटाला होता रहा। हैरानी की बात यह है कि पुलिस और सरकार को इसका पता ही नहीं लगा।
उन्होंने कहा कि हजारों लोगों ने डिग्रियां खरीदी। सैकड़ों घरों में चर्चा हुई होगी। पुलिस में गुप्तचर विभाग का यही काम होता है कि इस प्रकार के होने वाले अपराध का पता करें। यह भी अपने आप में एक बड़ा घोटाला है कि हिमाचल में इतना बड़ा महापाप और महा अपराध वर्षो तक होता रहा परन्तु सरकार को कोई पता नही चला। शांता कुमार ने कहा कि यह सोच कर डर लग रहा है कि कहीं जनता भी इस भ्रष्टाचार में शामिल तो नही हो गई। सैकड़ों लोगों को फर्जी डिग्रियां बिकने का पता लगा होगा। उन में एक भी ऐसा ईमानदार देशभक्त नहीं था जो इस अपराध की सूचना सरकार को देता। यह भी हो सकता है कि हिम्मत करके सूचना दी हो परन्तु भ्रष्टाचार के कारण उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई हो। उस समय के पुलिस गुप्तचर विभाग के प्रमुख को भी अपराधी बनाया जाना चाहिए। इस विभाग के पास लाखों रू0 इसी काम के लिए होते है। सैकड़ों कर्मचारी होते है। वह भी बराबर अपराधी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पुलिस पेपर लीक घोटाले में हिमाचल प्रदेश के माथे पर एक और कलंक लगा है। रोज उसकी खबरें पढ़कर सिर शर्म से झुक जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी को बधाई दी है कि उन्होंने इस मामले को सी.बी.आई. को सौंपने का निर्णय किया है।
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शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि भविष्य में हिमाचल प्रदेश का कोई भी विभाग अपने विभाग की भर्ती स्वंय न करे। यह काम करने के लिए हिमाचल प्रदेश में दो संस्थाएं पहले से स्थापित है। राजपत्रित कर्मचारियों के लिए हि0प्र0 पब्लिक सर्विस कमीशन और अन्य कर्मचारियों के लिए हि0प्र0 कर्मचारी चयन कमीशन है। सभी विभागों की भर्ती का काम इन दो संस्थाओं द्वारा ही करवाया जाए। इस निर्णय से हर प्रकार के चयन में पारदर्शिता आयेगी और किसी प्रकार के घोटाले की सम्भावना नहीं रहेगी। पीएम नरेन्द्र मोदी शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिये दिन रात परिश्रम कर रहे है। केन्द्र सरकार पर पिछले 8 साल में कोई ऊंगली भी नहीं उठा सका। परन्तु पीएम मोदी सब जगह नही आयेंगे। जनता को हर प्रकार का सहयोग देना होगा।