हिमाचल चुनाव से पहले आप ने उछाला प्रदेश के स्कूलों की बदहाली का मुद्दा, असहज हुई भाजपा भी दे रही जवाब
शिमला, 20 मई। हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों की दशा को लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और हिमाचल की भाजपा सरकार के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। नेताओं में श्रेय लेने की होड़ लगी है कि किस राज्य में सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर है। इस मामले पर सोशल मिडिया में अच्छी खासी बहस छिड़ी है जिससे मौजूदा भाजपा सरकार भी असहज हो रही है। पार्टी व सरकार को लगता है कि चुनावी साल में चल रही यह बहस पार्टी के लिये परेशानी खड़ी कर सकती है। यही वजह है कि अब अचानक भाजपा संगठन के नेता और सरकार प्रदेश में शिक्षा के हालत बेहतर होने के दावे करने लगे हैं। हालांकि इससे पहले यह मुद्दा राजनैतिक दलों की बहस में शामिल नहीं होता रहा है।

पूर्व डीजीपी ने भी की हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी
हिमाचल प्रदेश पुलिस में डीजीपी रहे ईश्वर देव भंडारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग की एकमात्र उपलब्धि विभाग को तबादला उद्योग के रूप में तब्दील करना है। नेता अधिकारियों का गठजोड़ इसी के जरिये करोंडो की उगाही करने में लगा है। जिससे प्रदेश के स्कूलों की दशा व दिशा को सुधारने के लिये कोई कदम नहीं उठाया गया, और सरकारी स्कूलों के हालत बद से बदतर होते चले गये। वहीं, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के प्रदेश में भाजपा सरकार के शिक्षा की हालत को बदतर करने के आरोपों के बाद अब प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री को हिमाचल आकर प्रदेश में आकर स्कूलों को देखने का न्यौता दिया तो जवाब में मनीष सिसोदिया ने कहा कि हिमाचल में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने से शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर घबरा गए हैं। शिक्षा मंत्री प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई सामने आने के बाद हकीकत पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। सिसोदिया ने ट्वीट किया है कि देखकर खुशी हुई कि हिमाचल में शिक्षा पर चर्चा तो शुरू हुई। उन्होंने शिक्षा मंत्री से कहा कि हिमाचल में भाजपा सरकार स्कूल दिखाए और मैं दिल्ली के स्कूल दिखाता हूं। इसके बाद फिर इस मसले पर खुली बहस करेंगे। जनता खुद तय कर लेगी कि किस राज्य में शिक्षा पर अच्छा काम हुआ है।

भाजपा के प्रदेश महासचिव ने दिया जवाब
इस बीच, भाजपा के प्रदेश महासचिव और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जमवाल ने कहा कि हाल ही में सिसोदिया ने हिमाचल सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाए। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। शिक्षा मानकों के मामले में हिमाचल देश में दूसरे स्थान पर है जबकि दिल्ली ग्यारहवें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि 2015 से 2021 तक, दिल्ली में 16 स्कूल बंद कर दिए गए हैं। जबकि, दिल्ली में कुल 1030 स्कूल हैं और इनमें 745 स्कूलों में प्रिंसिपल और 416 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल नहीं हैं। तथ्य यह है कि उनकी शिक्षा प्रणाली में 16834 पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि नौवीं कक्षा में हर साल एक लाख से ज्यादा छात्र फेल होते हैं। सिसोदिया हिमाचल में किस तरह का शिक्षा मॉडल लाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल अपने छात्रों को 15 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ छात्रवृत्ति प्रदान करता है लेकिन दिल्ली सरकार छात्रों को ऋण प्रदान करती है। दिल्ली में आप सरकार ने दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास के लिए 348 छात्रों को ऋण दिया है।

आप प्रवक्ता ने की शिक्षा मंत्री के बयान की आलोचना
दूसरी ओर , प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर के बयान की आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता गौरव शर्मा ने निंदा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षकों की कमी है। स्कूलों की दयनीय हालत को लेकर जनता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रही है। मंत्री कह रहे हैं कि दिल्ली में स्कूल कम हैं और जनसंख्या भी कम है। हिमाचल की जनता 70 लाख है और स्कूल 15 हजार से ज्यादा हैं। दिल्ली की जनसंख्या ढाई करोड़ के पार है और दिल्ली के स्कूल पिछले सात साल में देश के लिए मॉडल बनकर उभरे हैं। चार लाख छात्र निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में आए हैं। हिमाचल में दो लाख छात्र सरकारी स्कूलों को छोड़कर निजी स्कूलों में गए। दो हजार से ज्यादा स्कूल एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। 47 फीसदी स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं हैं। स्कूलों में शौचालय और खेल मैदान उपलब्ध नहीं हैं।
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