SYL विवाद पर सियासत तेज, पंजाब नहीं जाएंगी हरियाणा की बसें
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने भी गुरुवार को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि वह अपने विधायकों और सांसदों को साथ लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे और उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे।
नई दिल्ली। सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। एक ओर जहां कांग्रेस के 42 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया तो दूसरी ओर सुरक्षा के लिहाज से एहतियातन हरियाणा से पंजाब जाने वाली बसें बंद कर दी गई हैं।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने भी गुरुवार को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि वह अपने विधायकों और सांसदों को साथ लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे और उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे।
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कांग्रेस
ने
किया
बादल
सरकार
का
विरोध
अमरिंदर
सिंह
ने
कहा,
'हम
बादल
सरकार
के
खिलाफ
विरोध-प्रदर्शन
करेंगे
क्योंकि
जनता
के
हित
में
सरकार
काम
नहीं
कर
रही
है।'
राज्य
में
राष्ट्रपति
शासन
लगने
की
आशंका
भी
जताई
जाने
लगी
है।
वहीं
पंजाब
के
मुख्यमंत्री
प्रकाश
सिंह
बादल
ने
सुप्रीम
कोर्ट
का
फैसला
आने
के
बाद
तत्काल
कैबिनेट
की
आपात
बैठक
बुलाई
थी
और
फैसला
लिया
था
कि
राज्य
से
एक
बूंद
पानी
भी
कहीं
नहीं
जाने
दिया
जाएगा।
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क्या
है
सतलुज-यमुना
लिंक
नहर
विवाद?
पंजाब-हरियाणा
के
बीच
रावी
और
ब्यास
नदियों
के
अतिरिक्त
पानी
को
साझा
करने
का
समझौता
करीब
60
साल
पुराना
है।
1976
में
केंद्र
सरकार
ने
पंजाब
को
3.5
मिलियन
एकड़
फीट
(एमएएफ)
पानी
हरियाणा
को
देने
का
आदेश
दिया
था।
इसके
लिए
बाकयदा
सतलुज-यमुना
लिंक
नहर
बनाने
का
काम
भी
1980
में
शुरू
कर
दिया
गया
लेकिन
लगभग
95
फीसदी
काम
पूरा
होने
के
बाद
पंजाब
ने
काम
रोक
दिया।
जिसके
बाद
हरियाणा
ने
कोर्ट
का
रुख
किया।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मामले
की
सुनवाई
करते
हुए
पंजाब
सरकार
के
पंजाब
टर्मिनेशन
ऑफ
एग्रीमेंट
एक्ट
2004
को
असंवैधानिक
करार
दिया।