मोटरसाइकिल मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, पिता ने यूं दिखाई कामयाबी की राह
कुरुक्षेत्र। हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिले के गांव लाडवा के रहने वाले साहिल सैनी ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर नाम रोशन कर दिया। साहिल के पिता मोटरसाइकिल मैकेनिक हैं, बेटे की बड़ी कामयाबी पर उनका सीना फख्र से चौड़ा हो गया है। साहिल और उसके परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। बतौर लेफ्टिनेंट साहिल की पहली पोस्टिंग पंजाब के पठानकोट में हुई है। विगत शनिवार को देहरादून आईएमए ट्रेनिंग सेंटर में स्वयं थल सेनाध्यक्ष ने साहिल कुमार को सितारे लगाकर लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त कराया था।
कुरुक्षेत्र जिले के गांव लाडवा से हैं लेफ्टिनेंट साहिल
संवाददाता ने बताया कि, साहिल के पिता का नाम बुधराम है। उनके कहने पर साहिल जनवरी 2019 में सेना की ट्रेनिंग के लिए देहरादून आईएमए ट्रेनिंग सेंटर गया था। वहां करीब डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद साहिल सेना में लेफ्टिनेंट बन गए। जिसके लिए, बुधराम फूले नहीं समा रहे। वो कहते हैं- 'साहिल ने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के स्कूल में ही की। 8वीं तक वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा। उसके बाद 9वीं से 12वीं कक्षा तक की शिक्षा उसने निवारसी के नवोदय स्कूल में प्राप्त की।'
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12वीं तक छोटे से गांव में ही पढ़े, फिर आगे बढ़े
12वीं करने के बाद साहिल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। जहां स्नातक की परीक्षा पूरी कर उसने संयुक्त रक्षा सेवा का पेपर दिया था। बताया जाता है कि, उस परीक्षा में देशभर से करीब 9 लाख स्टूडेंट्स ने भाग लिया। जिसमें साहिल कुमार ने 18वीं रैंक हासिल की। साहिल सहित 40 स्टूडेंट्स को सेना के लिए चुना गया था। विगत शनिवार साहिल को लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात की घोषित की गई।
पिता बुधराम और परिजन समारोह में न जा सके
हालांकि, कोरोना-लॉकडाउन के चलते साहिल के माता-पिता और भाई समारोह में शामिल नहीं हो पाए। न ही ही साहिल को घर आने की परमिशन मिली। बल्कि, पद संभालते ही उन्हें सीधे पंजाब के पठानकोट में ड्यूटी पर भेज दिया गया। एक गांव वाले ने साहिल के पिता बुधराम के बारे में बताते हुए कहा कि, कम पढ़े-लिखे हैं।
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बुधराम ने काबलियत का यूं मनवाया लोहा
खुद कम पढ़े-लिखा होने के बावजूद बुधराम ने न केवल खुद जी तोड़ मेहनत की, बल्कि बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने एवं उन्हें उनकी काबिलियत से रूबरू कराने में भी कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि, आज एक छोटे से गांव से उनका बेटा सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर पहुंचा है। यह पता चलने पर गांव में साहिल के ही चर्चे हो रहे हैं।