हरियाणा न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

ये धाकड़-बहू बेटियां: किसी ने चूल्हा-चौका के बाद भी किया कमाल, कोई बनी 13 बार भारत-केसरी

Google Oneindia News

पानीपत। हरियाणवी महिलाएं पुरुषों की बराबरी करती हैं, ये बात हर किसी के गले उतर जाती है। यहां की महिलाओं ने वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाया है। वे रोज कहीं न कहीं प्रतियोगिताएं जीत रही हैं। कुछ मुकाबले तो पुरुषों से ही होते हैं, जिनमें वे उन्हें हरा देती हैं और गांव-कस्बे का नाम भी रोशन कर देती हैं। इससे यह बात झुठला जाती है कि शादी के बाद महिलाएं बच्चों की परवरिश व परिवार की जिम्मेदारी में जिंदगी गुजार देती हैं।

"धाकड़" बहू-बेटियों पर है घरवालों को नाज

अपने दमखम से नाम रोशन करने वाली बहू-बेटियों को यहां की आम बोल-चाल में "धाकड़" कहा जाता है। बॉलीवुड की दंगल फिल्म का गाना भी "धाकड़" बेटियों पर फिल्माया गया, जो कि असल कहानी ही थी। महावीर फोगाट की बेटियां गीता-बबीता हों या रितु और संगीता। नांगल खेड़ी गांव की पहलवान बहू सुमन हों या शूटर अंजलि यादव। इन सबने घरवालों की झोली सोने चांदी के मेडलों से भर दी और देश का नाम रोशन किया।

एशियाई गेम्स की तैयारी कर रहीं कई महिलाएं

एशियाई गेम्स की तैयारी कर रहीं कई महिलाएं

हरियाणा की कई बहू-बेटियां अब आगामी एशियाई गेम्स की तैयारी कर रही हैं। यहां सैकड़ों ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने किसी न किसी खेल-प्रतियोगिता में जीत हासिल कर अपना व अपने राज्य का नाम रोशन कर दिया। कई ऐसी भी महिलाएं हैं जो परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ खेलों में पदक जीत रही हैं। उनकी पहचान अब खिलाड़ियों के तौर पर ज्यादा हैं। परिजन भी उन पर नाज करते हैं। वे चहुंओर सक्रिय नजर आती हैं।

 पति बच्चों को संभालते हैं

पति बच्चों को संभालते हैं

नांगल खेड़ी की बहू सुमन कामनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। घर पर उनके पति डॉ. परमजीत मलिक बच्चों को संभालते हैं। वहीं, सुमन देश-दुनिया की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती हैं। इसी प्रकार, पानीपत से कुछ किमी दूर सिवाह गांव की दिव्यांग सुमन के पति भी दिव्यांग हैं। वह दुकान चलाते हैं। उन्होंने पत्नी को पावर लिफ्टिंग की ट्रेनिंग कराई। जिसके बाद पत्नी ने नेशनल पैरा पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

अंजलि निशाना मारने में माहिर

अंजलि निशाना मारने में माहिर

पानीपत में सेक्टर 13-17 की रहने वाली अंजलि यादव को शूटिंग का जुनून है। वह शूटिंग एकेडमी में रोज 4-5 घंटे प्रैक्टिस किया करती थीं। उन्हें सफलता मिली। कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीते। उनके अलावा बेटियां भी खेलकूद पर काफी मेहनत कर रही हैं। पिता वीरेंद्र घर के कामकाज देखते हैं। अब अंजलि एशियन गेम्स के लिए रोजाना कड़ी मेहनत कर रही हैं। उनका लक्ष्य यहां गोल्ड जीतना है। उनके परिजनों ने बताया कि, वह शूटिंग में नार्थ जोन चैंपियन रह चुकी हैं। अब नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता की तैयारी में भी जुटी हैं।

ये हैं बुआ देवी: गांव से पाई यूं देश-दुनिया में पहचानये हैं बुआ देवी: गांव से पाई यूं देश-दुनिया में पहचान

13 बार हासिल किया भारत केसरी का खिताब

13 बार हासिल किया भारत केसरी का खिताब

पहलवानी में गांव अदियाना की निशा दहिया का नाम लिया जा सकता है। वह 13 बार भारत केसरी रहे चुकी हैं। इसके अलावा 2 बार सीनियर नेशनल, 2 बार जूनियर नेशनल व 2 बार अंडर 23 नेशनल में जीत चुकी हैं। नेशनल रेसलिग प्रतियोगिता में कई गोल्ड उन्होंने जीते। पिछले साल उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीनियर अंडर 23 रेसलिग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। उन्होंने 65 किलोग्राम भार वर्ग में दम दिखाया था। यह मुकाबला 1 से 7 नवंबर तक सर्बिया में हुआ।

Comments
English summary
Haryanvi women players: These "Dhakad" daughter-in-laws and daughters winning competitions with Gold silver medal, know their stories
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X