लेह: भारतीय सेना के लिए -40°C में भी बनेगी बिजली, गुजरात के छात्र ने लगाई ऐसी पहली पवन चक्की
लेह। लद्दाख प्रांत में हजारों फीट ऊंचाई पर हिमवर्षा और -40°C के बीच अब भारतीय सेना के लिए बिजली उत्पन्न की जा सकेगी। गुजरात के एक छात्र (उभरते टेक्नीशियन) की मदद से लेह में ऐसी पवन चक्की लगाई गई है। ये टेक्नीशियन हैं आणंद जिले के वल्लभविद्यानगर निवासी हर्षवर्धन झा। उन्होंने स्वदेशी तकनीक से इस पवन चक्की का निर्माण किया है। ये खास तरह की पवन चक्की न सिर्फ माइनस 40 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर में, बल्कि हिम बारिश के बीच भी बिजली उत्पन्न करती है।
देश में पहली बार लगी ऐसी पवन चक्की
इस तरह की तकनीक वाली पहली पवन चक्की लेह में स्थापित की गई है, अब जहां भारतीय सेना के सर्विलांस साधनों को भी जरूरी बिजली मिल सकेगी। इसके अलावा इसका उपयोग रोशनी एवं कुकिंग के इंतजाम करने में भी हो जाएगा। बता दें कि, हर्षवर्धन झा वल्लभविद्यानगर में रिन्युएबल एनर्जी क्षेत्र में पीएचडी कर रहे हैं। भारतीय सेना को होने वाली दिक्कतों पर गौर करते हुए उन्होंने विशेष प्रकार की पवन चक्की तैयार की सोची। मेहनत सफल रही। अब उनकी तकनीक से बर्फीले पहाड़ों के बीच माइनस 40 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान में भी बिजली उत्पन्न होने लगी है।
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पहले भी कई तरह की तकनीक विकसित कर चुके
माइनस डिग्री सेल्सियस तापमान में और हिम बारिश के बीच बिजली उत्पन्न करने वाली यह भारत की पहली स्वदेशी पवनचक्की है। एक अधिकारी ने बताया कि, पवन चक्की को लेह स्थित आर्मी कैंप में स्थापित किया गया है। यूं तो गुजरात के समुद्रतटीय और राजस्थान के रण क्षेत्र में जगह-जगह पवन चक्की देखने को मिल जाएंगी। जबकि, बर्फीले प्रदेश में इस तरह की पवन चक्की लगाना कठिन है। बर्फ के कारण पवनचक्की की प्रक्रिया बाधित होती है। न ही उतनी हवा चलती है। खासकर, लेह-लदाख तो ऐसा क्षेत्र है जहां हिमालय है और बर्फ ही बर्फ है।
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रिन्युएबल एनर्जी क्षेत्र में पीएचडी कर रहे हर्षवर्धन झा
हर्षवर्धन झा बताते हैं कि, उन्होंने अपने पिता के मार्गदर्शन में ऐसी तकनीक विकसित की है। पिता भी संशोधक हैं। ऐसे में दोनों पिता-पुत्र इस काम में जुटे हुए थे। उन्होंने इससे पहले भी कई तरह की पवन चक्की तैयार की हैं। जिनमें से गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में चरखा के आकार की पवन चक्की भी एक है, जो आकर्षण का केन्द्र बनई हुई है। हर्षवर्धन झा ने कहा कि, मैं अभी वल्लभविद्यानगर की सरदार पटेल यूनिवर्सिटी से अध्ययनरत हूं। हम चाहते थे कि, ऐसी पवन चक्की बने जिसके माध्यम से बर्फीली जगहों पर भी बिजली उत्पन्न की जा सकेगी। इसी के चलते हमारी तकनीक से पहली बार ऐसी पवन चक्की का निर्माण किया गया है।