गुजरात: 10 साल तक 1 ही कमरे में बंद रहे ये 3 भाई बहन, NGO पहुंचा तो देखा दिन का उजाला
राजकोट। कोरोना महामारी के चलते देशवासी मार्च से जून तक 70 दिवसीय लॉकडाउन के चलते घरों में रहे। 2 महीनों तक चार-दीवारों के बीच रहने के बाद लोगों ने खुद की मुक्ति महसूस की। मगर, कल्पना कीजिए कि कोई एक दशक तक एक कमरे में रहकर जिंदगी जिए तो क्या होगा? कैसा लगेगा, यहां तक कि धूप देखने की भी अनुमति न हो? आप कह देंगे कि ऐसे तो नहीं जिया जाएगा। मगर, गुजरात के राजकोट में ऐसा असलियत में हुआ है।
राजकोट के किसानपारा एरिया में तीन भाई-बहनों (दो भाई और एक बहन) ने 10 साल तक खुद को पूरी तरह से समाज से अलग रखा। वे एक ही कमरे में बंद रहे और रविवार के दिन तब बाहर आए जब 'साथी सेवा' नामक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के सदस्यों को उनकी खबर लगी। साथी सेवा समूह के सदस्यों ने उनके कमरे का दरवाजा तोड़कर उन्हें मुक्त करवाया, तो उन तीनों भाई-बहनों को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस मामले में सामने आया है कि, मानसिक निशक्तता की वजह से तीनों ने खुद को इतने वर्षों तक सबसे अलग रखा। उनका पता- राजकोट के किसानपारा चौक के शेरी नंबर-8 था।
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एक इंग्लिश न्यूज पोर्टल के मुताबिक, तीनों (दो भाई और एक बहन) ने पिता के आग्रह को भी ठुकराते हुए दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद 'साथी सेवा' एनजीओ ने दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया। वहां अंदर की हालत देखकर सभी चौंक गए। तीनों के बाल-दाढ़ी सन्यासियों की तरह हो चुके थे। 10 साल से उन्होंने न तो स्नान किया था और ना ही साफ कपड़े पहने थे। उसी कमरे में वह खाना-पानी किया करते थे। वहीं, अब उनके पिता पर उन तीनों को छुपाकर रखने के आरोप भी लग रहे हैं। उनके इलाज में कोताही बरतने की बात कही जा रही है। यह भी पता चला है कि उनकी माता नहीं है।