Isudan Gadhvi Gujarat में आप के CM कैंडिडेट कैसे बने ? एक साल पहले ही बने हैं AAP सदस्य
Isudan Gadhvi Gujarat में आम आदमी पार्टी (आप) के CM कैंडिडेट बने हैं। जानिए, एक साल पहले AAP सदस्य बने इसुदान गढ़वी का सियासी सफर और 3 फैक्टर जिसके कारण इसुदान सीएम कैंडिडेट बने। Isudan Gadhvi Gujarat Cm Candidate aap
Isudan Gadhvi Gujarat में आम आदमी पार्टी (AAP) के CM कैंडिडेट चुने गए हैं। पिछले ही साल AAP में शामिल हुए इसुदान गढ़वी गुजरात में आप का चेहरा कैसे बने ? ये जानना काफी दिलचस्प है। AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को बताया था कि आप को 16 लाख से अधिक सिफारिशें मिलीं, इसमें से 73 प्रतिशत ने गढ़वी को चुना। गुजरात में आप का चेहरा बने गढ़वी के सीएम कैंडिडेट बनने के पीछे 3 और भी फैक्टर हैं। जानिए,
सुरक्षित नौकरी छोड़ने का फैसला किया
इसुदान गढ़वी ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा गुजरात के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कहा, "मेरे पास एक अच्छी और सुरक्षित नौकरी थी। मैं बाहरी शूटिंग के लिए जाता था और हजारों लोग इकट्ठा होते थे। लोग कुछ करने की अपील करते थे। जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ी तो लोग मुझे मूर्ख कहते थे, लेकिन जिस दिन मैंने अपनी 'सुरक्षित' नौकरी छोड़ने का फैसला लिया, उसी दिन से गुजरात के वास्तव में क्या कर सकता हूं इस पर विचार शुरू हो गया।
एक साल पहले ही AAP नेता बने इसुदान गढ़वी
जब Isudan Gadhvi को आप का सीएम कैंडिडेट बनाया गया, इस मौके पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, पार्टी के गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया, महासचिव मनोज सोरतिहिया भी मौजूद रहे। गढ़वी ने अपने परिवार के सदस्यों को गले लगाया। दिलचस्प बात यह है कि 'पीपुल्स पिक' के रूप में पेश किए जा रहे इसुदान गढ़वी आधिकारिक तौर पर पिछले साल जून में ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। इटालिया और सोरतिहिया जैसे नेता लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं और रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम कैंडिडेट के लिए ये दोनों नेता भी मैदान में थे।
CM कैंडिडेट बनने के पीछे तीन प्रमुख फैक्टर
इसुदान गढ़वी को सीएम कैंडिडेट बनाने के बाद अहमदाबाद में मीडिया को संबोधित करते हुए, केजरीवाल ने गुरुवार को दावा किया था कि पार्टी को AAP के 'सीएम चुनें' अभियान के तहत 16 लाख से अधिक सिफारिशें मिलीं। इनमें से 73 प्रतिशत ने गढ़वी को चुना। गढ़वी के कौन से गुणों ने उन्हें गुजरात में सीएम कैंडिडेट बना दिया, इस बारे में क्विंट ने तीन प्रमुख कारकों को रेखांकित किया है।
'पीपुल्स' पत्रकार की छवि
साल 2005 में गुजरात विद्यापीठ से जनसंचार की पढ़ाई पूरी करने के बाद गढ़वी पत्रकार बने। कई मीडिया घरानों के साथ 16 साल का लंबे कार्यकाल गढ़वी को 'जन-उन्मुख' पत्रकार बनाता है। उन्हें पीपुल्स पत्रकार के रूप में देखा जाता है। द क्विंट ने गढ़वी के कई पूर्व सहयोगियों और स्थानीय पत्रकारों के हवाले से बताया है कि गढ़वी एक ऐसे व्यक्ति के रूप में मशहूर हैं, जो सत्ता में बैठे लोगों से कठिन सवाल करते हैं। लोगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाले गढ़वी राजनीतिक पार्टी से प्रभावित न होने के लिए भी जाने जाते हैं।
विनम्रता और चालाकी से कठिन सवाल पूछे
ईटीवी गुजराती के साथ काम करने के दौरान गढ़वी को डांग और कपराडा जिले में अवैध पेड़ काटने के 150 करोड़ रुपये के घोटाले का पता लगाने का श्रेय दिया जाता है। राज्य सरकार के लिए शर्मिंदगी के रूप में सामने आए इस घोटाले की रिपोर्टिंग कर गढ़वी और लोकप्रिय बने। 2015 में, गढ़वी ने मात्र 32 साल की उम्र में वीटीवी का कार्यभार संभाला। यहां दैनिक डिबेट शो 'महामंथन' के साथ गढ़वी गुजरात के ग्रामीण हिस्सों में व्यापक रूप से लोकप्रिय हुए। पूर्व मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों सहित राजनीतिक नेताओं के साथ इंटरव्यू के दौरान गढ़वी को विनम्रता और चालाकी से कठिन सवाल पूछते देखा गया। पूर्व सीएम विजय रूपाणी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ इसुदान गढ़वी के साक्षात्कार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हुईं।
ग्रामीण मतदाताओं के बीच पैठ
गुजरात में AAP की प्रतिद्वंद्वी और सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अक्सर आप पर एक 'शहरी पार्टी' होने का आरोप लगाती है। बीजेपी का कहना है कि जनाधार के अभाव में AAP 'केवल सोशल मीडिया की रणनीति अपना रही है।' ऐसे में गढ़वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना AAP के फेवर में जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी ग्रामीण मतदाताओं के बीच लोकप्रियता रही है। गुजराती भाषा में गढ़वी की 'खेदत नो पत्रकार' (ग्रामीण जनता के पत्रकार) की छवि है, ऐसे में आप इसे भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के पिपलिया गांव के रहने वाले गढ़वी के पिता खराजभाई पेशे से किसान थे।
इसुदान गढ़वी पत्रकार से AAP नेता क्यों बने
ग्रामीण वोटर्स के बीच गढ़वी की इमेज के बारे में द क्विंट ने गुजरात AAP प्रवक्ता योगेश जादवानी के हवाले से कहा, टीवी न्यूज़ रूम में ज्यादातर बहस राजनीति से प्रेरित होती है। गढ़वी खेडूत, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के मुद्दों को सामने लाए। कोविड -19 महामारी के दौरान, गढ़वी ने दिखाया कि कैसे गुजरात में अस्पतालों को दरवाजे बंद करने पड़े क्योंकि वे लोगों से भरे हुए थे। जादवानी ने दावा किया, चूंकि गढ़वी एक लोकप्रिय पत्रकार थे, इसलिए उनके पास राज्य के ग्रामीण हिस्सों के अलावा शहरी क्षेत्रों से भी आईसीयू बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मदद मांगने वाले लोगों के फोन भी आते थे। उन्होंने महसूस किया कि भाजपा सरकार के 27 वर्षों के बावजूद, स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा चरमरा गया है। उन्होंने समझा कि जब लोगों की मदद करने की बात आती है तो एक पत्रकार के रूप में उनकी सीमाएं होती हैं। इसीलिए उन्होंने AAP में शामिल होने का फैसला किया।
गढ़वी को इटालिया पर तरजीह 'गैर-पाटीदार' उम्मीदवार का जुआ
इसुदान गढ़वी के सीएम कैंडिडेट बनने में शामिल फैक्टर की स्टोरी में द क्विंट ने आम आदमी पार्टी के एक सूत्र के हवाले से कहा, AAP को विशेष रूप से पाटीदार छवि से बचना था। इसके बजाय व्यापक युवा समर्थन प्राप्त करने पर फोकस किया गया। इस सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गढ़वी को इटालिया पर तरजीह इसलिए दी गई क्योंकि वे युवाओं से बेहतर कनेक्ट रखते हैं। राज्य के राजनीतिक माहौल और 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समुदाय की भूमिका को देखते हुए गैर-पाटीदार सीएम उम्मीदवार के रूप में खड़ा करना कई लोगों द्वारा AAP का जुआ के रूप में देखा जा रहा है। राज्य के एक पार्टी पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आप के सीएम उम्मीदवार को पाटीदार समुदाय से होने की जरूरत नहीं है।
इसुदान PAAS में सक्रिय रहे
आप पदाधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर भाजपा पर आरोप लगाया और कहा, बीजेपी ने पाटीदार समुदाय के लोगों के साथ अन्याय किया है। लोगों को देखना चाहिए कि AAP ने उनके लिए कितना कुछ किया है। इस पदाधिकारी ने कहा, "गढ़वी पाटीदार नहीं हैं, लेकिन गोपाल इटालिया, राज्य पार्टी अध्यक्ष हैं। पाटीदारों को AAP उच्चतम संभव स्तरों पर समायोजित कर रही है। उन्होंने कहा, "जब पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) 2015-2017 से सक्रिय थी, तो इसुदान राज्य में उनकी आवाज थे। समुदाय के लोग भी इस बात को अच्छे से जानते हैं। इसके अलावा, 70 प्रतिशत से अधिक किसान और खेडूत पाटीदार हैं। वे गढ़वी को अपनी सबसे ऊंची आवाज के रूप में देखते हैं। पिछले हफ्ते AAP में शामिल हुए सूरत से PAAS के पूर्व संयोजक धार्मिक मालवीय ने कहा कि गढ़वी लोगों की पसंद हैं। आप का उस पसंद का सम्मान करना दर्शाता है कि AAP गुजरात की राजनीति को बदलने के लिए तैयार है।
भाजपा कुछ नहीं कर रही
धार्मिक मालवीय ने आगे कहा कि 2022 के चुनावों के लिए पाटीदार फैक्टर जितना मायने रखता है, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका बेरोजगारी, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे मुद्दे भी निभाएंगे। मालवीय ने कहा, "सात साल से पाटीदार विरोध प्रदर्शन में मारे गए लोगों के लिए मुआवजा मांगा जा रहा है, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग अभी भी लंबित है, लेकिन भाजपा कुछ नहीं कर रही है।" उन्होंने दावा किया, "तीन सीएम बदल गए हैं, कई वादे किए गए हैं, लेकिन बीजेपी इन मामलों को तभी देखती है जब चुनाव होते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले, राज्य सरकार ने मामले वापस ले लिए, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।" उन्होंने विश्वास जताया कि गढ़वी को सीएम कैंडिडेट बनाना पाटीदार वोटों को प्रभावित नहीं करेगी। मालवीय ने आगे कहा कि भाजपा पाटीदारों के बीच अंक हासिल करने की कोशिश करेगी। प्रचारित करेगी कि गढ़वी पाटीदार समुदाय से नहीं हैं, लेकिन मतदाता सही पहलू देखेंगे।