ऑस्ट्रेलिया भारत को लौटाएगा मां दुर्गा की 900 बरस पुरानी मूर्ति, महिषासुर का वध करते दिख रही हैं देवी
अहमदाबाद। ऑस्ट्रेलिया की ओर से भारत को कई प्राचीन वस्तुएं सौंपी जाएंगी। ये वस्तुएं नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया के पास हैं, जिनमें 14 आर्टवर्क शामिल हैं। इन्हीं में एक गुजरात की करीब 900 बरस पुरानी एक देवी प्रतिमा भी है। बताया जा रहा है कि, यह प्रतिमा 12वीं-13वीं शताब्दी में तैयार हुई थी। यह प्रतिमा मां दुर्गा की है, जिसमें उन्हें महिषासुर का दमन करते हुए दर्शाया गया है। ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों का कहना है कि, भारत को सौंपे जाने वाले आर्टवर्क में एक गुजराती परिवार का भी चित्र है। जिसमें शास्त्रीजी अमृतराय करूणाशंकर लिखा हुआ है। इसके अलावा एक और चित्र है, जिसमें हीरालाल ए. गांधी अंकित हैं, जो कि 1941 का बताया जाता है।
यह है मां दुर्गा और महिषासुर का प्रसंग
हिंदू धर्म-ग्रंथों के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध में परास्त करके उसका वध किया था। महिषासुर सतयुग में पैदा हुआ महाशक्तिशाली असुर था। उसने देवताओं, यक्षों, गंन्धर्वों को परास्त कर तीनों लोकों में तांडव मचाया था। तब ब्रह्मा के कमंडल से सप्तश्रृंगी देवी की उत्पत्ति हुई थी। जिन्हें दुर्गा कहा गया। देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध का भागवत पुराण में उल्लेख है। जिसमें बताया गया है कि, महिषासुर का वध करने के लिए सप्तश्रृंगी देवी को सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र को प्रदान किए थे।
देवताओं ने दिए थे देवी को अस्त्र-शस्त्र
सप्तश्रृंगी देवी के 18 हाथ थे और सभी हाथों में उन्होंने अलग-अलग अस्त्र धारण किए। भगवान शिव से उन्हें त्रिशूल मिला, श्री हरि विष्णु से चक्र, वरुण से शंख, वायु से धनुष-बाण मिले। इसी तरह अग्निदेव ने उन्हें दाहकत्व, इंद्र ने घंटा, यम ने दंड, दक्ष प्रजापति ने स्फटिक माला, ब्रह्मदेव ने कमंडल, सूर्य ने किरणें, काल स्वरूपी देवी ने तलवार, क्षीरसागर ने हार, कुंडल और कड़े, विश्वकर्मा ने तीक्ष्ण परशु व कवच प्रदान किए। समुद्र ने उन्हें कमल का हार और हिमालय ने सिंह सौंपा था। अनेकों अस्त्र-शस्त्रों व साधनों से सुसज्जित होने पर दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए चुनौती दी।
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महिषासुरमर्दिनी ने सप्तश्रृंग पर्वत पर किया था युद्ध
मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युद्ध चला। 10वें दिन महिषासुर का वध हो गया। तभी से दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी पुकारा जाने लगा। इसी उपलक्ष्य में भक्तगण 10 दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं। दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।