IPS Diksha Sharma : राष्ट्रपति के सामने भाषण देकर जीता था सबका दिल, अब गाजियाबाद में अपराधियों पर लगाएंगी लगाम
गाजियाबाद, 24 अगस्त: उत्तर प्रदेश सरकार ने 13 IPS और 14 PPS अफसरों का ट्रांसफर कर दिया है। ट्रेनी आईपीएस दीक्षा शर्मा को मुजफ्फरनगर जिले से गाजियाबाद जिले में अपर पुलिस अधीक्षक (अपराध) के पद पर तैनात किया गया है। दीक्षा शर्मा 2017 बैच की आईपीएस अफसर हैं। मौजूदा समय में वह जिले में ट्रेनिंग कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, दीक्षा को इसलिए हटाया गया है क्योंकि बीते दिनों जिले में किसान आंदोलन के दौरान खाप पंचायतों और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के बीच बवाल के बाद तनाव बढ़ गया। बता दें, दीक्षा शर्मा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने स्पीच दे चुकी हैं। उन्होंने अकादमी में अपनी ट्रेनिंग के अनुभव को साक्षा कर सबका दिल जीत लिया था।
आईपीएस दीक्षा शर्मा ने अपनी स्पीच से जीत लिया था सबका दिल
दीक्षा शर्मा ने आईपीएस की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने स्पीच दी थी। उन्होंने कहा था, 'मेरे नाम दीक्षा शर्मा है और मैं उत्तर प्रदेश राज्य से हूं। आज मैं बहुत ही गौरवांतित महसूस कर रही हूं कि ऐसी विशिष्ट सभा में आप सभी के सामने मुझे अकादमी के अपने अनुभवों को व्यक्त करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। अकादमी में 10 महीने की अवधि में कई विषय और कई क्षेत्रों का ज्ञान प्राप्त किया। लेकिन जो चीज मेरे सबसे अधिक नजदीक है वह यह कि शारीरिक रूप से सक्षम होने से आपके आत्मविश्वास में किस प्रकार वृद्धि होती है।'
जब दीक्षा ने कही 16 किलोमीटर की दौड़ की बात
दीक्षा
ने
आगे
कहा,
'अकादमी
आने
से
पहले
अकादमी
की
ट्रेनिंग
को
लेकर
मेरे
मन
में
कई
सारी
आशंकाएं
थीं।
क्या
यह
सब
कर
पाना
संभव
होगा
?
परंतु
ट्रेनिंग
के
दौरान
दिन
गए
प्रशिक्षण
से
असंभव
सी
दिखती
हुई
चीजें
भी
संभव
हो
पाईं।
फिर
चाहें
वो
16
किलोमीटर
की
दौड़
हो।
40
किलोमीटर
का
रूट
मार्च
हो।
घुड़सवारी
हो,
तैराकी
या
रिवर
राफ्टिंग
हो।
शारीरिक
रूप
से
सक्षम
होने
से
मानसिक
दृणता
में
भी
वृद्धि
होती
है।
स्वस्थ्य
शरीर
में
ही
स्वस्थ
मस्तिष्क
का
निवास
होता
है,
यह
कथन
हम
सभी
बचपन
में
सुनते
आए
हैं।
परंतु
इसको
पूर्व
होते
हुए
अकादमी
में
ही
देखा
है।'
युवाओं तक पहुंचाएंगी 'पहला सुख निरोगी काया' का संदेश
दीक्षा
शर्मा
ने
कहा,
'आज
भी
आम
जीवन
में
यह
बहुत
आश्चर्यजनक
लगेगा
कि
कोई
भी
व्यक्ति
न्यूनतम
संसाधनों
के
साथ
जंगल
में
पांच
दिन
किस
प्रकार
व्यतीत
करता
है।
परंतु
अकादमी
में
दिए
गए
शारीरिक
और
मानसिक
प्रशिक्षण
के
ही
फलस्वरूप
ये
सब
हो
पाया।
अंत
में
यही
कहना
चाहूंगी
कि
मैंने
इस
ट्रेनिंग
में
जिस
प्रकार
अपने
आत्मविश्वास
में
वृद्धि
की
है,
वैसा
ही
आत्मविश्वास
मैं
दूसरों
में
भी
जगाना
चाहूंगी।
हमारी
संस्कृति
में
कहे
गए
इस
कथन
'पहला
सुख
निरोगी
काया'
के
संदेश
को
आज
की
युवा
पीढ़ी
तक
पहुंचना
चाहूंगी।'
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