गुजरात के 20 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा, सरकार को फटकार
गांधीनगर. गुजरात में 20 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा इतनी खराब है कि बच्चे गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। कहीं-कहीं तो स्कूलों में कैसा भी पानी उपलब्ध नहीं है। सरकार की सहायता योजनाओं के बावजूद, हजारों स्कूल ऐसे हैं जिनमें बच्चों को खाने-पानी की समस्या व्याप्त है। राज्य विधान सभा की लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ। जिसमें समिति ने सरकार को चेतावनी दी है कि राज्य के जल आपूर्ति विभाग को बच्चों को साफ पानी उपलब्ध कराना चाहिए।
20 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में पानी की समस्या
सरकारी स्कूलों में केंद्र प्रायोजित सुरक्षित पेयजल योजना जलमणि पर भारत के कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की टिप्पणियों के विस्तृत मूल्यांकन के बाद पीएसी ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। सीएजी ने भी अपनी हाल ही में पेश की गई रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि परियोजना के लिए राज्य सरकार की नोडल एजेंसी वास्मो ने गाँव के स्कूलों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है।
अधिकांश स्कूलों में आरओ मशीनें घटिया पाई गईं
पीएसी ने उल्लेख किया कि साइट के निरीक्षण के दौरान, आरओ मशीनें घटिया पाई गईं। दाहोद जिले के एक स्कूल में, बच्चों को पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं दी गई थी और वास्मो के गांधीनगर कार्यालय द्वारा अनुदान लिया गया था। अधिकांश स्कूलों में जहां योजना लागू की गई थी, वहां आरओ या यूवी सिस्टम घटिया पाए गए थे। पानी के नमूने लिए गए, लेकिन जांच के लिए कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया।
कई स्थानों पर आरओ मशीनों की आवश्यकता
समिति ने यह भी कहा कि वास्मो ने स्कूलों में स्थापना के बाद आरओ और यूवी मशीनों के रखरखाव के लिए उचित प्रणाली स्थापित नहीं की। कई स्थानों पर आरओ मशीनों की आवश्यकता थी, लेकिन यूवी मशीनों को दिया गया था। पीएसी ने कहा कि जलमणि योजना के तहत शामिल नहीं होने वाले स्कूलों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत कवर किया जाना चाहिए था, हालांकि ऐसा नहीं किया गया था।
12578 स्कूलों में ही आरओ-यूवी मशीनें लगाई गईं
वास्मो ने कुबूल किया कि, उसने 12578 स्कूलों में आरओ एवं यूवी मशीनें लगाई हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार ने भी वास्मो से जवाब मांगा है।
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