गुजरात में कांग्रेस ने खोई 'आशा', भाजपा से PM मोदी के गांव वाली सीट पर ही लड़ेंगी लोकसभा चुनाव!
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने वाली डॉ. आशा पटेल (ashaben patel) को मनाने की कांग्रेसी हाईकमान की कोशिशें बेकार रह गईं। आशा ने सत्ताधारी भाजपा की ओर से ही लोकसभा चुनाव (general elections 2019) लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं, अभी तक आशा से नाराज चल रहे भाजपाई कैंडिडेट नारायण पटेल (नारन) ने भी पार्टी में उनका वेलकम किया है। बता दें कि, नारन उनके विरोध में थे।
कांग्रेस को दिखाया ठेंगा, भाजपा की बनीं 'आशा'
अब पार्टी के कार्यकर्ताओं को आशा पटेल के मेहसाणा से चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा का इंतजार है। मालूम हो कि जब से आशा पटेल कांग्रेस को अपनी ऊंझा सीट से इस्तीफा लिखकर आई थीं, तभी से दोनों दल उन्हें अपने-अपने पक्ष में खींचने की कोशिश कर रहे थे। कांग्रेस की ओर से उन्हें घर वापसी का आॅफर दिया गया था, वहीं भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें अपनी साइड में करने के लिए लगातार उनसे संपर्क था। अंतत: आज आशा ने दो में से एक विकल्प चुनते हुए भाजपा की ओर से ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
कांग्रेसियों ने किया हंगामा, भाजपाईयों ने मनाया जश्न
वहीं, आशा पटेल के पटेल कबीले में भाजपा के क्लस्टर सम्मेलन में जैसे ही अपनी जगह पाई, भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका वेलकम किया। एक ओर भाजपाई जश्न मनाने लगे तो दूसरी ओर कांग्रेसी हताश हो गए। उन्होंने हंगामा कर डाला। आशा की भाजपा में एंट्री के वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, क्षेत्र अध्यक्ष जीतू वाघानी सहित भाजपा नेताओं ने भगवा दुपट्टा पहनाकर आशा का स्वागत किया।
नितिन पटेल से मिलीं और तय हो गया कि कांग्रेस में नहीं लौटेंगी
संवाद सूत्रों ने वनइंडिया को बताया कि, भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने का ऐलान करने से पहले आशा पटेल की बीते रोज उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल के साथ मीटिंग हुई थी। उससे पहले आशा पटेल ने मेहसाणा में एक कार्यक्रम में भाग लिया था। जिसके बाद ही तय हो गया कि आशा कांग्रेस की ओर नहीं लौटने वालीं। अब आशा का खुद कहना है कि बीजेपी ठीक उसी तरह से काम कर रही है, जैसा वो कहती है। अपने कांग्रेसी समर्थकों के साथ मैं सत्ताधारी दल में शामिल हो रही हूं।''
राहुल गांधी द्वारा की गई थी आशा की वापसी की कोशिश
बता दें कि, आशा पटेल को वापस कांग्रेस में आने का प्रस्ताव खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिया था। इसके लिए कांग्रेस की ओर से आशा को उनकी पसंद की मेहसाणा सीट से ही लोकसभा चुनाव लड़ाने की बातें कही गईं। टिकट का आॅफर भी भेजा, लेकिन आशा पटेल ने कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया।
इसलिए खास है मेहसाणा लोकसभा सीट
मेहसाणा लोकसभा सीट गुजरात की राजनीति में बहुत अहम मानी जाती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मेहसाणा जिले के वडनगर से हैं। साथ ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन का उद्गम भी इसी इलाके से हुआ था। यह इलाका पटेल बाहुल्य है और राजनीति में भी कड़वा-पटेलों का ही वर्चस्व रहा है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी इसी समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट सुरक्षित रखना बड़ी बात है।
जब कांग्रेस की लहर चली, भाजपा इसी सीट पर जीती थी
मेहसाणा के लोकप्रिय सीट होने का एक दिलचस्प इतिहास भी है। वह यह है कि वर्ष 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस ने चुनाव लड़े तो देशभर में उसके विरोधी दल धराशाई हो गए थे। तब भाजपा ने लोकसभा की दो सीटें जीतीं। इन दो सीटों में से एक मेहसाणा थी। दूसरी सीट आंध्र प्रदेश राज्य में थी।
मेहसाणा में इतने हैं वोटर, जिनमें से 90% हिंदू
विगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, मेहसाणा जिले की आबादी 20 लाख से काफी ज्यादा है। यह लोकसभा सीट मेहसाणा जिले और गांधीनगर से मिलकर बनी है। यहां की 74.15% आबादी ग्रामीण जबकि 25.85% आबादी शहरी है। वर्ष 2018 के चुनावों में यहां वोटर्स की संख्या 16,11,134 बताई गई थी। कुल आबादी में 90% हिंदू एवं करीब 7% मुस्लिम थे।
मेहसाणा में इतनी विधानसभा सीटे हैं
मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र में आशा पटेल की विधायकी वाली ऊंझा विधानसभा सीट शामिल है। इसके अलावा यहां मेहसाणा, विसनगर, बेचरजी, विजापुर, कडी और मानसा सीट भी आती हैं। मानसा सीट वैसे तो गांधीनगर जिले में है, लेकिन यह मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही गिनी जाती है। 2017 में इस सीट पर कांग्रेस जीती थी। वहीं, मेहसाणा सिटी वाली सीट से गुजरात के नितिन पटेल (मौजूद डिप्टी सीएम) विधायक बने।
2014 में इस लोकसभा सीट पर भाजपा ही जीती
जयश्री
पटेल,
बीजेपी-
580,250
वोट
(57.8%)
जीवाभाई
पटेल,
कांग्रेस-
371,359
वोट
(37.0%)
तब
इस
सीट
के
कुल
वोटर्स
की
संख्या
10,04,258
थी,
जिनमें
से
67.0%
ने
वोट
किया
था।