अगर परमात्मा है .. तो.. आत्मा भी है...Ssshhhh...... कोई है !!
आँचल प्रवीण
लखनऊ। कभी आपको ऐसा लगा जैसे कोई है जो आपका पीछा कर रहा है। कभी ऐसा जैसे बिस्तर के नीचे कोई तो है। किसी के आसपास होने का एहसास होता है तो यकीं मानिये ये वाकई में किसी का होना ही है।
जब मैदान पर भूत खेलने लगे बेसबॉल, देखें वीडियो
किसी रोज़ कोई डरावनी कहानी सुनना या फिर कोई फिल्म देखना और फिर इस एहसास का और गहरा जाना। यह बातें ऐसी ही हैं जैसे की हमने आजतक ईश्वर को नहीं देखा पर उसका होना हम मानते हैं ; उसकी मौजूदगी का एहसास हमें होता रहता है, और ऐसा ही होता है नकारात्मक सत्ताओं के साथ।
क्या होती है ये नकारात्मक सत्ताएं
हमारी पहचान हमारे शरीर से होती हैं और जब शरीर ही नहीं. है तो मृतक आत्मा को देख पाना और पहचान पाना मुश्किल होता हैं। भूत-प्रेतों को ऐसी नकारात्मक सत्ताएं माना गया है, जो कुछ कारणों से पृथ्वी और दूसरे लोक बीच फँसी रहती हैं। इन्हे बेचैन व चंचल माना गाया है, जो अपनी अप्रत्याशित मौत के कारण अतृप्त हैं।
हर समय हो सकता है किसी के होने का एहसास
वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर इसको इस तरह से समझ सकते हैं की आप लगातार कई दिनों तक कोई ऐसा काम करें जो आपके रोज़मर्रा के ढर्रे से अलग हो तो यकीनन आपको सपने भी उसी तरह के आएँगे और बुरी शक्तियों से मन के किसी कोने में हमारा डर उजागर होकर फ्रंट सीट पर आ जाएगा और हर समय उसके होने का एहसास दिलाएगा।
दिमाग के तीन हिस्से होते हैं याददाश्त के कारक
हमारे दिमाग के तीन हिस्से होते हैं - कॉन्शियस ; सब कॉन्शियस और अन कॉन्शियस और यही तीनो हिस्से हमें कुछ भी याद रखने के ज़िम्मेदार होते हैं तो हमें किसी भी घटना को देखने के बाद जो कुछ भी महसूस होता है वो इन्ही तीनो हिस्सों के कारण। इस तरह के दिमागी फितूर को दूर करने के लिए अपनी एटीएम शक्ति को मजबूत करना बेहद ज़रूरी है।
हर्त्फोर्द्शायर विश्विद्यालय
इन विषयों पर अध्ययन करने वाले हर्त्फोर्द्शायर विश्विद्यालय के प्रोफेसर डॉरिचर्ड वाइजमैन बताते हैं की चुम्बकीय क्षेत्र में होने वाले बदलावों से भी कई बार अजीब घटनाएं होती हैं, जिसे लोग भूतों का होना मान बैठते हैं
सच में होती हैं बुरी ताकतें
लेकिन मैं इस बात को बिलकुल नहीं नकारती की दुनिया में बुरी शक्तियाँ नहीं होती, जिस तरह किसी भी सर्किट को पूरा करने में बिजली के पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तारों का प्रयोग होता है उसी तरह दुनिया को चलाने में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ताकतें सक्रीय होती है और यदि पॉजिटिव शक्ति हमारा ईश्वर है तो नेगेटिव शक्ति को राक्षस हो सकता है लेकिन विज्ञान के पास न इसका कोई प्रूफ है और न कोई जवाब।
शोध साबित करते हैं इनका होना
2007 में होर्वोर्ड यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के एक प्रोफेसर ने यह दावा किया है कि कुछ कण वास्तव में कण नहीं होते हैं इन्हें अनपार्टिकल भी कहते हैं। ये पदार्थ कणों और उर्जा कणों का मिला जुला रूप होते हैं। ये अनपार्टिकल एक जगह पर कई सारे हो सकते हैं, इनका सम्पर्क पदार्थ यानि मेटर से बहुत कम होता है | इन्हें वैज्ञानिक ब्रम्हांड की कुछ घटनाओं से जोड़कर डार्क मैटर का नाम देते हैं।
क्या कहती है हमारी फिल्में
हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों ने ही इस विषय पर कई रोमांचक फिल्मे बनायीं है। भट्ट कैंप की 'राज' हो या रामगोपाल वर्मा की 'भूत' हो या फिर एकता कपूर की 'रागिनी एम्एम्एस' हो या 'अनाबेल और द कोन्जुरिंग' सभी ने डर के इस बाज़ार को बखूबी भुनाया है। किसी विशेष नकारात्म्क ताकत का होना और लोगों का उससे डरना आधुनिक फिल्म मेकर्स के लिए एक ऐसी लोलीपॉप है जो बहुत तेज़ी से और बहुत अच्छा बिजनेस कर लेती है।
विज्ञान के पास नहीं है कोई जवाब
कुल मिलाकर मामला यह है की वैज्ञानिक इन अनपार्टिकल तक पहुचने की दौड़ में तो हैं लेकिन अब तक उनके पास इस विषय पर अधिक थ्योरी नहीं है पर अगर आम आदमी की भाषा में समझे तो भूतों के बारे में विज्ञान के पास अभी कोई जवाब नहीं। बेहतर होगा आप हनुमान चालीसा को याद रखें, न जाने कब आपको किसी अनपार्टिकल का सामना करना पद जाए।
कोई आपको देख रहा है
यकीन मानिये ये लेख लिखते समय मैंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि मुझे मालूम है मेरे पीछे से वो मुझे देख रहा है की मैं उसके बारे में ही कुछ लिख रही हूँ।