UNSC में भारत का करारा जवाब, दुनियाभर में बजा ‘डंका’, जानें क्या है पूरी बात
रूस ने फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है। भारत की जमकर तारीफ करते हुए रूस ने कहा कि भारत ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने रुख के साथ परिषद में अहम भूमिका निभाई है।
भारत पिछले कुछ सालों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपने बेबाक और स्पष्ट रूप से बयानों को रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय पटल पर सुर्खियों में बना हुआ है। चाहे वो आतंकवाद के 'गुड और बैड' वर्गीकरण पर चीन और पाकिस्तान को लताड़ना हो, जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के बयानों पर अल्पसंख्यकों की बदहाली पर आईना दिखाना हो या फिर रूस-यूक्रेन जंग पर खुलकर अपनी बात रखनी हो। आज हम आपको UNSC में दिए भारत के ऐसे ही कुछ बयानों के बारे में बताएंगे, जिस पर दुनिया भर में चर्चाएं हुईं।
भारत और UNSC की स्थायी सदस्यता
सबसे पहले आपको ये बता दें कि 15 देशों की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के लिए स्थायी सीट का समर्थन किया है। सिर्फ चीन ने ही भारत को स्थायी सदस्यता का विरोध किया हैं। दरअसल, UNSC के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत का मौजूदा दो साल का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो जाएगा। भारत फिलहाल 15 देशों की परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब भारत ने परिषद की अध्यक्षता ग्रहण की है। भारत ने इससे पहले अगस्त 2021 में UNSC की अध्यक्षता संभाली थी।
'गुड-बैड टेररिज्म बंद होना चाहिए'
बीते दिनों में UNSC में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवादियों को 'गुड या बैड' के रूप में बांटने का काम तुरंत बंद होना चाहिए। इस तरह से गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म करना, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए साझा वैश्विक प्रतिबद्धता को कमजोर करने जैसा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की उसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के किसी भी कार्य के लिए कोई अपवाद या औचित्य नहीं हो सकता है। आतंकवादियों को बुरा और अच्छा के रूप में वर्गीकृत करने का युग राजनीतिक सुविधा के आधार पर तुरंत समाप्त होना चाहिए।
'भारत को लोकतंत्र का पाठ न पढ़ाएं'
शुरुआत में जब भारत को UNSC की अध्यक्षता सौंपी गई तब यूएन में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने वैश्विक समुदाय को आईना दिखाते हुए दो टूक कहा कि भारत को लोकतंत्र के मसले पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस पर हमें किसी से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। रुचिरा कंबोज ने यह टिप्पणी परिषद के मंच पर की थी। दरअसल भारत में लोकतंत्र और मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर कंबोज ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
जब पाकिस्तान को भारत ने लगाई लताड़
नवंबर 2022 में UNSC में बहस के दौरान जम्मू-कश्मीर का अनावश्यक रूप से मुद्दा उठाने के लिए भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा कि आज जब हम UNSC सुधारों पर चर्चा करने के लिए मिल रहे हैं, तो पाकिस्तान के एक प्रतिनिधि ने फिर से जम्मू-कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, भले ही पाकिस्तान इस पर कुछ भी मानता हों। उन्होंने कहा कि झूठ फैलाने के पाकिस्तान के हताशा से भरे प्रयास और बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग करने की बुरी आदत सामूहिक अवमानना और शायद सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है।
जब रूस को UNSC में भारत ने 'फटकारा'
इस साल के सितंबर महीने में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने अब तक के अपने सबसे तीखे बयान से रूस को असहज कर दिया था। भारत ने कहा था कि हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं और अब यह युद्ध खत्म होना चाहिए। भारत के विदेश मंत्री ने UNSC में कहा था कि यूक्रेन युद्ध जिस तरह आगे बढ़ रहा है वह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बेहद चिंताजनक है। हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इससे पहले भारत ने रूस को लेकर जंग शुरू के बाद से अब तक कोई आलोचना नहीं की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत पुरजोर तरीके से दोहराता है कि हर तरह की आक्रामकता फौरन बंद हो और बातचीत शुरू हो। पीएम मोदी भी स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि वर्तमान युग युद्ध का युग नहीं हो सकता।
जब चीन को सुनाई 'खरी-खोटी'
इस साल सितंबर महीने में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UNSC में लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी को ब्लैकलिस्ट करने में अड़ंगा लगाने के लिए चीन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब 'दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर प्रतिबंध' लगाने की बात आती है तो कुछ देश 'दंड मुक्ति' की सुविधा प्रदान करते हैं। राजनीति को कभी भी जवाबदेही से बचने के लिए कवर प्रदान नहीं करना चाहिए। वहीं इस साल के अगस्त महीने में भी भारत ने चीन को घेरा था। तब UNSC की बैठक में भारत ने चीन पर सीमा समझौतों और प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दोहरे चरित्र को उजागर किया। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने साफ कहा था कि सामान्य सुरक्षा तभी संभव है जब देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।
पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया की बोलती बंद
साल 2019 के अक्टूबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) हुई। इस महासभा के दौरान पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए तुर्की और मलेशिया ने भी जम्मू-कश्मीर से 370 अनुच्छेद हटाने के मुद्दे पर भारत को घेरा। तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत के जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला देश का आंतरिक मामला है। इस मुद्दे पर कुछ बोलने से पहले कश्मीर के हालात को लेकर तुर्की को अपनी समझ और ज्ञान और बढ़ाना चाहिए। भारत के लिए यह पूरी तरह से आंतरिक मामला है। साथ ही मलेशिया को भी कुछ कहने से पहले मित्रतापूर्ण रिश्तों को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसी बयानबाजी से दूर रहना चाहिए।
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